नई दिल्ली/मुंबई, (वेब वार्ता)। चीनी (sugar) के दामों में बढ़ोतरी हो रही है। दाम बढ़ने का कारण चीनी के उत्पादन में कमी होना है। उत्पादन की कमी वजह से की चीनी की कीमतों ने भारी उछाल दर्ज किया है। व्यापारियों और इंडस्ट्री के अधिकारियों ने कहा कि चीनी की कीमतें एक पखवाड़े में 3 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर छह साल में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। ये सिलसिला यहीं थमने वाला नहीं है। आने वाले महीनों में भी कीमतों और उछाल की आशंका जताई गई है।
चीनी की उत्पादन में क्यों आई कमी?
देश के प्रमुख चीनी उत्पादन में कमी का मुख्य वजह कम बारिश है। यही नहीं चीनी उत्पादक क्षेत्राें में कम बारिश ने आगामी सीजन के लिए गन्ना उत्पादन संबंधी चिंताएं बढ़ा दी हैं, जिस वजह से बाजार में चीनी की कीमतों में उछाल तेजी से देखने को मिल रहा है। कीमतों में बढ़ोत्तरी के चलते खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने का अनुमान है। ऐसे में चीनी निर्यात रोका जा सकता है।
नए सीजन में उत्पादन में आ सकती है भारी गिरावट
बॉम्बे शुगर मर्चेंट्स एसोसिएशन (Bombay Sugar Merchants Association) के अध्यक्ष अशोक जैन (Ashok Jain) ने कहा कि सूखे के कारण नए सीजन में उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है। उत्पादक कम कीमत पर चीनी बेचने को तैयार नहीं हैं। वहीं, डीलरों ने कहा कि ऊंची कीमतों से बलरामपुर चीनी, द्वारिकेश शुगर, श्री रेणुका शुगर्स और डालमिया भारत शुगर जैसे उत्पादकों के मार्जिन में सुधार होगा, जिससे उन्हें किसानों को समय पर भुगतान करने में मदद मिलेगी।
नए सीजन में 3.3 प्रतिशत घट सकती है चीनी उत्पादन
1 अक्टूबर से शुरू होने वाले नए सीजन में चीनी उत्पादन 3.3 प्रतिशत घटकर 31.7 मिलियन मीट्रिक टन हो सकता है, क्योंकि कम बारिश के कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की पैदावार प्रभावित हो सकती है। इन दोनों राज्यों से कुल गन्ना उत्पादन का आधे से अधिक हिस्सा आता है।
अक्टूबर 2017 के बाद सबसे ज्यादा हाई रेट
चीनी की कीमत मंगलवार को बढ़कर 37,760 रुपये ($454.80) प्रति मीट्रिक टन हो गईं, जो अक्टूबर 2017 के बाद सबसे अधिक है। भारतीय कीमतें वैश्विक सफेद चीनी बेंचमार्क से लगभग 38% कम हैं। मुंबई के एक व्यापारी ने कहा कि आने वाले महीनों में चीनी की कीमतें और बढ़ सकती हैं क्योंकि स्टॉक गिर रहा है और त्योहारी सीजन नजदीक आ रहा है।
इंपोर्ट में आ सकती है रुकावट
अशोक जैन ने कहा कि चीनी की मूल्य वृद्धि भारत सरकार को नए सत्र में निर्यात की अनुमति देने से रोक सकती है। भारत ने मिलों को चालू सीजन के दौरान 30 सितंबर तक केवल 6.1 मिलियन मीट्रिक टन चीनी निर्यात करने की अनुमति दी, जबकि पिछले सीजन में उन्हें रिकॉर्ड 11.1 मिलियन मीट्रिक टन बेचने की अनुमति दी गई थी।