न्यूयॉर्क, (वेब वार्ता)। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और बहुपक्षीय सहयोग के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराते हुए ‘सीमा पार आतंकवाद को लगातार प्रायोजित करने’ के लिए पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि राजदूत पी हरीश ने पहलगाम में पर्यटकों पर किए गए आतंकवादी हमले के जवाब में भारत के आतंकवाद-रोधी अभियान का जिक्र किया और छद्म युद्ध से उत्पन्न बढ़ते खतरे का उल्लेख किया। उन्होंने चेतावनी दी कि मौजूदा संघर्षों को पाकिस्तान के सहयोग से गैर-सरकारी तत्व तेजी से बढ़ाते जा रहे हैं।
पी हरीश ने पाकिस्तान को उसकी असलियत बताते हुए भारत और पाकिस्तान की स्थिति का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘एक तरफ एक जीवंत लोकतंत्र, उभरती अर्थव्यवस्था और एक बहुलवादी समाज वाला भारत है तो दूसरी तरफ कट्टरता, आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय कर्ज पर लगातार निर्भर पाकिस्तान है। इस परिषद का एक सदस्य देश जिसका, आचरण पूरा विश्व जानता है, जो आतंकवाद का रहनुमा है और जिसकी आलोचना पूरी दुनिया करती है उसे कम से कम इस तरह के उपदेश नहीं देने चाहिए।”
भारतीय प्रतिनिधि ने सुरक्षा परिषद में एक उच्च स्तरीय खुली बैठक में आतंकवाद के मसले पर जमकर पाकिस्तान को लताड़ा और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का हवाला दिया जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। उन्होंने कहा कि इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन शुरू करते हुए पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में स्थित आतंकवादी शिविरों पर एक सटीक और आनुपातिक कार्रवाई की। उन्होंने कहा, ‘यह ऑपरेशन अपने उद्देश्यों को पूरा करने के बाद और पाकिस्तान के गिड़गिड़ाने पर शीघ्र ही समाप्त कर दिया गया था।
उन्होंने वैश्विक व्यवस्था में भारत की लंबे समय से निभाई जा रही रचनात्मक भूमिका की पुष्टि करते हुए कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्य के रूप में, भारत ने अधिक शांतिपूर्ण, समृद्ध, न्यायसंगत और समतापूर्ण विश्व को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ लगातार काम किया है।’ राजदूत ने मौजूदा विश्व की वास्तविक समस्याओं में संस्थागत सुधारों की अनिवार्यता पर ज़ोर देते हुए, कहा “वैश्विक सुरक्षा ढाँचे को आतंकवाद, कट्टरपंथ और असममित युद्ध जैसे समकालीन ख़तरों से निपटने पर भी ध्यान देना होगा।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रासंगिकता को देखते हुए इसकी विश्वसनीयता और प्रभावशीलता बहाल करने के लिए तत्काल सुधारों की आवश्यकता है।
पी हरीश ने शांति स्थापना और सतत विकास से लेकर मानवीय सहायता तक, संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न् कार्यक्रमाें में भारत के सक्रिय योगदान का उल्लेख भी किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सबसे बड़े योगदानकर्ता और शांति स्थापना में महिलाओं की भूमिका को आगे बढ़ाने में अग्रणी देश के तौर पर भारत की विशिष्टता का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा, “शांति और सुरक्षा से लेकर उपनिवेशवाद-विरोध, निष्पक्ष व्यापार और बहुपक्षवाद के प्रति भारत की प्रतिबद्धता सैद्धांतिक और व्यावहारिक है।”
उन्होंने जलवायु कार्रवाई, आपदा प्रतिरोध, वैश्विक स्वास्थ्य और विकास साझेदारी में भारत की अग्रणी भूमिका का जिक्र करते हुए कहा “भारत वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए बहुपक्षीय सहयोग में विश्वास करता है। हम क्षेत्रीय मानवीय संकटों में लगातार सबसे पहले मदद करने वाले देशों में से रहे हैं और नवीन विकास सहयोग प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र के साथ भागीदारी की है।” उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में जवाबदेही की आवश्यकता पर ज़ोर देकर कहा, “जो देश अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन करते हैं और सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करते हैं, उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।”
पी हरीश ने वैश्विक संघर्ष समाधान के बदलते परिदृश्य का जिक्र किया और संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के भविष्य तथा शांति बनाए रखने की बढ़ती प्रासंगिकता का उल्लेख करते हुए कहा “अफ्रीकी संघ जैसे क्षेत्रीय संगठनों ने सदस्य देशों के बीच विवादों को सुलझाने में प्रभावी योगदान दिया है। इसे और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।” संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय छह का हवाला देते हुए, उन्होंने विवाद समाधान के शांतिपूर्ण सिद्धांत पर ज़ोर देते हुए कहा कि यह विवादित पक्षों की ज़िम्मेदारी है कि वे अपनी पसंद के शांतिपूर्ण तरीकों से समाधान खोजें। किसी भी स्थायी शांति प्रक्रिया के लिए राष्ट्रीय स्वामित्व और आपसी सहमति आवश्यक है।”