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Wednesday, June 7, 2023

पाकिस्तान में हुआ वित्तीय आपातकाल का ऐलान, सरकारी कर्मचारियों पर गिरी गाज

इस्लामाबाद. कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान में सरकार को आखिर वित्तीय आपातकाल का ऐलान करना पड़ ही गया । प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि देश में वर्तमान वित्तीय आपदा और धन की भारी कमी के कारण आर्थिक आपातकाल के निर्देश जारी करना अनिवार्य हो गया है, अन्यथा आगे की वित्तीय तबाही से जनता के वेतन में रुकावट की स्थिति पैदा हो सकती है । पाक सरकार के अनुसार इन निर्देशों का क्रियान्वयन प्रत्येक सार्वजनिक/स्वायत्तशासी संगठन एवं वितरण पर अनिवार्य होगा।

गौरतलब है कि पाकिस्तान में बेहद गरम सियासी माहौल के बीच देश की अर्थव्यवस्था के श्रीलंका की राह पर जाने के संकेत मजबूत हो रहे हैं। नीति निर्माताओं को अंदेशा है कि आर्थिक हालात बिगड़ने से देश राजनीतिक अस्थिरता की तरफ जा सकता है। ताजा आंकड़े ने यहां सबकी चिंता बढ़ा दी है कि मौजूदा वित्त वर्ष में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट आ चुकी है। इसे देखते हुए अर्थशास्त्रियों ने देश में वित्तीय आपातकाल लागू करने की सलाह दी है, ताकि हालात को और बिगड़ने से रोका जा सके।

आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार पाकिस्तान की इस हालत के लिए चीन का ऋण जाल जिम्मेदार है।आर्थिक विशेषज्ञों पाक ने सरकार को गैर जरूरी रक्षा खर्च घटाने, 1600 सीसी से अधिक क्षमता वाले वाहनों पर इमरजेंसी टैक्स लगाने, बिजली शुल्क दो गुना करने और आठ सौ वर्ग गज से अधिक के आवासीय जायदाद पर कर लगाने की सलाह भी शाहबाज शरीफ सरकार को दी है। कुछ सलाहकारों का मानना है कि कामकाज के दिनों को भी कम कर के ईंधन और बिजली की वजह से पड़ने वाले आर्थिक बोझ से बचा जा सकता है।

सरकार ने आर्थिक आपातकाल के तहत निन्मलिखित निर्देश जारी किए हैं

  • अधिकारियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सभी सरकारी वाहनों को प्रति माह 120 लीटर से अधिक ईंधन नहीं दिया जाना चाहिए और स्थायी लॉक बुक का उपयोग अनिवार्य किया जाना चाहिए।
  • शहर/नगर/गाँव से कार्यालयीन कार्य के लिए बाहर जाने वाले कर्मचारियों को नियमानुसार दो DAS दिए जाएँ।
  • उनके ग्रेड और एक डीए से घटाकर सभी के वेतन से 25% से अधिक के सभी भत्तों को हटाकर वित्तीय कठिनाई को विनियमित करें।
  • सरकारी कर्मचारी तुरंत ग्रेड 11 से 21 तक के कर्मचारियों को देश की वित्तीय संकट तक किसी भी चिकित्सा बिल का भुगतान करने से बचें।
  • देश के ग्रेड 11 से 21 तक के कर्मचारियों के वेतन में कोई वृद्धि नहीं होनी चाहिए।
  • वेतन के साथ अध्ययन अवकाश देने की पहल को तत्काल बंद किया जाए।
  • संस्थाओं/संगठनों/स्वायत्त निकायों में कम वित्तीय संसाधनों वाले कर्मचारियों से पूरा काम लेने की नीति अपनाई जाए।
  • ग्रेड 7 से 21 तक के सभी स्थायी कर्मचारियों की पेंशन समाप्त करने के संबंध में नीति जारी की जाएगी।
  • सरकारी निर्देश को अनुसार इस विभाग द्वारा जल्द ही और जुलाई 2023 से इसे लागू करने के लिए एक रणनीति तैयार की जाएगी। हालांकि, जुलाई 2018 से पहले भर्ती होने वाले कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा ।
  • ग्रेड 7 से 21 तक के सभी स्थायी कर्मचारियों को उनके संबंधित पोर्टफोलियो में वार्षिक प्रगति और प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए वार्षिक वेतन वृद्धि दी जानी चाहिए।
  • ग्रेड 17 से 21 तक के सभी नियमित कर्मचारियों का अवकाश नकदीकरण तुरंत रोका जाए।  कर्मचारियों को 50% वेतन की कटौती के साथ दंडित किया जाना चाहिए और अन्य विशेषाधिकारों पर रोक लगाई जाए।
  • सरकारी कर्मचारियों को किसी भी प्रकार का बोनस या मानदेय देने की प्रथा पर तत्काल पूर्ण रूप से रोक लगाई जाए।

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