गाजा, (वेब वार्ता)। गाजा शहर पर इजरायल के पूर्ण नियंत्रण का प्लान गहराता जा रहा है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अंतरराष्ट्रीय विरोध और बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बावजूद इस इरादे को लेकर अपना रुख अडिग रखा है। गाजा पर हमास के अक्टूबर हमले के बाद इजरायल इस क्षेत्र में अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सैन्य कार्रवाई कर रहा है, लेकिन गाजा के भविष्य पर नेतन्याहू का यह स्पष्ट दृष्टिकोण एक बड़े विवाद को जन्म दे रहा है। दुनिया भर के नेता इस कदम के क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों को लेकर चिंतित हैं, जिससे पश्चिम एशिया में तनाव और बढ़ने की आशंका है।
गाजा पट्टी का ऐतिहासिक संदर्भ
गाजा पट्टी, भूमध्य सागर के तट पर स्थित एक छोटा लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इसका एक लंबा और जटिल इतिहास रहा है, जिसमें विभिन्न साम्राज्यों और सत्ताओं का शासन रहा है।
1917 तक यह क्षेत्र ऑटोमन साम्राज्य के अधीन था, जिसके बाद यह ब्रिटिश नियंत्रण में आ गया। 1948 में जब ब्रिटिश शासन समाप्त हुआ और इजरायल राज्य का गठन हुआ, तब यहूदियों और अरबों के बीच हिंसा बढ़ गई। इस दौरान हजारों फिलिस्तीनियों ने गाजा में शरण ली, और मिस्र की सेना ने इस पट्टी पर नियंत्रण कर लिया।
मिस्र का सैन्य शासन 1967 तक रहा, जब छह-दिवसीय युद्ध के बाद इजरायल ने गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया। 1987 में फिलिस्तीनियों का पहला इंतिफादा (विद्रोह) गाजा में भड़क उठा। 1994 में हुए ओस्लो समझौते के तहत, इजरायल ने फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) को गाजा पट्टी में सीमित स्वशासन के अधिकार सौंपने शुरू किए। हालांकि, 2007 से इस क्षेत्र पर कट्टरपंथी संगठन हमास का पूर्ण नियंत्रण है।
इजरायल ने तब से गाजा पट्टी पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, जिसमें बिजली कटौती और आयात प्रतिबंध शामिल हैं, जिससे इस क्षेत्र की मानवीय स्थिति लगातार बिगड़ती रही है।
इजरायल के गाजा पर पूर्ण नियंत्रण का प्लान
वर्तमान इजरायल-हमास संघर्ष, जो 7 अक्टूबर 2023 को हमास के इजरायल पर अचानक हुए हमले के बाद शुरू हुआ, ने गाजा के भविष्य पर इजरायल की योजनाओं को सामने ला दिया है।
इजरायल के सुरक्षा कैबिनेट ने गाजा शहर पर पूर्ण सैन्य नियंत्रण लेने की योजना को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट किया है कि इजरायल का लक्ष्य गाजा पर शासन करना या उसका विलय करना नहीं है, बल्कि हमास को पूरी तरह से खत्म करना है।
नेतन्याहू के युद्ध समाप्त करने के 5 सिद्धांत:
हमास का निरस्त्रीकरण
सभी बंधकों की रिहाई
गाजा पट्टी का विसैन्यीकरण
इजरायल द्वारा गाजा में अतिरिक्त सुरक्षा नियंत्रण स्थापित करना, जिसमें भविष्य के हमलों को रोकने के लिए एक सुरक्षा बफर जोन बनाना शामिल है
एक वैकल्पिक नागरिक प्रशासन की स्थापना जो न तो हमास हो और न ही फिलिस्तीनी प्राधिकरण
नेतन्याहू ने कहा है कि उनका उद्देश्य गाजा को एक ऐसी अरब शक्ति को सौंपना है जो उचित शासन करे और इजरायल के लिए खतरा न बने।
