नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। 1988 में ‘दूरदर्शन’ में प्रसारित वो शो, जिसको देखने के लिए उस दौर में गांव-देहात में लोग एक साथ इकठ्ठा हो जाया करते थे. शो प्रसारित होता था तो लोग हाथ जोड़कर बैठ जाया करते थे. सड़के सुनसान हो जाती थीं, क्योंकि लोग शो को एक मिनट के लिए भी मिस नहीं करना चाहते थे. शो का एक-एक किरदार लोगों के जहन में आज भी बसा है, लेकिन एक किरदार ऐसा है, जिसकी लोगों ने बहुत प्यार दिया और कईयों ने तो उसे पूजा भी. ये किरदार है महाभारत के भगवान श्रीकृष्ण का. लोग आज भी उनकी एक्टिंग के कायल हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं उन्होंने शो में ‘विदुर’ के लिए स्क्रीन टेस्ट दिया था और वह ये किरदार करना ही नहीं चाहते थे.
महाभारत के भगवान श्रीकृष्ण के अवतार में नीतीश भारद्वाज नजर आए. इस रोल ने उन्हें घर घर में फेमस कर दिया, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वो ये रोल करना ही नहीं चाहते थे. इस रोल को बड़ी चतुराई से बीआर. चोपड़ा ने उन्हें समझाया और शो के खत्म होने के बाद उन्हें खत भेजा था. क्यों भेजा था वो खत आज आपको बताते हैं.
न ‘विदुर’ बने न ‘अभिमन्यु’
नीतीश जब ऑडिशन देने गए तो पहले उन्होंने ‘विदुर’ के लिए स्क्रीन टेस्ट दिया. ये रोल उनके हाथ में आते-आते निकल गया. इसके बाद उन्होंने शो में ‘अभिमन्यु’ का किरदार निभाना चाहा, लेकिन उनकी किस्मत में तो कुछ और ही लिखा था. ये रोल उन्हें नहीं मिला और वो रोल ऑफर हुआ, जिसके लिए उन्होंने सोचा भ नहीं था. शो में उन्हें ‘कृष्ण’ को रोल मिला, जिसके लिए वह बिलकुल राजी नहीं थे.
क्यों नहीं करना चाहते थे ये रोल?
इस रोल को निभाने के लिए मेकर्स के कई बार फोन भी आए, लेकिन उन्होंने इसे इग्नोर कर दिया. इसके बाद बीआर चोपड़ा ने नीतीश को फोन किया. उन्होंने कहा तुमको काफी समय से अच्छे रोल की तलाश थी, लेकिन तुम्हें फोन किया जा रहा था तुमने उठाया नहीं. दरअसल, नीतीश की उस वक्त बहुत ज्यादा उम्र नहीं थी, यही वजह थी कि वो चाहते थे इस किरदार को कोई उम्रदराज शख्स निभाए.
शो से क्या रहा समोसा कनेक्शन?
नीतीश भारद्वाज ने एक इंटरव्यू में बताया था कि इस रोल के लिए बीआर चोपड़ा ने उन्हें बड़ी चतुराई से रोल समझाया. उन्होंने बताया कि रवि चोपड़ा को पता था कि समोसा और कचौरी मेरी कमजोरी है. बीआर चोपड़ा ने कास्टिंग टीम के साथ मझे और बाकी लोगों को समोसा और चाय मंगवाए. फिर पं. नरेंद्र शर्मा और डॉ. राही मासूम रजा ने मुझे ये रोल समझाया. उन्होंने आगे कहा, जब मैंने घर जाकर अपने माता-पिता को इस रोल के बारे में बताया तो उन्होंने भी बहुत समझाया और मुझे फिर मानना पड़ा और मैं रोल के लिए राजी हो गया.
महाभारत के ‘कृष्ण’ बनने के लिए नीतीश भारद्वाज के माता-पिता ने भी उन्हें प्रोतसाहित किया. फाइल फोटो.
रविवार को नहीं होता था काम
उन्होंने अपना वो शो याद किया और बताया कि कैसे सब जोश के साथ हफ्ते के 6 दिन लगे रहते थे. नीतीश ने कहा कि 1988 में वो टैक्नोलॉजी नहीं थी, जो आज मौजूद है. हम सभी ने बहुत मेहनत करते थे. कई दिन हम 14-16 घंटे काम करते थे. लेकिन बीआर चोपड़ा का एक नियम था कि वह हम सभी को रविवार को एक दिन छुट्टी जरुर देते थे.
बीआर चोपड़ा ने क्यों भेजा था खत!
नीतीश भारद्वाज इंटरव्यू में बताया कि बीआर. चोपड़ा ने कभी किसी की सामने तारीफ नहीं करते थे. उन्होंने शो के खत्म होने के बाद उन्हें एक खत भेजा, जिसमें उन्होंने मेरे काम सराहना की थी. ये तब की बात है जब डीडी मेट्रो पर दोबारा महाभारत देखी जा रही थी.