वाशिंगटन/इस्लामाबाद, (वेब वार्ता)। ऑपरेशन सिंदूर में बुरी तरह पराजित होने और वैश्विक मंचों पर अलग-थलग पड़ने के बावजूद पाकिस्तान का युद्धोन्मादी रवैया थमने का नाम नहीं ले रहा। पाकिस्तान के सेना प्रमुख और स्वयंभू “फील्ड मार्शल” असीम मुनीर ने एक बार फिर भारत के खिलाफ परमाणु हमले की धमकी दी है, और इस बार उन्होंने यह विवादित बयान अमेरिकी धरती पर दिया।
मुनीर इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं और फ्लोरिडा के टाम्पा स्थित ग्रैंड हयात होटल में पाकिस्तानी प्रवासी समुदाय द्वारा आयोजित एक विशेष डिनर में शामिल हुए। इसी दौरान, पाकिस्तानी कारोबारी अदनान असद और अन्य मेहमानों के सामने मुनीर ने कहा—
“अगर भारत के साथ जंग में पाकिस्तान का अस्तित्व खतरे में आया, तो हम आधी दुनिया को अपने साथ ले जाएंगे। हमारे पास मिसाइलों की कोई कमी नहीं है और हम किसी भी कीमत पर अपनी जमीन और पानी की रक्षा करेंगे।”
उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि सिंधु नदी भारतीयों की “खानदानी संपत्ति” नहीं है और भारत ने सिंधु जल समझौते का उल्लंघन कर 25 करोड़ पाकिस्तानी नागरिकों को भूख-प्यास के खतरे में डाल दिया है। मुनीर ने यहां तक कहा कि पाकिस्तान भारत के बांध बनने का इंतजार करेगा और “जब वह पूरा हो जाएगा, तो उसे मिसाइलों से उड़ा देगा।”
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत सरकार की ओर से इस बयान को गंभीर उकसावे और अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा बताया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत किसी भी परमाणु हमले की धमकी से डरने वाला नहीं है।
मोदी संसद और विभिन्न मंचों से कई बार दोहरा चुके हैं कि—
“ऑपरेशन सिंदूर समाप्त नहीं हुआ है, केवल स्थगित है। पाकिस्तान की ओर से किसी भी आतंकी कार्रवाई को एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा और उसका जवाब कड़े और निर्णायक तरीके से दिया जाएगा।”
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता
मुनीर का यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और कूटनीतिक अलगाव से जूझ रहा है। अमेरिकी और यूरोपीय सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की परमाणु धमकियां न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी खतरनाक हैं। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने बिना नाम लिए कहा कि “ऐसे बयान गैर-जिम्मेदाराना हैं और सभी पक्षों को संयम बरतना चाहिए।”
विशेषज्ञों की राय
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान का यह परमाणु बयानबाज़ी वाला रवैया घरेलू असंतोष और असफल नीतियों से ध्यान भटकाने की कोशिश है। विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की भाषा पाकिस्तान को और अधिक कूटनीतिक अलगाव में धकेल सकती है।