मेहसाणा (गुजरात), (वेब वार्ता)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने सोमवार को स्पष्ट किया कि बैंक बचत खातों में न्यूनतम शेष राशि निर्धारित करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं और यह आरबीआई के नियामक अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।
मल्होत्रा यह बात गुजरात के मेहसाणा जिले के गोजरिया ग्राम पंचायत में वित्तीय समावेशन पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में कह रहे थे।
जब उनसे पूछा गया कि एक निजी बैंक द्वारा बचत खातों के लिए न्यूनतम शेष राशि बढ़ाने के फैसले के बारे में क्या राय है, तो उन्होंने कहा कि आरबीआई ने यह अधिकार प्रत्येक बैंक को दे दिया है। कुछ बैंकों ने न्यूनतम शेष राशि 10,000 रुपये रखी है, कुछ ने 2,000 रुपये और कुछ ने ग्राहकों को इस नियम से छूट भी दी है। यह आरबीआई के नियंत्रण में नहीं आता।
वास्तव में, आईसीआईसीआई बैंक ने 1 अगस्त से नए बचत खाते खोलने वालों के लिए न्यूनतम औसत मासिक शेष राशि (एमएबी) पांच गुना बढ़ाकर 10,000 रुपये से 50,000 रुपये कर दी है। छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह सीमा क्रमशः 25,000 रुपये और 10,000 रुपये कर दी गई है।
इसके विपरीत, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने हाल ही में निर्णय लिया है कि वह बचत खाताधारकों को न्यूनतम शेष राशि न रखने पर कोई दंडित नहीं करेगा।
इस विषय पर आरबीआई के गवर्नर का बयान वित्तीय समावेशन के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि बचत खाताधारकों और आम जनता के लिए बैंकिंग नियमों में बदलाव से जुड़े सवाल उठते रहते हैं।