नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट को 5.5% पर बरकरार रखने का निर्णय लिया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि वर्तमान वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू आर्थिक स्थिरता को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।
📊 क्यों नहीं बदली गई रेपो रेट?
RBI गवर्नर ने बताया कि फरवरी से अब तक रेपो दर में कुल 100 बेसिस पॉइंट (1%) की कटौती की जा चुकी है। इस साल फरवरी और अप्रैल में 25-25 बीपी की कटौती की गई थी, जबकि जून 2025 में 50 बीपी की बड़ी कटौती की गई थी। अब जबकि ट्रांसमिशन प्रक्रिया जारी है, आरबीआई ने फिलहाल किसी नई कटौती या वृद्धि से परहेज किया है।
गवर्नर ने कहा:
“वैश्विक स्तर पर टैरिफ अस्थिरता और मुद्रास्फीति दबावों को देखते हुए मौजूदा पॉलिसी दर को यथावत रखने का फैसला किया गया है। सभी सदस्य न्यूट्रल रुख पर सहमत हैं।”
🧾 रेपो रेट क्या होती है और यह कैसे प्रभावित करती है आम जनता को?
रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को कम अवधि के लिए कर्ज देता है। इसका सीधा प्रभाव आम लोगों की ईएमआई (EMI), ऋण की दरों और बैंकिंग उत्पादों पर पड़ता है।
स्थिति | प्रभाव |
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रेपो रेट बढ़े | लोन महंगे, EMI बढ़ती है |
रेपो रेट घटे | लोन सस्ते, लेकिन FD ब्याज दर घटती है |
इसलिए, जब RBI रेपो दर में बदलाव करता है, तो बैंक भी अपने ब्याज दरों में परिवर्तन करते हैं, जिससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की EMI प्रभावित होती है।
📅 बैठक और बाजार की प्रतिक्रिया
यह वित्त वर्ष 2025-26 की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा थी, जो 4 अगस्त से 6 अगस्त तक चली। विशेषज्ञों के अनुसार, 60% बाजार विश्लेषकों ने पहले ही अनुमान लगाया था कि इस बार दरों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
हालांकि, कुछ विश्लेषकों को 25 बीपी की अतिरिक्त कटौती की उम्मीद थी, लेकिन सरकार द्वारा आर्थिक विकास दर में सुधार की संभावनाओं को देखते हुए, केंद्रीय बैंक ने संतुलित रुख अपनाया।
🔍 RBI की रणनीति: स्थिरता बनाम प्रोत्साहन
RBI की इस नीति को संतुलनकारी रणनीति माना जा रहा है। एक ओर जहां वह महंगाई को नियंत्रित करने पर ध्यान दे रहा है, वहीं दूसरी ओर आर्थिक पुनरुद्धार की प्रक्रिया को गति देने का प्रयास भी कर रहा है।
गवर्नर ने यह भी कहा कि अगर आवश्यक हुआ, तो भविष्य में नीतिगत दरों में बदलाव किया जा सकता है, लेकिन फिलहाल स्थिरता बनाए रखना सर्वोत्तम विकल्प है।
📌 निष्कर्ष
RBI द्वारा रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला एक सोच-समझकर लिया गया संतुलित निर्णय है, जो महंगाई, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और घरेलू विकास की ज़रूरतों के बीच संतुलन स्थापित करता है। आम उपभोक्ताओं के लिए यह राहत की खबर है कि फिलहाल EMI में कोई वृद्धि नहीं होगी।