Monday, December 22, 2025
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राकेश रावत की फिल्म ‘अलमारी का अचार’ ने रचा इतिहास, जर्मनी में जीता ‘बेस्ट शॉर्ट फिल्म’ का अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड

मुंबई, (वेब वार्ता)। भारतीय शॉर्ट फिल्मों की सशक्त आवाज बनकर उभरी ‘अलमारी का अचार’ ने जर्मनी में आयोजित 22वें इंडियन फिल्म फेस्टिवल स्टटगार्ट 2025 में ‘बेस्ट शॉर्ट फिल्म’ का जर्मन स्टार ऑफ इंडिया अवॉर्ड जीतकर भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय पटल पर रोशन किया है। इस भावनात्मक और संवेदनशील कहानी को निर्देशक राकेश रावत ने अपनी सटीक दृष्टि और रचनात्मक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया है।

एक प्रेम कहानी जो सामाजिक सीमाओं को तोड़ती है

‘अलमारी का अचार’ एक समलैंगिक जोड़े की जद्दोजहद और पहचान की तलाश की कहानी है। यह फिल्म उस संघर्ष को उकेरती है, जो भारत जैसे पारंपरिक समाज में LGBTQ+ समुदाय को झेलना पड़ता है।

फिल्म इस बात को उजागर करती है कि कैसे एक प्यार भरा रिश्ता समाज, परिवार और परंपराओं की दीवारों से टकराकर भी अपनी पहचान की रोशनी ढूंढ़ता है।

मनवेन्द्र त्रिपाठी और मनोज शर्मा की दमदार अदाकारी

फिल्म में मुख्य किरदार निभाने वाले मनवेन्द्र त्रिपाठी और मनोज शर्मा ने संवेदनशीलता और गहराई के साथ अपने किरदारों को परदे पर जीवंत कर दिया। उनके भावनात्मक संवाद और संवादहीन दृश्यों में झलकती पीड़ा दर्शकों को भीतर तक छू जाती है।

तकनीकी उत्कृष्टता का संगम

निर्देशक राकेश रावत ने इस फिल्म को एक संपूर्ण दृश्यात्मक अनुभव में बदलने के लिए न सिर्फ निर्देशन किया, बल्कि कैमरावर्क और एडिटिंग की जिम्मेदारी भी स्वयं संभाली। फिल्म की कहानी, पटकथा और संवाद विशाल नाहर द्वारा लिखे गए हैं।

संगीतकार कनिष शर्मा ने न केवल मधुर संगीत रचा, बल्कि गायक के रूप में भी फिल्म को भावनात्मक गहराई दी। कनिष ने इस फिल्म की जीत के बाद अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में पूरी टीम को बधाई दी और इसे एक “संघर्ष और गर्व की यात्रा” कहा।

निर्देशक राकेश रावत की भावनात्मक प्रतिक्रिया

राकेश रावत ने फिल्म की जीत की जानकारी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा:

“हमने इंडियन फिल्म फेस्टिवल स्टटगार्ट में ‘बेस्ट शॉर्ट फिल्म’ का पुरस्कार जीता। बहुत सारी शानदार फिल्मों के बीच से हमारी फिल्म को चुना गया। यह हमारे लिए बहुत बड़ा सम्मान है।”

उन्होंने आगे कहा:

“यह पुरस्कार एक नई जिम्मेदारी भी है कि मैं इस फिल्म को और आगे ले जाऊं और हर वर्ग तक इसकी कहानी को पहुंचाऊं।”

भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय पहचान

‘अलमारी का अचार’ की यह जीत भारतीय शॉर्ट फिल्मों के लिए एक नई मिसाल है। यह दर्शाता है कि अब भारतीय फिल्में केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक मुद्दों की गूंज को वैश्विक मंच तक ले जाने का माध्यम भी बन रही हैं।

निष्कर्ष

‘अलमारी का अचार’ न केवल एक फिल्म है, बल्कि एक भावनात्मक दस्तावेज़ है, जो आज के सामाजिक परिवेश में स्वीकृति और समानता की आवश्यकता को उजागर करती है। इस फिल्म ने भारत की कलात्मकता, संवेदनशीलता और रचनात्मकता को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत कर देश के गौरव को नई ऊंचाई दी है।

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