वाशिंगटन, (वेब वार्ता)। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और आगामी चुनावों के संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर आक्रामक व्यापार नीतियों को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उनका निशाना है – सेमीकंडक्टर और कंप्यूटर चिप्स का आयात। ट्रंप ने संकेत दिया है कि अगर वह दोबारा सत्ता में आते हैं तो आयातित सेमीकंडक्टर पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया जाएगा।
📌 भारत पर पहले ही लगा है अतिरिक्त शुल्क
कुछ दिन पहले ही ट्रंप ने भारत से आयातित सामानों पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की थी, जिससे भारत पर कुल टैरिफ बढ़कर 50 प्रतिशत तक पहुंच गया। अब सेमीकंडक्टर टैरिफ का यह प्रस्ताव न केवल भारत, बल्कि चीन, ताइवान, कोरिया और अन्य देशों पर भी सीधा असर डाल सकता है।
💡 क्या है ट्रंप की नई योजना?
ट्रंप ने ओवल ऑफिस में एप्पल के CEO टिम कुक से मुलाकात के दौरान स्पष्ट किया कि:
कंप्यूटर चिप्स और सेमीकंडक्टर आयात पर 100% टैरिफ लगाने की योजना बनाई जा रही है।
लेकिन अमेरिका में उत्पादन करने वाली कंपनियों को राहत दी जाएगी।
यह नीति ‘अमेरिका फर्स्ट’ विज़न के तहत घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए लाई जाएगी।
🔍 अमेरिकी उपभोक्ताओं पर असर: क्या महंगे होंगे गैजेट्स और कारें?
इस नीति का सीधा असर अमेरिका के उपभोक्ताओं पर पड़ने की आशंका है। यदि 100% टैरिफ लागू हुआ:
मोबाइल फोन, लैपटॉप, टेलीविज़न, स्मार्ट डिवाइसेज़ की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी होगी।
ऑटोमोबाइल सेक्टर में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की लागत बढ़ेगी।
तकनीकी कंपनियों का प्रॉफिट मार्जिन घटेगा, जिससे वे लागत उपभोक्ताओं पर थोप सकती हैं।
🌐 ग्लोबल मार्केट पर असर: क्या दोहराई जाएगी चिप संकट की कहानी?
कोविड काल में दुनिया भर ने देखा कि जब चिप की कमी हुई थी, तो कैसे उत्पादन ठप हुआ और कीमतें आसमान छूने लगी थीं। ट्रंप की नीति से:
चिप सप्लाई चेन पर फिर संकट मंडरा सकता है।
भारत, ताइवान, कोरिया, जापान जैसे देश इस नीति से प्रभावित हो सकते हैं।
अमेरिका की ग्लोबल ट्रेड रिलेशनशिप में तनाव बढ़ सकता है।
🏭 किन कंपनियों को मिल सकती है राहत?
ट्रंप ने साफ किया है कि अमेरिका में चिप्स बनाने वाली कंपनियों को टैरिफ से छूट दी जाएगी। इनमें शामिल हैं:
Intel
Micron
GlobalFoundries
Texas Instruments
इस फैसले का उद्देश्य घरेलू मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है और चीन जैसे देशों पर तकनीकी निर्भरता कम करना है।
📈 सेमीकंडक्टर की बढ़ती वैश्विक मांग: भारत के लिए अवसर?
दुनियाभर में चिप्स की मांग रिकॉर्ड स्तर पर है।
ऑटो, रक्षा, AI, 5G जैसे क्षेत्रों में इसकी आवश्यकता तेजी से बढ़ रही है।
भारत सरकार भी सेमीकंडक्टर निर्माण को बढ़ावा देने के लिए ‘सेमीकंडक्टर मिशन’ और PLI स्कीम चला रही है।
ट्रंप की नीति अगर लागू होती है, तो भारत के पास चिप उत्पादन हब बनने का अवसर भी हो सकता है, बशर्ते वह समय पर निवेश आकर्षित कर सके।
📣 निष्कर्ष: टैरिफ वार या टेक्नोलॉजी आत्मनिर्भरता?
ट्रंप की नीति को लेकर अमेरिका में दोहरी राय है। एक ओर यह डोमेस्टिक इंडस्ट्री को प्रमोट कर सकता है, वहीं दूसरी ओर इससे उपभोक्ता महंगाई, वैश्विक व्यापार तनाव और टेक कंपनियों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
यह देखने वाली बात होगी कि क्या यह प्रस्ताव केवल चुनावी एजेंडा है या वास्तव में अमेरिका की औद्योगिक रणनीति का हिस्सा बनने जा रहा है।