-दुनिया को इतिहास से सबक लेने की जरूरत है, वरना महामंदी दूर नहीं
वाशिंगटन, (वेब वार्ता)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति एक बार फिर वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन गई है। चीन समेत कई देशों पर टैरिफ लगाकर ट्रंप ने ट्रेड वॉर छेड़ दिया है, उससे न केवल अमेरिका-चीन रिश्तों में दरार बढ़ रही है, बल्कि भारत जैसे विकासशील देश भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। ट्रंप के मुताबिक ये फैसले लिबरेशन डे हैं, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो ये रिसेशन डे साबित हो सकते हैं। दुनिया को इतिहास से सबक लेने की जरूरत है, वरना हम एक और महामंदी की तरफ बढ़ रहे हैं।
ट्रंप ने 2025 में चीन, भारत, इजराइल समेत दर्जनों देशों पर टैरिफ लगाए, जिससे वैश्विक निवेश, उपभोक्ता विश्वास और व्यापार पर असर पड़ा। चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया। वहीं चीन ने भी ट्रंप पर जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर बराबर का टैक्स लगा दिया। दोनों देशों के बीच इस टकराव ने वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है, जिससे 10 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की संपत्ति को नुकसान हुआ है।
भारत को भी इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। अमेरिका के साथ भारत का व्यापार घाटा 49 अरब डॉलर है। ट्रंप के टैरिफ के चलते भारत से फार्मा, स्टील और कपड़ा क्षेत्र के निर्यात प्रभावित हुआ है। भारत से अमेरिका को सिर्फ जेनेरिक दवाओं का निर्यात 2023-24 में 9.7 अरब डॉलर था, लेकिन ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अगला निशाना फार्मा सेक्टर हो सकता है।
बता दें यह पहली बार नहीं हुआ है इससे पहले 1930 के दशक का स्मूट-हॉली टैरिफ एक्ट वैश्विक मंदी का कारण बना था, जब अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 65 फीसदी की गिरावट आई थी। ट्रंप की नीतियां उसी राह पर जाती नजर आ रही हैं, जो वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को खतरे में डाल सकती हैं। अब देखने वाली बात यह है कि 90 दिनों की मोहलत के बाद ट्रंप अपने फैसलों पर पुनर्विचार करेंगे या नहीं। यदि टैरिफ वॉर ऐसे ही चलता रहा, तो इसका असर अमेरिका या चीन तक सीमित नहीं रहेगा। यह भारत जैसे देशों को भी बड़े आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।