नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। दिल्ली में निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली सरकार ने सोमवार को विधानसभा में ‘दिल्ली विद्यालय शिक्षा (शुल्क निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025’ पेश किया। यह विधेयक निजी स्कूलों में बढ़ती फीस पर नियंत्रण के साथ-साथ पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
📜 विधेयक का उद्देश्य और प्रभाव
शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने सदन में विधेयक पेश करते हुए कहा कि जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशभर में व्यवस्था में सुधार ला रहे हैं, वैसे ही दिल्ली सरकार भी शिक्षा क्षेत्र में सशक्त बदलाव के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक पारित होने के बाद निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगेगी और अभिभावकों को राहत मिलेगी।
विधेयक के अनुसार:
सभी निजी स्कूलों को अपनी फीस संरचना सार्वजनिक करना अनिवार्य होगा।
किसी भी प्रकार की फीस वृद्धि से पहले शिक्षा बोर्ड से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
स्कूलों को फीस और अन्य विवरण ऑनलाइन पोर्टल पर प्रकाशित करना होगा, जिससे अभिभावकों को पारदर्शी जानकारी उपलब्ध हो सके।
यदि कोई स्कूल नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर जुर्माना, यहां तक कि मान्यता रद्द करने की कार्रवाई भी की जा सकती है।
🎯 शिक्षा माफिया पर सीधी चोट
आशीष सूद ने इसे “शिक्षा माफिया” के खिलाफ सीधा और सख्त प्रहार बताया। उन्होंने कहा कि अब स्कूल प्रबंधन को हर फैसले का जवाब देना होगा और अभिभावकों के अधिकार पहले से ज्यादा मजबूत होंगे।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने शिक्षा सुधार की बातें जरूर कीं, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकाला। अभिभावकों को कोर्ट और स्कूलों के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन इस विधेयक से अब एक व्यवस्थित और पारदर्शी प्रणाली अस्तित्व में आएगी।
📢 विपक्ष पर निशाना
आशीष सूद ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि वे सिर्फ वादों की राजनीति करते रहे, जबकि रेखा गुप्ता सरकार ने धरातल पर काम करके दिखाया है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस विधेयक से दिल्ली का शिक्षा तंत्र और अधिक उत्तरदायी, पारदर्शी और जनहितैषी बनेगा।