Thursday, July 24, 2025
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जापानी प्रधानमंत्री जल्द छोड़ सकते हैं अपना पद : मीडिया

टोक्यो मुंबई, (वेब वार्ता)। अमेरिका के साथ हुए एक ऐतिहासिक व्यापार समझौते ने जापान की सियासत में भूचाल ला दिया है। इस समझौते के तुरंत बाद जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के इस्तीफे की खबरें सुर्खियों में हैं। इशिबा ने अपने करीबी सहयोगियों को यह संकेत दिया है कि वह जल्द ही अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। पीएम इशिबा ने कहा कि वह अमेरिका के साथ हुए टैरिफ समझौते का गहन अध्ययन करने के बाद इस्तीफा देने के संबंध में फैसला लेंगे।

पिछले सप्ताह के अंत में हुए चुनाव में इशिबा की सत्तारूढ़ पार्टी को ऐतिहासिक हार मिलने के बाद उन पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ गया है। उनके दल ‘लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी’ और सहयोगी दल ‘कोमिटो’ ने रविवार को 248 सदस्यीय उच्च सदन में बहुमत खो दिया है। इशिबा ने सोमवार को घोषणा की थी कि वह अमेरिका के साथ टैरिफ वार्ता समेत विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए पद पर बने रहेंगे। अमेरिका के साथ टैरिफ समझौते के बाद उनके संभावित इस्तीफे का रास्ता साफ हो गया है। जापानी मीडिया ने कहा है कि वह अगस्त में पद छोड़ने के बारे में घोषणा कर सकते हैं।

अमेरिका के साथ डील के लिए मजबूर हुआ जापान? क्या है व्यापार समझौता

ट्रंप द्वारा भारी टैरिफ लगाए जाने की धमकियों के चलते जापान को अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौते के लिए मजबूर होना पड़ा। 23 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में एक इवेंट के दौरान जापान के साथ अब तक के सबसे बड़े व्यापार समझौते की घोषणा की। इस डील के तहत जापान अमेरिका में 550 अरब डॉलर का निवेश करेगा और बदले में 15% रेसिप्रोकल यानी जवाबी टैरिफ चुकाएगा। ट्रंप ने इसे “इतिहास का सबसे बड़ा व्यापार समझौता” करार देते हुए दावा किया कि इससे लाखों नौकरियां पैदा होंगी और इसका 90% मुनाफा अमेरिका को मिलेगा। इस समझौते से अमेरिका को जापानी बाजारों में कार, ट्रक, चावल और अन्य कृषि उत्पादों के लिए बेहतर पहुंच मिलेगी।

जापान ने लंबे समय से चली आ रही अमेरिकी मांग को मानते हुए 15% जवाबी टैरिफ लागू करने पर सहमति जताई है। ट्रंप ने इस डील को अपनी व्यक्तिगत पहल का परिणाम बताया और कहा कि यह उनके निर्देशों पर हुआ है। जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने भी इस समझौते का स्वागत किया, लेकिन इसके तुरंत बाद उनकी अपनी सियासी जमीन खिसकती नजर आई।

विशेषज्ञों ती मानें तो यह डील ट्रंप की टैरिफ नीति के दबाव में हुई, क्योंकि ट्रंप ने पहले चेतावनी दी थी कि अगर 1 अगस्त 2025 तक समझौता नहीं हुआ, तो जापानी सामानों पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा। इस दबाव के कारण जापान ने समय रहते समझौता किया, ताकि भारी टैरिफ से बचा जा सके। हालांकि, जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने कहा है कि वे इस डील को पूरी तरह समझने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह समझौता कुछ हद तक दबाव में हुआ।

चुनाव में हार और इस्तीफे की अटकलें

जापान की संसद ‘डायट’ के उच्च सदन ‘हाउस ऑफ काउंसलर्स’ की 248 सीटों में से 124 पर रविवार को हुए चुनाव में इशिबा की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) और उनके गठबंधन सहयोगी कोमेइतो को करारी हार का सामना करना पड़ा। गठबंधन को बहुमत बनाए रखने के लिए 50 नई सीटें जीतने की जरूरत थी, लेकिन वे केवल 47 सीटें ही हासिल कर पाए। यह हार पिछले एक दशक से भी अधिक समय में सत्तारूढ़ गठबंधन की सबसे बड़ी हार मानी जा रही है।

योमिउरी अखबार के अनुसार, इशिबा ने मंगलवार शाम अपने करीबी सहयोगियों से कहा कि वह इस हार की जिम्मेदारी स्वीकार करेंगे और व्यापार समझौते के बाद इस्तीफा दे सकते हैं। हालांकि, इशिबा ने शुरू में यह कहा था कि वह बढ़ती कीमतों और अमेरिकी टैरिफ जैसे आर्थिक मुद्दों से निपटने के लिए पद पर बने रहेंगे। बुधवार को जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या यह व्यापार समझौता उनके फैसले को प्रभावित करेगा, तो उन्होंने कहा, “जब तक मैं समझौते के नतीजों की समीक्षा नहीं कर लेता, तब तक कुछ नहीं कह सकता।”

सियासी दबाव और विपक्ष की चुनौती

चुनाव में जैपनीज फर्स्ट संसेतो जैसी अति दक्षिणपंथी पार्टी ने अप्रत्याशित रूप से अच्छा प्रदर्शन किया। इस पार्टी ने इमिग्रेशन पर अंकुश, टैक्स में कटौती और बढ़ती कीमतों से जूझ रहे परिवारों को राहत देने के वादे किए थे, जिसके चलते इसने उच्च सदन में अपनी सीटें 1 से बढ़ाकर 14 कर लीं। इसने इशिबा के गठबंधन को कड़ी टक्कर दी।

हालांकि, उच्च सदन के पास अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार नहीं है, इसलिए हार के बावजूद तत्काल सरकार में बदलाव की संभावना नहीं है। फिर भी, इशिबा पर उनकी अपनी पार्टी के अति-रूढ़िवादी धड़े से इस्तीफा देने का दबाव बढ़ रहा है। विपक्ष के बिखरे होने के कारण सत्तारूढ़ गठबंधन को तत्काल उखाड़ फेंकना मुश्किल है, लेकिन इशिबा की स्थिति कमजोर हो रही है।

इशिबा का भविष्य और जापान की सियासत

इशिबा ने सितंबर 2024 में पूर्व प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के इस्तीफे के बाद पद संभाला था। किशिदा को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण इस्तीफा देना पड़ा था। इशिबा, जो रक्षा नीति के विशेषज्ञ और ताइवान के समर्थक माने जाते हैं, उन्होंने देश को आर्थिक और भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने के लिए नेतृत्व प्रदान करने की कोशिश की। लेकिन चुनावी हार और व्यापार समझौते के बाद पैदा हुए दबाव ने उनकी स्थिति को मुश्किल में डाल दिया है।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इशिबा का संभावित इस्तीफा जापान में राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ा सकता है, जैसा कि 2000 के दशक में देखा गया था। इशिबा के इस्तीफे की स्थिति में नया नेतृत्व चुनने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है, जो जापान की नीतियों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर असर डाल सकता है।

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