इजरायल का यह प्लान, गाजा सिटी पर कब्जा करने से शुरू होगा, जिसे गाजा का “दिल” माना जाता है। इजरायली ब्रिगेडियर जनरल (रिटायर्ड) अमीर अविबी के अनुसार, गाजा सिटी पर कब्जा करने से इजरायल को गाजा पट्टी के लगभग 85 प्रतिशत हिस्से पर नियंत्रण मिल सकता है।
नेतन्याहू का अडिग रुख
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू गाजा पर इजरायल के प्रस्तावित पूर्ण नियंत्रण के संबंध में अपने रुख पर अडिग हैं, चाहे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कितना भी विरोध क्यों न हो। उनका कहना है कि यह इजरायल की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
नेतन्याहू ने कई बार इस बात पर जोर दिया है कि हमास को पूरी तरह से हराए बिना गाजा में कोई भी स्थिर विकल्प काम नहीं करेगा। उन्होंने गाजा की मौजूदा समस्याओं, जैसे नागरिकों की मौत और सहायता की कमी के लिए भी हमास को जिम्मेदार ठहराया है।
नेतन्याहू ने इस बात से इनकार किया है कि इजरायल जानबूझकर गाजा की आबादी को भूखा मार रहा है। उन्होंने कहा:
“यदि इजरायल की ऐसी कोई नीति होती, तो दो साल के युद्ध के बाद गाजा में कोई भी जीवित नहीं बचता।”
उन्होंने दावा किया है कि भोजन, पानी और मेडिकल उपकरण से भरे सैकड़ों ट्रक इस क्षेत्र में प्रवेश कर चुके हैं और नागरिकों को युद्ध से दूर सुरक्षित क्षेत्रों में भेजा जा रहा है।
“हमारा लक्ष्य गाजा पर कब्जा करना नहीं है, हमारा लक्ष्य गाजा को आज़ाद कराना है।”
“हमास सभी बंधकों को रिहा कर दे और हथियार डाल दे तो युद्ध खत्म हो सकता है।”
नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी इस योजना पर चर्चा की है, जिन्होंने कथित तौर पर इजरायल के “दृढ़ समर्थन” की पुष्टि की है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिकी राष्ट्रपति किस अधिकार से गाजा पर कब्जा करेंगे या इसे लंबे समय तक अपने नियंत्रण में रखेंगे।
अंतरराष्ट्रीय विरोध और प्रतिक्रियाएं
संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र के सहायक महासचिव मिरोस्लाव जेंका ने सुरक्षा परिषद से कहा है कि इजरायल की इन योजनाओं को लागू करने से गाजा में एक और आपदा आ सकती है, जिसकी गूंज पूरे क्षेत्र में सुनाई देगी। उन्होंने चेतावनी दी है कि इससे जबरिया विस्थापन, हत्याएं और बड़े पैमाने पर विनाश होगा, जिससे फिलिस्तीनी आबादी की अकल्पनीय पीड़ा और बढ़ जाएगी।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस योजना को “बेहद खतरनाक” बताया है और कहा है कि यह बंधकों की जान को खतरे में डालेगा। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने गाजा में “भुखमरी” की स्थिति पर भी चिंता जताई है।
संयुक्त राज्य अमेरिका
अमेरिका ने इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका गाजा पट्टी पर कब्जा करेगा और वहां पड़े खतरनाक विस्फोटक बमों तथा अन्य हथियारों को नष्ट करने की जिम्मेदारी लेगा। उन्होंने गाजा के पुनर्निर्माण और हजारों नौकरियां पैदा करने की भी बात कही है। हालांकि, अमेरिका के अंदर और बाहर से इजरायल पर गाजा में मानवीय संकट को लेकर दबाव भी है।
यूरोपीय और अरब देश
यूरोपीय देशों ने इजरायल की कार्रवाई की आलोचना की है। जर्मनी ने गाजा में इस्तेमाल किए जा सकने वाले किसी भी सैन्य उपकरण के निर्यात पर रोक लगा दी है। ब्रिटेन ने इजरायल से इस फैसले पर दोबारा सोचने का आग्रह किया है। कई देशों में हजारों लोग सड़कों पर उतरकर इजरायल के इस कदम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
