इस्लामाबाद, (वेब वार्ता)। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मुसीबतें अभी कम नहीं हुई हैं. अभी तोशखाना केस में राहत मिले कुछ मिनट भी नहीं हुए थे कि इमरान खान को फिर एक अलग मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है. इमरान खान को सिफर मामले में गिरफ्तार किया गया है. कुछ देर पहले ही इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने तोशखाना केस के फैसले को निलंबित किय था और उनकी रिहाई के आदेश दिए थे.
पाकिस्तानी टीवी चैनल समा टीवी के मुताबिक, इमरान खान को सिफर केस में गिरफ्तार किया गया है और उन्हें 30 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट कोर्ट के जज अबुल हसनत जुलकुरनैन ने यह आदेश दिया है. बता दें कि इससे पहले इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की दोषसिद्धि और तीन साल की जेल की सजा पर मंगलवार को रोक लगा दी थी.
तोशाखाना केस में इमरान खान को बड़ी राहत, इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने दिए रिहाई के आदेश
दरअसल, मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीरी की खंड पीठ ने यह बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया था. खंड पीठ ने मामले में निचली अदालत के निर्णय को चुनौती देने वाली इमरान की याचिका पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस्लामाबाद की एक सत्र अदालत ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के 70 वर्षीय अध्यक्ष इमरान खान को तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में पांच अगस्त को तीन साल जेल की सजा सुनाई थी.
क्रिकेटर से नेता बने इमरान को 2018 से 2022 के बीच उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्हें और उनके परिवार को मिले राजकीय उपहारों को गैरकानूनी रूप से बेचने के आरोप में दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई गई थी. सत्र अदालत ने पीटीआई प्रमुख पर अगले पांच साल तक राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने पर भी रोक लगा दी थी, जिससे उनके आगामी चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लग गया था। इमरान ने निचली अदालत के फैसले को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
क्या है सिफर मामला?
साइफर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. सिफर एक गुप्त, प्रतिबंधित राजनयिक संचार है, जो किसी प्रकार की कोड भाषा में लिखा जाता है. इमरान खान पर आरोप है कि उन्होंने सिफर के जरिए बेहद गुप्त जानकारियों को अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया है. इमरान पर आरोप है कि उन्होंने अपने फायदे के लिए वाशिंगटन स्थित पाक एंबेंसी ने गुप्त जानकारी भेजी, जिसे सिफर केस के रूप में जाना जाता है.