कोलंबो, (वेब वार्ता)। अमेरिका ने श्रीलंका के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मज़बूत करने के उद्देश्य से एक बड़ा प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव के तहत अमेरिका चाहता है कि श्रीलंका उसकी ओर से निर्यात किए जाने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) सहित सभी अमेरिकी वाहनों को टैरिफ-मुक्त (शुल्क मुक्त) पहुँच प्रदान करे।
क्या है प्रस्ताव?
डेली मिरर अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और श्रीलंका के बीच चल रही टैरिफ समझौता वार्ताओं में यह प्रस्ताव सामने आया है। अमेरिकी पक्ष का कहना है कि इस प्रस्ताव के माध्यम से वह अपने व्यापार घाटे को कम करने के प्रयास में आगे बढ़ना चाहता है।
श्रीलंका की प्रतिक्रिया क्या रही?
हालांकि श्रीलंका ने अमेरिका के इस प्रस्ताव को सीधे तौर पर स्वीकार नहीं किया, लेकिन उसने चरणबद्ध तरीके से इस मुद्दे पर विचार करने की बात कही है। विशेषज्ञों का मानना है कि श्रीलंका इस प्रस्ताव को लेकर सतर्क है क्योंकि इससे उसके घरेलू उत्पादकों पर दबाव बढ़ सकता है।
टैरिफ दरों में हुआ बदलाव
श्रीलंका ने हाल ही में टैरिफ दरों को मूल रूप से प्रस्तावित 44% से घटाकर 20% कर दिया है। यह दर बांग्लादेश और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धी देशों के बराबर मानी जा रही है। वियतनाम और बांग्लादेश में भी इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैरिफ दर लगभग 20% ही है।
अमेरिका और श्रीलंका के व्यापार संबंध
वर्ष 2024 में अमेरिका और श्रीलंका के बीच कुल वस्तु व्यापार लगभग 3.4 बिलियन डॉलर का था। इस व्यापार में सबसे बड़ा हिस्सा श्रीलंका के परिधान निर्यात का रहा है, जो अमेरिकी बाज़ार में प्रमुख रूप से लोकप्रिय हैं।
अमेरिका को ईंधन निर्यात की योजना
श्रीलंका ने अपने व्यापार घाटे को संतुलित करने के प्रयासों में अमेरिकी कंपनियों से ईंधन खरीदने का प्रस्ताव दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सीलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने अमेरिका में उत्पादित कच्चे तेल के नमूने मंगवाए हैं, ताकि उनकी गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जा सके।
चीन से टकराव की स्थिति
श्रीलंका ने परिधान उद्योग के लिए कच्चे माल के आयात पर प्रतिबंध लगाने के चीन के अनुरोध का विरोध किया है। चीन और अमेरिका दोनों ही विश्व स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन में अग्रणी हैं। वर्तमान में श्रीलंका चीन से BYD जैसे इलेक्ट्रिक वाहन आयात करता है।
क्या बदल सकता है यह प्रस्ताव?
यदि श्रीलंका अमेरिका के प्रस्ताव को मान लेता है, तो अमेरिका को अपने वाहनों के लिए नया बड़ा बाजार मिल सकता है। दूसरी ओर, श्रीलंका को आधुनिक तकनीक और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प मिलेंगे, लेकिन स्थानीय उद्योगों को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।