यूरोप बना पहला महाद्वीप जहां जनसंख्या गिरावट की ओर, एशिया में इजाफा जारी
वाशिंगटन/मुंबई, (वेब वार्ता):
जहां एक ओर दुनिया की आबादी तेजी से बढ़ रही है और 8 अरब के आंकड़े को पार कर चुकी है, वहीं दूसरी ओर यूक्रेन, जापान, ग्रीस और तुवालु जैसे कई देशों में आबादी में तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है। कुछ देशों में तो यह स्थिति इतनी चिंताजनक है कि उनके अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है।
🌍 दुनिया बढ़ रही, कुछ देश घट रहे
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार वर्ष 2011 में वैश्विक आबादी 7 अरब थी, जो 2023 तक बढ़कर 8 अरब हो गई। अनुमान है कि 2030 तक यह 8.6 अरब, 2050 तक 9.8 अरब, और 2100 तक 11.2 अरब तक पहुंच जाएगी।
हालांकि इस जबरदस्त वृद्धि के बीच कुछ देश ऐसे हैं, जहां आबादी लगातार घटती जा रही है। इन देशों की सूची में सबसे ऊपर है यूक्रेन, जिसकी आबादी में एक वर्ष में ही 8.10% की गिरावट दर्ज की गई है। इसका मुख्य कारण रूस के साथ युद्ध, बड़ी संख्या में लोगों का देश छोड़ना, और युद्ध में हताहत होना है।
📉 ये हैं घटती आबादी वाले प्रमुख देश
देश | गिरावट (%) | प्रमुख कारण |
---|---|---|
यूक्रेन | 8.10% | युद्ध, पलायन, मृत्यु |
तुवालु | 1.80% | पलायन, सीमित संसाधन |
ग्रीस | 1.60% | आर्थिक संकट, पलायन |
सैन मारिनो | 1.10% | कम जन्मदर |
कोसोवो | 1.00% | युवाओं का पलायन |
बेलारूस | 0.60% | आर्थिक संकट, पलायन |
बोस्निया | 0.60% | जनसंख्या वृद्धावस्था |
अल्बानिया | 0.60% | युवाओं का विदेश जाना |
जापान | 0.50% | बहुत कम जन्मदर |
इटली/रूस/द.कोरिया | 0.40%-0.60% | जन्मदर में गिरावट |
🇯🇵 जापान में बच्चे पैदा करने की रुचि नहीं
जापान की जनसंख्या में गिरावट का कारण केवल जन्मदर में गिरावट है। सरकार द्वारा प्रोत्साहन योजनाओं के बावजूद युवा पीढ़ी बच्चे नहीं चाहती। इससे वहां की श्रमशक्ति और भविष्य की अर्थव्यवस्था पर बड़ा संकट मंडराता दिख रहा है।
🌊 तुवालु: अस्तित्व पर संकट
तुवालु, जो कि प्रशांत महासागर का एक द्वीपीय देश है, की आबादी अब सिर्फ 9,000 से थोड़ी अधिक रह गई है। यदि यही रफ्तार रही तो आने वाले दशकों में यह देश पूरी तरह खाली हो सकता है।
🌐 महाद्वीप के अनुसार स्थिति
यूरोप एकमात्र ऐसा महाद्वीप बन चुका है जहां कुल जनसंख्या में गिरावट देखने को मिल रही है।
एशिया, खासकर भारत, चीन, पाकिस्तान और इंडोनेशिया जैसे देश, अब भी जनसंख्या वृद्धि की अगुवाई कर रहे हैं।
📊 ग्रीस का उदाहरण
ग्रीस की वर्तमान आबादी 10 मिलियन है, लेकिन 2100 तक यह घटकर 9 मिलियन रह जाने का अनुमान है। यही स्थिति रूस, दक्षिण कोरिया और इटली जैसे देशों की भी है।
🧭 क्या कहता है यह रुझान?
घटती जनसंख्या उन देशों के लिए आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां लेकर आएगी, जहां कार्यबल की कमी, पेंशन संकट, और आर्थिक स्थिरता जैसे मुद्दे उठ सकते हैं। दूसरी ओर, तेजी से बढ़ती जनसंख्या वाले देशों को आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार जैसी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है।
🔎 निष्कर्ष:
जहां एक ओर दुनिया तेजी से बढ़ रही है, वहीं कुछ देश शून्यता की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं। यह वैश्विक असंतुलन निकट भविष्य में जनसंख्या वितरण, अर्थव्यवस्था, और प्रवास नीतियों को प्रभावित कर सकता है।