अरब देश
लगभग 20 अरब और मुस्लिम देशों ने इजरायल की इस योजना को अंतरराष्ट्रीय कानून का खुला उल्लंघन और अवैध कब्जे को मजबूत करने की कोशिश बताया है। उन्होंने एक संयुक्त बयान में इसे अंतरराष्ट्रीय वैधता के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई करार दिया है। जॉर्डन ने स्पष्ट किया है कि वह गाजा के भविष्य के लिए केवल वही फैसले स्वीकार करेगा जो फिलिस्तीनियों की सहमति से हों।
अरब देश गाजा के पुनर्निर्माण में मदद की इच्छा रखते हैं, लेकिन वे दो-राज्य समाधान की दिशा में काम करने के लिए फिलिस्तीनी प्राधिकरण की भागीदारी को अनिवार्य मानते हैं।
संभावित निहितार्थ और परिणाम
मानवीय संकट का गहराना
गाजा में पहले से ही एक गंभीर मानवीय संकट मौजूद है। क्षेत्र में भीषण गर्मी के कारण भोजन और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं भी लगभग असंभव हो गई हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय का कहना है कि स्थिति लगातार बदतर हो रही है।
राहत सामग्री पहुंचाने के प्रयासों के बावजूद, हवाई मार्ग से गिराई जा रही सहायता के कई पैराशूट नहीं खुले, जिससे कई लोगों की जान चली गई। गाजा में कुपोषण से मरने वाले बच्चों की संख्या 100 हो गई है, और वयस्कों में यह आंकड़ा 117 तक पहुंच गया है। इजरायल के इस सैन्य अभियान के परिणामस्वरूप हजारों लोगों का विस्थापन हो सकता है, जिससे मानवीय संकट और भी गहरा जाएगा।
दो-राज्य समाधान पर प्रभाव
इजरायल की गाजा पर पूर्ण नियंत्रण की योजना दो-राज्य समाधान की संभावनाओं को पूरी तरह समाप्त कर सकती है, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के स्थायी समाधान के रूप में देखता है।
क्षेत्रीय अस्थिरता
इस योजना से क्षेत्रीय तनाव और बढ़ सकता है। ईरान जैसे देशों ने इजरायल के इस कदम को “नरसंहार” बताया है और इस्लामिक सहयोग संगठन के देशों से एकजुट होने का आग्रह किया है। हिजबुल्लाह समूह ने भी इजरायल पर मिसाइल हमले किए हैं, जो संघर्ष के विस्तार का संकेत देते हैं।
इजरायल की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा
गाजा में व्यापक सैन्य अभियान और मानवीय त्रासदी के कारण इजरायल की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचा है। प्यू रिसर्च सेंटर के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि नीदरलैंड (78%), जापान (79%), स्पेन (75%), ऑस्ट्रेलिया (74%), तुर्की (93%) और स्वीडन (75%) जैसे देशों में इजरायल के प्रति नकारात्मक सोच बढ़ी है।
अमेरिका के समर्थन के बावजूद, इजरायल ने अपने कई पारंपरिक अंतरराष्ट्रीय साझेदारों को खो दिया है और वह अब वैश्विक कूटनीति में कटघरे में है। इससे उसकी विश्वसनीयता का संकट लंबे समय तक रह सकता है।
इजरायली सेना के शीर्ष जनरलों ने भी कथित तौर पर चेतावनी दी है कि गाजा में युद्ध को और बढ़ाना हमास द्वारा बंधक बनाए गए शेष इजरायलियों को खतरे में डाल देगा। यह भी माना जा रहा है कि जंग को तेज करने से लगभग दो सालों से क्षेत्रीय युद्धों में उलझी इजरायली सेना पर और दबाव पड़ेगा। बंधकों के कई परिवार भी इस योजना का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपने प्रियजनों को नुकसान पहुंचने का डर है।