इस्लामाबाद, (वेब वार्ता)। पाकिस्तान में एक बार फिर हिंदू समुदाय के खिलाफ बर्बरता की घटना सामने आई है. सिंध प्रांत के मीरपुरखास इलाके में रजिता कोल्ही नाम की एक हिंदू लड़की का अपहरण किया और फिर अपहरणकर्ताओं से उसकी जबरन शादी करा दी गई. कोर्ट में उसके बयान के बावजूद, उसने अपने परिवार के साथ रहने की इच्छा व्यक्त की. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने उसे सेफ हाउस दारुल अमन भेजने का फैसला किया.
अल्पसंख्यक अधिकार संगठन के सह-अध्यक्ष और संस्थापक शिव काछी ने एक्स पर पोस्ट किया, “एक हिंदू लड़की रजिता कोल्ही को कोर्ट में पेश किया गया. वहीं, एक अन्य मामले में पंजाब की एक मुस्लिम लड़की उसके परिजन को सौंप दिया. वह अपने प्रेमी के साथ शादी करने के लिए घर से भागी थी. इसी बीच, हिंदू लड़की ने राजिता ने भी रोते हुए जज से परिवार के साथ जाने की जिद की. हालांकि कोर्ट ने उसे लड़कियों के आश्रय गृह भेज दिया. पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय, सिंध उच्च न्यायालय और मानवाधिकार संगठनों को इस न्यायिक अन्याय पर तत्काल ध्यान देना चाहिए.”
शिव कच्छी ने कहा कि रजिता का अपहरण कर लिया गया और धर्म परिवर्तन के बाद आशिक अहमदानी से शादी कर ली गई, जो न्यू डंबलू के बादिन जिले का रहने वाला है. सिंध में हैदराबाद के सामाजिक कार्यकर्ता रविशंकर भील ने घटना की निंदा की और कहा, ‘सिंधी हिंदुओं पर हमेशा से अत्याचार होता रहा है, आज एक और अत्याचार हुआ है.’
विश्व सिंधी कांग्रेस के महासचिव लखु लुहाना ने एएनआई को बताया, “विश्व सिंधी कांग्रेस के अध्यक्ष ने रजिता कोल्ही के दिल दहला देने वाले वीडियो को देखकर गहरा दुख व्यक्त किया है. उसे जबरन अपहरण कर लिया गया था और जब अदालत में पेश किया गया तो उसने अपने माता-पिता के पास लौटने की इच्छा व्यक्त की.”बावजूद उसके रोने और मिन्नतों के बावजूद, जज ने उसे एक सेफ हाउस में भेज दिया. हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सिंध की बेटियों को बचाने में हमारी सहायता करने का आग्रह करते हैं.”
बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का सवाल उठाया. उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “पाकिस्तान में एक हिंदू लड़की के अपहरण का एक और मामला हिंदू समुदाय की सुरक्षा और भलाई के बारे में चिंता पैदा करता है, यह दर्शाता है कि पाक में अल्पसंख्यकों के लिए न्याय और नियमों में असमानताएं मौजूद हैं.” एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक, मुख्य रूप से हिंदू और ईसाई महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार जारी है, साथ ही उन्हें अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन, बलात्कार और किसी के साथ “शादी” के लिए मजबूर किए जाने का खतरा भी झेलना पड़ रहा है.