Webvarta Desk: वैष्णो देवी (Vaishno Devi) त्रिकुट पर्वत पर विराजती है यह तो सब जानते है। लेकिन शायद ही किसी को उस मंदिर के बारे में पता हो जहां मां 5 साल की बच्ची के रूप में प्रकट हुई थीं। इस मंदिर का नाम है कौल कंडोली मंदिर (Kol Kandoli Temple), जो जम्मू शहर से 14 किलोमीटर दूर नगरोटा में है।
पौराणिक कथा के अनुसार माता वैष्णों देवी यहां (Kol Kandoli Temple) 5 साल की बच्ची के रुप में प्रकट हुई थी। करीब 12 साल तक मां ने इसी जगह तपस्या की थी। जिसके बाद मां एक पिंडी के रूप में यहा विराजमान हो गईं। यहां मां स्वयंभू पिंडी के रूप अपने भक्तों को दर्शन देकर उनकी सारी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि मां यहां कन्या रूप में गांव की कन्याओं के साथ मिल कर खेलती थीं। गांव वालो का कहना है यहां आज भी मां कन्या रूप में खेलने आती है।
देवी ने यहां 12 वर्षों तक तपस्या कर विश्व शांति के लिए यज्ञ आदि किये। मां भगवती ने यहा 4 बार चांदी के कटोरे प्रकट किये हं और लाखों लोगों को 36 प्रकार का भोजन कराया है। ऐसा भी कहा जाता है कि मां ने भक्तों की प्यास बुझाने के लिए धरती पर कटोरे को मारा तो धरती से पानी निकलने लगा। तब लोगों ने पानी पी कर अपनी प्यास बुझाई।
ऐसा भी कहा जाता है कि महाभारत काल में जब पाड़व अज्ञात वास में थे। तब उन्हें इस मंदिर के बारे में पता चला था। तो पाड़वों ने यहा मां को प्रसन्न करने के लिए कई सालो तक पूजा अर्चना किया था। जिस पर प्रसन्न हो कर मां ने पाड़वों को दर्शन दिये थे। और यहां मंदिर बनवाने के लिए कहा था। तब पाड़वों ने यहां मंदिर का निर्माण एक रात में कराया था। आपको जान कर हैरानी होगी की यह रात 6 माह की हुई थी।
मंदिर परिसर में गणेश्वरी ज्योतिलिंग है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के निर्माण के दौरान भीम को प्यास लगी और वह मां को याद करने लगे। मां भीम के सामने प्रकट होकर भीम से कहा यहां पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके बाद मां मंदिर के पीछे गई और एक कटोरा प्रकट किया तब यह ज्योतिलिंग वहां प्रकट हुआ था। तब मां ने कहा जहां शक्ति है वहां शिव अवश्य होंगे।
मंदिर में एक कुआं है जिसका पानी पीकर लोग अपनी प्यास बुझाते है। लोगों का मनना है कि इस कुएं का पानी पीने से उनके सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। कोल कंडोली माता के मंदिर में त्रिकुट पर्वत की चढ़ाई शुरू करने से पहले प्रथम दर्शन यहां करना होता है। तभी मां वैष्णों की यात्रा पूरी मानी जाती हैं।