Monday, October 20, 2025
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फ्रांस, ब्रिटेन और कनाडा के बाद अब 14 देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता देने का समर्थन किया, इजराइल ने बताया ‘पाखंड’

ओटावा/तेल अवीव/यरुशलम, (वेब वार्ता)। मध्य पूर्व के तनावपूर्ण हालात के बीच फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश का दर्जा देने के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नया मोर्चा खुल गया है। फ्रांस, ब्रिटेन और कनाडा के बाद अब 14 देशों ने इजराइल के खिलाफ एकजुट होते हुए फिलिस्तीन को मान्यता देने का समर्थन किया है। इस कवायद को सितंबर में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में औपचारिक रूप से प्रस्तुत किया जाएगा।

कनाडा और माल्टा ने भी दिखाई हरी झंडी

कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने घोषणा की कि कनाडा 23 सितंबर से शुरू हो रही UNGA में फिलिस्तीन को औपचारिक मान्यता देगा।
हालांकि, इसके लिए उन्होंने कुछ शर्तें भी रखीं:

  • 2026 तक आम चुनाव कराना

  • हथियार मुक्त फिलिस्तीन

  • और हमास की सत्ता में कोई भूमिका न हो

कनाडा ने इन शर्तों के बारे में फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से बात कर सहमति भी प्राप्त कर ली है।

माल्टा के विदेश मंत्रालय ने भी इसी दिशा में कदम उठाते हुए फिलिस्तीन को सितंबर में मान्यता देने की बात कही है।

ब्रिटेन और फ्रांस की नीतियां

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा है कि यदि इजराइल हमास के साथ संघर्षविराम पर सहमत नहीं होता, तो उनका देश फिलिस्तीन को मान्यता देगा।

इसके विपरीत, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बिना किसी शर्त के फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश की मान्यता देने का समर्थन किया है, जो फ्रांस की दृढ़ राजनीतिक मंशा को दर्शाता है।

इजराइल की तीखी प्रतिक्रिया

इन घोषणाओं पर इजराइल की ओर से कड़ा विरोध जताया गया है।
इजराइल के विदेश मंत्रालय ने कहा:

“यह निर्णय गाजा में संघर्षविराम और बंधकों की रिहाई के प्रयासों को नुकसान पहुंचाएगा। यह पाखंड और समय की बर्बादी है।”

इजराइल का कहना है कि फिलिस्तीन को मान्यता देना तब तक अनुचित है, जब तक कि हमास को पूरी तरह सत्ता से बाहर नहीं किया जाता।

14 देशों ने संयुक्त बयान जारी कर जताया विरोध

अब इस मुद्दे पर एंडोरा, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, फ्रांस, आइसलैंड, आयरलैंड, लग्जमबर्ग, माल्टा, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, सान मारिनो, स्लोवेनिया और स्पेन जैसे देशों ने एकजुट होकर इजराइल के खिलाफ बयान जारी किया है।

इस पत्र में इन बातों पर बल दिया गया:

  • 7 अक्टूबर 2023 के हमले की निंदा

  • हमास से बंधकों की रिहाई की मांग

  • Two-State Solution का समर्थन

  • गाजा में महिलाओं और बच्चों की हत्याओं पर गहरी चिंता

  • युद्धविराम और मानवीय राहत की जरूरत

इस साझा बयान को फ्रांस के विदेश मंत्री जीन नोएल बैरट ने सार्वजनिक किया और अन्य देशों से भी इसमें शामिल होने का आग्रह किया।

UN में 147 देशों का समर्थन, फिर भी नहीं मिली मान्यता

फिलिस्तीन को अब तक संयुक्त राष्ट्र के 193 में से 147 देशों का समर्थन मिल चुका है, लेकिन वह अब तक पूर्ण सदस्यता या स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता नहीं प्राप्त कर सका है।

फिलिस्तीन 1970 के दशक से ही यह प्रयास कर रहा है, लेकिन अमेरिका और इजराइल जैसे शक्तिशाली देशों के विरोध के कारण यह प्रक्रिया अधूरी रही है।

गाजा में दो वर्षों से जारी संघर्ष, 60 हजार से अधिक मौतें

गाजा में इजराइल और हमास के बीच दो वर्षों से अधिक समय से जारी संघर्ष में अब तक

  • 60,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं

  • शरणार्थी शिविरों पर हमले

  • खाद्यान्न और चिकित्सा संकट

इससे गाजा में एक भयानक मानवीय आपदा उत्पन्न हो चुकी है, जिससे दुनिया भर में इजराइल पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा है।

निष्कर्ष: टू-स्टेट समाधान ही विकल्प?

अंतरराष्ट्रीय राजनीति के इस मोड़ पर स्पष्ट होता जा रहा है कि To-State Solution (इजराइल और फिलिस्तीन दोनों का सह-अस्तित्व) ही एकमात्र स्थायी विकल्प है।
14 देशों का एकजुट होकर इजराइल पर दबाव बनाना एक नई वैश्विक रणनीति की ओर संकेत करता है, जो आने वाले महीनों में मध्य पूर्व की तस्वीर बदल सकती है।

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