नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। केंद्र सरकार ने नया इनकम टैक्स बिल 2025 तैयार कर लिया है और इसमें सबसे बड़ा बदलाव यह है कि इसे सरल और स्पष्ट भाषा में लिखा गया है। इससे करदाताओं को कानून को समझने में आसानी होगी, गलत व्याख्या की संभावना कम होगी और अनुपालन दर में वृद्धि की उम्मीद है। यह बात वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 166वें आयकर दिवस समारोह के दौरान कही।
वित्त मंत्री ने कहा कि नया टैक्स बिल न केवल तकनीकी रूप से सशक्त है, बल्कि इसमें करदाता-केंद्रित दृष्टिकोण को प्रमुखता दी गई है। उन्होंने आयकर विभाग को फेसलेस अपीलीय प्राधिकारियों के समक्ष लंबित विवादों को जल्द निपटाने और मुकदमेबाजी के मामलों का समयबद्ध समाधान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
विभागीय अपीलों की समीक्षा और वापसी का निर्देश
सीतारमण ने कहा कि बजट 2024-25 में संशोधित मौद्रिक सीमा के तहत आने वाली विभागीय अपीलों की तीन महीने के भीतर समीक्षा की जाए और ऐसी अपीलों को वापस लिया जाए। इससे न केवल न्यायिक संसाधनों की बचत होगी, बल्कि करदाताओं के प्रति सरकार की सकारात्मक नीति का संदेश भी जाएगा।
टैक्स रिफंड और शिकायत निवारण प्रणाली पर ज़ोर
वित्त मंत्री ने करदाताओं को समय पर टैक्स रिफंड प्रदान करने और उनकी शिकायतों के त्वरित निवारण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “केवल मौजूदा लंबित मामलों को हल करना ही नहीं, बल्कि उन वजहों की पहचान भी ज़रूरी है, जो बार-बार शिकायतों को जन्म देती हैं। उसके लिए रणनीतिक समाधान की जरूरत है।”
तकनीक और कार्यस्थल सुधार की बात
वित्त मंत्री ने आयकर विभाग की टीम की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने निर्धारित समय-सीमा में बिल का ड्राफ्ट तैयार किया है और सेलेक्ट कमेटी की सिफारिशों को भी तवज्जो दी है। उन्होंने कहा कि भविष्य में आधुनिक तकनीक को अपनाकर सेवाओं को और अधिक कुशल बनाया जाए।
इसके साथ ही उन्होंने सीबीडीटी और राजस्व विभाग को कर्मचारियों के लिए बेहतर कार्यस्थल और आवास सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, “कठिन परिस्थितियों में कार्यरत कर्मचारियों को आवागमन की परेशानी न झेलनी पड़े, इसके लिए बेहतर आवासीय व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाए।”
निष्कर्ष
नए इनकम टैक्स बिल 2025 के जरिये सरकार पारदर्शी, करदाता-अनुकूल और विवाद-मुक्त कर व्यवस्था की ओर बढ़ रही है। सरल भाषा में लिखे इस कानून से आम नागरिकों के लिए टैक्स सिस्टम को समझना और उसके अनुरूप कार्य करना कहीं अधिक सुगम हो जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम “ईज ऑफ डूइंग टैक्स” को बढ़ावा देगा।