वॉशिंगटन, (वेब वार्ता)। चीन-अमेरिका की नोक-झोंक लगातार चलती रहती है. खबर आ रही है कि अमेरिका ने अब दो चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. दरअसल अमेरिका ने चीन पर उइगर मुसलमानों के जबरन श्रम का आरोप लगाया है. अमेरिका का कहना है कि चीन अपनी कंपनियों में जानबूझकर इन समुदायों के सदस्यों को प्रताड़ित कर रहा है, इसलिए अमेरिका ने चीन की बैटरी निर्माता कंपनी कैमल ग्रुप और मसाले बनाने वाली कंपनी चेंगुआंग बायोटेक ग्रुप के उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह जानकारी अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (डीएचएस) ने एक बयान में दी है.
डीएचएस ने अपने बयान में कहा कि चीन की इन दो कंपनियों के उत्पादों को बुधवार से देश में अनुमति नहीं दी जाएगी. यह फैसला मानवता को देखते हुए लिया गया है क्योंकि शिनजियांग में उइगर और अन्य धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ खुलेआम नरसंहार हो रहा है. मंगलवार को डीएचएस की अध्यक्षता में इंटरएजेंसी फोर्स्ड लेबर एनफोर्समेंट टास्क फोर्स (एफएलईटीएफ) ने चीन की इन दो कंपनियों को उइघुर फोर्स्ड लेबर प्रिवेंशन एक्ट (यूएफएलपीए) इकाई सूची में जोड़ा है.
डीएचएस के अनुसार, इन प्रतिबंधों का एक ही लक्ष्य है, वो है पश्चिमी चीनी प्रांत शिनजियांग में उइगर और अन्य धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ चल रहे नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए जवाबदेही को बढ़ावा देना. लेकिन बीजिंग ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि उइगरों के साथ-साथ अन्य अल्पसंख्यकों के प्रति उसकी नीतियां “अतिवाद” को रोकने के लिए आवश्यक हैं.
उइगरों के प्रति चीन का व्यवहार बीजिंग और वॉशिंगटन के बीच तनाव के कई बिंदुओं में से एक रहा है. अमेरिका ने 2020 में भी चीन पर उइगर मुसलमान के शोषण का आरोप लगाते हुए चीन की 11 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया था. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शिनजियांग की स्थिति को लेकर चीनी कंपनियों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ अब तक कई प्रतिबंध लगाए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ने दिसंबर 2021 में “उइगर जबरन श्रम रोकथाम अधिनियम” (UFLPA) पर हस्ताक्षर किया था.