क्वेटा, (वेब वार्ता)। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मंगलवार को क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस पर बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के चरमपंथियों ने हमला करके उसे अपने कब्जे में ले लिया। इस ट्रेन में 425 यात्री सवार थे, समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबित पाकिस्तानी सेना ने 155 यात्रियों को छुड़ा लिया है और सरकार ने कहा है कि दर्जनों बंधकों को रिहा कराने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, हालांकि सरकार ने बंधकों की सटीक संख्या नहीं बताई है।
ट्रेन से रिहा हुए बंधकों ने बताया कि सुरक्षित जगह पर पहुंचने के लिए उन्हें कई घंटों तक पहाड़ी इलाकों से होकर गुजरना पड़ा। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अपने उन रिश्तेदारों को भी पीछे छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। बचाए गए लोगों में से कई को बुधवार सुबह सुरक्षा बलों की निगरानी में क्वेटा लाया गया, जहां उनके रिश्तेदार उनका इंतजार कर रहे थे।
ट्रेन में सवार मुहम्मद अशरफ ने बताया, “लोगों पर हमला किया गया…यात्री घायल हो गए और कुछ यात्रियों की मौत हो गई।” पाकिस्तानी टीवी चैनल जियो न्यूज ने कई चश्मदीदों के इंटरव्यू दिखाए हैं, जिनमें कई गवाहों ने कहा कि जब गोलीबारी हो रही थी तो सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें नीचे रहने के लिए कहा था। जियो ने न्यूज ने छूटने के बाद यात्रियों के अपने परिजनों से मिलने की तस्वीरें भी प्रसारित कीं।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तान रेलवे ने पंजाब और सिंध प्रांतों से बलूचिस्तान तक सभी ट्रेन ऑपरेशन को तब तक के लिए निलंबित कर दिया है जब तक कि सुरक्षा एजेंसियां इस क्षेत्र के सुरक्षित होने की पुष्टि नहीं कर देतीं।
दुर्गम इलाके में ट्रेन को बनाया निशाना
वरिष्ठ जिला पुलिस अधिकारी राणा दिलावर ने कहा, “प्रभावित ट्रेन अभी भी घटनास्थल पर है और हथियारबंद लोगों ने यात्रियों को बंधक बना रखा है।” उन्होंने कहा, “सुरक्षा बलों ने एक बड़ा अभियान चलाया है।” साथ ही उन्होंने बताया कि हेलिकॉप्टर और स्पेशल फोर्स को तैनात किया गया है।
स्थानीय अधिकारियों, पुलिस और रेलवे अधिकारियों ने बताया कि ट्रेन ऐसे इलाके में खड़ी है, जो पहाड़ियों और सुरंगों से घिरा हुआ है। पुलिस का कहना है कि गोलीबारी में गंभीर रूप घायल हुए ट्रेन चालक की मौत हो गई।
अलगाववादी चरमपंथी समूह बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने दावा किया कि उसने रेलवे ट्रैक को उड़ा दिया और “तुरंत ट्रेन पर कब्जा कर लिया।” बीएलए ने कहा कि वह सैन्य अभियान के जवाब में 10 लोगों को मौत के घाट उतार देगा।
क्या हैं बीएलए की मांग
बीएलए ने बलोच राजनीतिक कैदियों, कार्यकर्ताओं और लापता व्यक्तियों की 48 घंटे के भीतर रिहाई की मांग की है, उसका कहना है कि सेना ने उनका अपहरण कर लिया है। समूह ने कहा, “बीएलए बंधकों की अदला-बदली के लिए तैयार है।”
बलोच विद्रोहियों ने एक बयान में कहा, “अगर निर्धारित अवधि के भीतर हमारी मांगें पूरी नहीं की गईं या अगर कब्जा करने वाला राज्य इस दौरान कोई सैन्य कार्रवाई करने का प्रयास करता है तो सभी बंधकों को मार दिया जाएगा और ट्रेन को पूरी तरह से तबाह कर दिया जाएगा।”
अफगानिस्तान और ईरान की सीमा से लगे बलूचिस्तान प्रांत की आजादी की मांग करने वाले इस समूह ने कहा कि बंधकों में पाकिस्तानी सेना के सदस्य और छुट्टी पर आए दूसरे सुरक्षा अधिकारी शामिल हैं।
सेना और बीएलए के अलग-अलग दावे
सुरक्षाबल के एक सूत्र ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि हमले में कई लोगों की जान चली गई है। उसने बताया कि ट्रेन में सवार 425 यात्रियों में 80 सैन्यकर्मी भी शामिल थे। बीएलए के चरमपंथियों के मारे जाने के सेना के दावे पर बीएलए ने कहा कि उसे कोई नुकसान नहीं हुआ है। उसने कहा कि उसने 30 सैनिकों को मार डाला है और एक ड्रोन को मार गिराया है। पाकिस्तानी अधिकारियों की ओर से इसकी कोई पुष्टि नहीं की गई। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हमले की निंदा करते हुए कहा कि सुरक्षा बल चरमपंथियों को “खदेड़” रहे हैं।
बीएलए ने पत्रकारों को भेजे गए एक बयान में कहा, “नागरिक यात्रियों, खासकर महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और बलोच नागरिकों को सुरक्षित रिहा कर दिया गया है और उन्हें सुरक्षित रास्ता दिया गया है।” बयान में आगे कहा गया, “बीएलए आगे चेतावनी देता है कि अगर सैन्य दखल जारी रहा तो सभी बंधकों को मार दिया जाएगा।”
क्या है बलोच लिबरेशन आर्मी
बलोच लिबरेशन आर्मी 1964 से सक्रिय एक अलगाववादी संगठन है और पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के दक्षिण-पश्चिम में अफगानिस्तान और ईरान से सटी सीमा पर सक्रिय है। साल 2000 में पाकिस्तानी अधिकारियों पर हमले के बाद से चर्चा में आये इस संगठन की मांग है कि बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग एक स्वतंत्र देश का दर्जा दिया जाय। 2004 से बलोच लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तानी सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं।
बीएलए को पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान में काफी समर्थन है हालांकि संगठन अफगानिस्तान से अपनी गतिविधियां चलाता है। बीएलए उन कई समूहों में सबसे बड़ा है जो दशकों से सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं और उनका कहना है कि सरकार बलूचिस्तान के समृद्ध गैस और खनिज संसाधनों का अनुचित तरीके से दोहन कर रही है।