काबुल, (वेब वार्ता)।अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांतों में 31 अगस्त 2025 की रात आए 6.0 तीव्रता के भीषण भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। नवीनतम रिपोर्ट्स के अनुसार, इस प्राकृतिक आपदा में कम से कम 812 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 2,835 लोग घायल हुए हैं। भूकंप का केंद्र नंगरहार प्रांत के कुज कुनर जिले में था, जो कुनर प्रांत के नुर्गल जिले की सीमा के पास स्थित है। इसने नुर्गल, सूकी, वतपुर, मानोगी और चपे-दरे जैसे दूरदराज के इलाकों को बुरी तरह प्रभावित किया। स्थानीय अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि कई गांवों तक राहत और बचाव टीमें अभी तक नहीं पहुंच पाई हैं।
🚨 अफगानिस्तान में 6.0 तीव्रता का भूकंप: कुनर-नंगरहार में 812 की मौत, 2835 घायल। राहत कार्यों में भूस्खलन बना रुकावट। तालिबान ने मांगी वैश्विक मदद। 🌍 #AfghanistanEarthquake #KunarDisaster #EarthquakeRelief #GlobalAid #afghanistanquake #earthquake #Kunar https://t.co/mwyaZUc0y7 pic.twitter.com/Vt6rCuaYIe
— Webvarta News Agency (@webvarta) September 1, 2025
भूकंप की तीव्रता और तबाही
रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.0 मापी गई, और इसका केंद्र जमीन से केवल 8 किलोमीटर की गहराई पर था। एपिसेंटर जलालाबाद से 27 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित था। इस उथली गहराई के कारण भूकंप का प्रभाव और विनाशकारी रहा। भूकंप ने कुनर, नंगरहार और लगhman प्रांतों में भारी नुकसान पहुंचाया, जहां 600 से अधिक घर क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गए। अधिकांश मौतें कुनर प्रांत में हुईं, जहां नुर्गल जिले और मजार-ए-दरा गांव में दर्जनों लोग मारे गए। नंगरहार में 12 मौतें और 255 घायल, जबकि लगhman में 80 लोग घायल हुए। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में मलबे में दबे घर और घायलों को निकालने की कोशिश करते लोग दिखाई दे रहे हैं।
“कई गांव पूरी तरह तबाह हो गए हैं। मलबे में लोग दबे हुए हैं, और सड़कें टूटने से राहत कार्यों में भारी मुश्किलें आ रही हैं।” – तालिबान प्रशासन प्रवक्ता
राहत और बचाव कार्यों में चुनौतियां
तालिबान प्रशासन के प्रवक्ता ने बताया कि राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं, लेकिन पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और टूटी सड़कों के कारण टीमें प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचने में असमर्थ हैं। हेलिकॉप्टरों के जरिए घायलों को निकाला जा रहा है, और जलालाबाद के अस्पतालों में सैकड़ों घायलों का इलाज चल रहा है। तालिबान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हेलिकॉप्टर, चिकित्सा सहायता और आपातकालीन संसाधनों की मांग की है, क्योंकि कई क्षेत्रों तक सड़क मार्ग से पहुंचना असंभव हो गया है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि कच्चे और पक्के मकानों में भारी नुकसान हुआ है। कुनर प्रांत के पहाड़ी इलाकों में मिट्टी और पत्थर से बने घर इस भूकंप को सहन नहीं कर सके, जिससे कई परिवार बेघर हो गए हैं। चिकित्सा शिविर स्थापित किए जा रहे हैं, और भोजन-पानी की आपूर्ति की मांग बढ़ गई है।
अफगानिस्तान में भूकंप का इतिहास और भूगर्भीय पृष्ठभूमि
हिंदू कुश क्षेत्र भूकंपीय गतिविधियों के लिए जाना जाता है, जहां यूरेशियन और भारतीय टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में टकराती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना इसे भूकंपों के प्रति संवेदनशील बनाती है। 2023 में हेरात प्रांत में आए 6.3 तीव्रता के भूकंप ने 1,500 से 4,000 लोगों की जान ली थी, जो हाल के वर्षों में अफगानिस्तान की सबसे घातक प्राकृतिक आपदा थी। 2022 में पकतीका प्रांत में भी एक भूकंप ने 1,000 से अधिक लोगों की जान ली थी।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील
तालिबान सरकार के पास सीमित संसाधनों के कारण राहत कार्यों में कठिनाई हो रही है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवीय संगठनों से तत्काल मदद की उम्मीद की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र के आपदा प्रबंधन विभाग ने कहा कि वे प्रभावित क्षेत्रों का आकलन करने के लिए जल्द ही अपनी टीमें भेजेंगे। ईरान के विदेश मंत्री ने चिकित्सा आपूर्ति सहित मानवीय सहायता की पेशकश की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस त्रासदी पर शोक व्यक्त करते हुए अफगानिस्तान के लोगों के साथ एकजुटता दिखाई है।
अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने राहत सामग्री भेजने की तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन पहाड़ी इलाकों और सीमित संचार सुविधाओं के कारण चुनौतियां बनी हुई हैं। तालिबान सरकार ने कहा कि वे सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन वैश्विक सहायता के बिना स्थिति को संभालना मुश्किल है।
निष्कर्ष
यह भूकंप अफगानिस्तान के लिए एक और बड़ा झटका है, जो पहले से ही युद्ध, आर्थिक संकट और प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है। कुनर और नंगरहार प्रांतों में हुए इस भूकंप ने सैकड़ों परिवारों को बेघर कर दिया है, और घायलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानवीय संगठनों को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है ताकि और जानमाल का नुकसान रोका जा सके।