नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या को ”अत्यधिक गंभीर” मानते हुए उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और नगर निकायों को निर्देश दिया कि वे जल्द से जल्द सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को उठाकर उचित आश्रय स्थलों में रखें।
आवारा कुत्तों से सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक
न्यायालय ने आवारा कुत्तों के काटने की घटनाओं को गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि यह समस्या अब नियंत्रण से बाहर हो चुकी है। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने स्पष्ट निर्देश दिए कि आवारा कुत्तों को सड़कों, कॉलोनियों और सार्वजनिक स्थानों पर नहीं छोड़ा जाएगा, बल्कि उन्हें आश्रय स्थलों में सुरक्षित रखा जाएगा।
आश्रय गृह और कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के निर्देश
अदालत ने कहा कि फिलहाल दिल्ली में लगभग 5,000 आवारा कुत्तों के लिए पर्याप्त आश्रय गृह बनाए जाएं। साथ ही, कुत्तों के बधियाकरण और टीकाकरण के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाए ताकि वे इस कार्य को प्रभावी ढंग से कर सकें।
अधिकारियों के काम में बाधा डालने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई
न्यायालय ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को उठाने और आश्रयस्थलों तक पहुंचाने वाले अधिकारियों के काम में बाधा डालेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कदम आवारा कुत्तों की समस्या को प्रभावी तरीके से नियंत्रित करने के लिए जरूरी माना गया है।
बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता
पीठ ने विशेष रूप से शिशुओं और छोटे बच्चों की सुरक्षा पर जोर दिया है और कहा कि किसी भी कीमत पर उन्हें आवारा कुत्तों के काटने से बचाना आवश्यक है। क्योंकि कुत्तों के काटने से रेबीज जैसी घातक बीमारियां फैल सकती हैं, जो जानलेवा भी हो सकती हैं।
हेल्पलाइन की स्थापना का निर्देश
न्यायालय ने अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर आवारा कुत्तों के काटने के मामलों की त्वरित सूचना के लिए एक हेल्पलाइन स्थापित करने का आदेश दिया। इससे तुरंत मदद पहुंचाने और आवश्यक कार्यवाही को सुचारू बनाने में मदद मिलेगी।
पृष्ठभूमि: मीडिया रिपोर्ट के बाद स्वतः संज्ञान
शीर्ष अदालत ने यह आदेश 28 जुलाई को दिल्ली में आवारा कुत्तों के काटने से रेबीज फैलने की मीडिया रिपोर्टों के आधार पर स्वतः संज्ञान लेकर दिया है। इस मुद्दे पर न्यायालय ने सक्रिय कदम उठाकर आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने की पहल की है।
आवारा कुत्तों की समस्या: दिल्ली का बड़ा संकट
दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या बहुत अधिक हो चुकी है, जो न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है बल्कि जनजीवन को भी प्रभावित कर रही है। कई बार आवारा कुत्तों के हमलों के कारण लोगों को गंभीर चोटें आई हैं, और रेबीज के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में न्यायालय के इस आदेश को जनहित में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
उम्मीदें और चुनौतियां
इस आदेश के बाद दिल्ली सरकार और नगर निकायों की जिम्मेदारी बढ़ गई है कि वे आवारा कुत्तों के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराएं और समस्या का स्थायी समाधान निकालें। इसके साथ ही जागरूकता अभियानों के जरिए जनता को भी इस दिशा में योगदान देना होगा।
#SupremeCourt hears suo moto case against stray dogs attacking children in streets
Bench:JJ JB Pardiwala and R Mahadevan
Amicus and Sr Adv Gaurav Agarwal suggests sterilisation of stray dogs not enough, streets should be stray dogs free pic.twitter.com/C3gGrHusQE
— Live Law (@LiveLawIndia) August 11, 2025