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Friday, December 1, 2023

‘मेरे हिंदू धर्म के कारण…’ अमेरिका में राष्ट्रपति पद के दावेदार ने बताई ताकत

वाशिंगटन डीसी, (वेब वार्ता)। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी से उम्मीदवारी के दावेदार विवेक रामास्वामी ने अपने ‘हिंदू’ आस्था के बारे में खुलकर बात की और इस बात पर जोर दिया कि यह उन्हें आजादी प्रदान करता है और उन्हें नैतिक दायित्व के रूप में इस राष्ट्रपति अभियान को शुरू करने के लिए प्रेरित करता है.

द डेली सिग्नल प्लेटफॉर्म द्वारा शनिवार को आयोजित ‘द फैमिली लीडर’ फोरम में बोलते हुए, भारतीय-अमेरिकी उद्यमी ने अगली पीढ़ी के लाभ के लिए साझा मूल्यों को बढ़ावा देने के अपने इरादे को व्यक्त करते हुए हिंदू और ईसाई धर्म की शिक्षाओं के बीच समानताएं गिनाईं.

रामास्वामी ने कहा, “मेरी आस्था ही मुझे आज़ादी देती है. मेरी आस्था ही मुझे इस राष्ट्रपति अभियान तक ले गई… मैं एक हिंदू हूं. मेरा मानना है कि एक ही सच्चा ईश्वर है. मेरा मानना है कि भगवान ने हममें से प्रत्येक को यहां एक मकसद के लिए रखा है. मेरा विश्वास हमें सिखाता है कि उस उद्देश्य को साकार करना हमारा एक कर्तव्य है, एक नैतिक कर्तव्य है. ये भगवान के उपकरण हैं, जो अलग-अलग तरीकों से हमारे माध्यम से काम करते हैं, लेकिन हम अभी भी समान हैं, क्योंकि भगवान हम में से प्रत्येक में निवास करते हैं. यही मेरी आस्था का मूल है.

रिपब्लिकन नेता ने अपनी परवरिश के बारे में बोलते हुए कहा कि उनमें परिवार, शादी और माता-पिता के प्रति सम्मान जैसे मूल्य पैदा हुए थे. रामास्वामी ने कहा, ‘मैं एक पारंपरिक घर में पला-बढ़ा हूं. मेरे माता-पिता ने मुझे सिखाया कि परिवार ही नींव है. अपने माता-पिता का सम्मान करें. शादी पवित्र है. शादी से पहले संयम रखना ही रास्ता है. व्यभिचार गलत है. शादी एक पुरुष और एक महिला के बीच होती है. तलाक है सिर्फ कुछ प्राथमिकताएं नहीं जो आप चुनते हैं… आप भगवान के सामने शादी करते हैं और आप भगवान तथा अपने परिवार के प्रति शपथ लेते हैं.’

ओहियो स्थित बायो-टेक उद्यमी ने हिंदू और ईसाई धर्मों के बीच समानताएं भी बताईं और कहा कि ये भगवान के ‘साझा मूल्य’ हैं, और वह उन साझा मूल्यों के लिए खड़े रहेंगे. उन्होंने आगे कहा, ‘क्या मैं ऐसा राष्ट्रपति बन सकता हूं जो पूरे देश में ईसाई धर्म को बढ़ावा दे सके? मैं नहीं बन सकता… मुझे नहीं लगता कि हमें अमेरिकी राष्ट्रपति से ऐसा कराना चाहिए… लेकिन क्या मैं उन लोगों के साझा मूल्यों के लिए खड़ा रहूंगा? क्या मैं उन्हें उन उदाहरणों को बढ़ावा दूंगा जो हम अगली पीढ़ियों के लिए निर्धारित करते हैं? आप बिल्कुल सही हैं, मैं करूंगा! क्योंकि यह मेरा कर्तव्य है.’

गौरतलब है कि 38 वर्षीय विवेक रामास्वामी दक्षिण पश्चिम ओहियो के मूल निवासी हैं. उनकी मां एक वृद्ध मनोचिकित्सक थीं और उनके पिता जनरल इलेक्ट्रिक में इंजीनियर के रूप में काम करते थे. उनके माता-पिता केरल से अमेरिका चले गए. विवेक रामास्वामी के राष्ट्रपति अभियान ने ध्यान आकर्षित किया है, और वह जीओपी प्राथमिक चुनावों में आगे बढ़े हैं, हालांकि जनसमर्थन के मामले में वह अभी भी ट्रम्प और फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस से पीछे चल रहे हैं.

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