नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। ग़ज़ा में लगभग दो वर्ष से चले आ रहे युद्ध ने इजराइल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने की स्थिति में धकेल दिया है। ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, स्पेन, बेल्जियम, और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश फिलिस्तीन को पूर्ण राज्य के रूप में मान्यता देने की तैयारी कर रहे हैं। क़तर पर इजराइली हमले के बाद दोहा में आयोजित अरब-इस्लामी शिखर सम्मेलन ने इजराइल की कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की और संयुक्त सैन्य बल बनाने की चर्चा की। पूर्व इजराइली प्रधानमंत्रियों एहुद बराक और एहुद ओल्मर्ट ने भी बिन्यामिन नेतन्याहू पर आरोप लगाया कि वे इजराइल को ‘अंतरराष्ट्रीय अछूत’ बना रहे हैं। क्या यह दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद दौर जैसी स्थिति है, जहां आर्थिक, खेल, और सांस्कृतिक बहिष्कार ने नीति परिवर्तन कराया?
ग़ज़ा युद्ध और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध
ग़ज़ा में इजराइल की सैन्य कार्रवाई ने 64,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की जान ले ली है, जिसमें आधी महिलाएं और बच्चे हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, इजराइल ने ग़ज़ा में जनसंहार के चार कृत्य किए हैं। इजराइली सेना का ग़ज़ा सिटी पर हमला और वेस्ट बैंक में बस्तियों का विस्तार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को नाराज कर दिया है।
बेल्जियम ने वेस्ट बैंक बस्तियों से आयात पर रोक लगाई, इजराइली मंत्रियों इतामार बेन-गवीर और बेज़लेल स्मोतरीच को अवांछित घोषित किया, और बस्तियों में रहने वाले बेल्जियन नागरिकों को कांसुलर मदद बंद कर दी। स्पेन ने हथियार आयात प्रतिबंध को कानूनी रूप दिया, ग़ज़ा नरसंहार में शामिल व्यक्तियों को प्रवेश पर रोक लगाई, और इजराइली जहाजों को अपने बंदरगाहों से दूर रखा। नॉर्वे के 2 ट्रिलियन डॉलर के सॉवरेन फंड ने 23 इजराइली कंपनियों से विनिवेश किया। यूरोपीय संघ एसोसिएशन एग्रीमेंट के प्रावधान निलंबित करने पर विचार कर रहा है।
इन कदमों ने इजराइल को आर्थिक और कूटनीतिक रूप से कमजोर किया है। नेतन्याहू ने स्वीकार किया कि इजराइल “कई वर्षों तक अलगाव” का सामना करेगा।
क़तर हमले के बाद दोहा शिखर सम्मेलन
9 सितंबर को क़तर की राजधानी दोहा में इजराइली हमले ने हमास के पांच सदस्यों और एक क़तरी अधिकारी की जान ली। हमास ने इसे वार्ताकारों पर हमला बताया। 15 सितंबर को दोहा में अरब लीग और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) का आपातकालीन सम्मेलन हुआ, जिसमें 60 से अधिक देशों के नेता शामिल हुए।
क़तर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी ने कहा, “इजराइल का असली मकसद ग़ज़ा को रहने लायक नहीं छोड़ना है।” तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयिप एर्दोगन ने इसे “इजराइली खतरे का नया स्तर” बताया। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने संबंध तोड़ने और इजराइली नेताओं पर मुकदमा चलाने की मांग की। जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय ने कहा कि इजराइल टू-स्टेट समाधान को बाधित कर रहा है। इराकी प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने इसे क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र सदस्यता निलंबन का समर्थन किया। मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने इसे “क्रूर कार्रवाई” कहा। OIC महासचिव हुसैन ताहा ने अंतरराष्ट्रीय कानून उल्लंघन बताया। अरब लीग महासचिव अहमद अबुल घैत ने फिलिस्तीनियों के नरसंहार के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की।
मिस्र ने नेटो जैसा संयुक्त सैन्य बल बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसमें अरब लीग के 22 देश बारी-बारी से नेतृत्व करेंगे।
दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद दौर से तुलना
इजराइल की स्थिति को दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद (अपार्टहाइड) दौर से तुलना की जा रही है, जहां 1960-1990 तक आर्थिक, खेल, और सांस्कृतिक बहिष्कार ने नीति परिवर्तन कराया। पूर्व इजराइली राजदूत जेरमी इस्साखारॉफ ने कहा कि इजराइल “कमजोर स्थिति” में है, लेकिन अमेरिकी समर्थन से अभी दक्षिण अफ्रीका जैसा संकट नहीं आया। पूर्व राजनयिक इलान बरुख ने कहा, “हमें समझदारी के दौर में लौटना होगा।” पूर्व इसराइली शांति वार्ताकार डैनियल लेवी ने कहा कि यूरोपीय कदम अपवाद हैं, लेकिन अमेरिकी समर्थन से बदलाव मुश्किल है।
खेल और संस्कृति में बहिष्कार
यूरोविजन सॉन्ग कॉन्टेस्ट में आयरलैंड, स्पेन, नीदरलैंड, और स्लोवेनिया ने इजराइल के बहिष्कार की धमकी दी। वुल्टा डे एस्पाना साइक्लिंग रेस में प्रदर्शनकारियों ने इजराइली टीम का विरोध किया। स्पेन में सात इजराइली शतरंज खिलाड़ियों ने झंडे विवाद पर नाम वापस लिया। हॉलीवुड में 4,000 से अधिक हस्ताक्षरों वाली याचिका ने इजराइली प्रोडक्शन का बहिष्कार मांगा।
नेतन्याहू का इरादा: भविष्य में भी हमले
15 सितंबर को यरूशलम में मार्को रूबियो के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेतन्याहू ने कहा, “हमास नेताओं को कहीं भी छूट नहीं मिलेगी।” ट्रंप ने हमले की आलोचना की, लेकिन रूबियो ने कहा, “अमेरिका-इजराइल संबंध मजबूत रहेंगे।” इजराइल ने दावा किया कि हमले से पहले क़तर को सूचना दी थी।
निष्कर्ष: कूटनीतिक सुनामी का सामना
इजराइल का अंतरराष्ट्रीय अलगाव बढ़ रहा है, लेकिन अमेरिकी समर्थन से यह दक्षिण अफ्रीका जैसा पूर्ण बहिष्कार नहीं बन पाया। यूरोपीय प्रतिबंध, क़तर सम्मेलन, और बहिष्कार की धमकियां नेतन्याहू सरकार पर दबाव बना रही हैं। यदि यह ‘डिप्लोमैटिक सुनामी’ जारी रही, तो इजराइल को नीतिगत बदलाव की मजबूरी हो सकती है।
BREAKING :
“Today, Ireland, Norway and Spain are announcing that we recognize the State of Palestine.” — Irish Prime Minister
Historic!
— sarah (@sahouraxo) May 22, 2024
क़तर पर इसराइली हमले के खिलाफ अरब-इस्लामी शिखर सम्मेलन: एकजुटता और कार्रवाई की मांग