-भारतीय उत्पाद चीन, वियतनाम जैसे पुराने दावेदारों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में दे सकेंगे सीधी टक्कर
-34 अरब डॉलर तक बढ़ेगा आपसी व्यापार दोनों देशों के आर्थिक संबंध होंगे मजबूत: मोदी
नई दिल्ली/लंदन, (वेब वार्ता)। भारत और ब्रिटेन ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष कीर स्टारमर की उपस्थिति में भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन के व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स ने हस्ताक्षर किए। यह करार 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात को शुल्क-मुक्त करेगा और ब्रिटिश कंपनियों के लिए व्हिस्की, कारों तथा अन्य उत्पादों को भारत में निर्यात करना आसान बनाएगा। अब हर साल दोनों देशों का आपसी व्यापार 34 अरब डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। उम्मीद है अगले पांच साल में दोनों देशों के बीच कारोबार 120 अरब डॉलर पहुंच जाएगा। इसका सबसे बड़ा असर यह होगा कि भारतीय उत्पाद चीन, वियतनाम जैसे पुराने दावेदारों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में सीधी टक्कर दे सकेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होगी और ब्रिटेन को भारत के तेजी से बढ़ते बाजार का लाभ मिलेगा। इस समझौते से दोनों देशों के छोटे और मध्यम उद्यमों को भी लाभ होगा।
क्या है मुक्त व्यापार समझौता
ऐसे व्यापार समझौतों में, दोनों देश अपने बीच व्यापार वाली अधिकतम वस्तुओं पर सीमा शुल्क या तो समाप्त कर देते हैं या काफी कम कर देते हैं। ये समझौते सेवाओं और द्विपक्षीय निवेश में व्यापार को बढ़ावा देने के मानदंडों को भी आसान बनाते हैं। तीन साल तक चली बातचीत तीन साल तक चली बातचीत के बाद तैयार हुए इस समझौते से भारतीय उत्पादों को ब्रिटेन में व्यापक बाजार पहुंच मिलेगी। भारत को लगभग 99 प्रतिशत उत्पाद श्रेणियों पर शुल्क समाप्त होने से लाभ होगा। इस समझौते से भारतीय उपभोक्ताओं को ब्रिटिश उत्पादों जैसे सॉफ्ट ड्रिंक्स, कॉस्मेटिक्स, कारों और मेडिकल उपकरणों तक बेहतर पहुंच मिलेगी, क्योंकि करार लागू होने के बाद औसत शुल्क 15 प्रतिशत से घटकर 3 प्रतिशत रह जाएगा। ब्रिटेन पहले से ही भारत से 11 अरब पाउंड का सामान आयात करता है, लेकिन भारतीय उत्पादों पर शुल्क में ढील से ब्रिटिश उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए भारतीय सामान खरीदना आसान और सस्ता होगा। इससे भारतीय व्यवसायों के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।
ब्रिटेन में सामाजिक सुरक्षा योगदान से मिलेगी छूट
दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते में एक अहम नियम यह रखा गया है कि इससे ब्रिटेन में काम कर रहे भारतीय कर्मियों को सामाजिक सेवा के लिए किए जाने वाले भुगतान से तीन साल की छूट मुहैया कराई जाएगी। इससे भारत के उन उद्योगों और कंपनियों को फायदा मिलेगा, जो कि ब्रिटेन में पहले से ही काम कर रहे हैं या भविष्य में ब्रिटेन में उद्योग खड़ा करना चाहते हैं। इससे ब्रिटिश बाजार में ही भारत की कंपनियों को प्रतियोगिता देने में भी मदद मिलेगी। इस छूट से भारतीय कंपनियों को ब्रिटेन में हर साल अनुमानित 40 अरब रुपये तक बचाने में मदद मिलेगी। डेयरी उत्पादों, खाद्य तेल और सेब शामिल नहीं भारत ने ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते में डेयरी उत्पादों, खाद्य तेल और सेब को शामिल नहीं किया है, जो घरेलू किसानों के हित में है। इसके साथ ही 95 प्रतिशत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर शून्य शुल्क सुनिश्चित किया है। जई पर भी कोई शुल्क रियायत नहीं दी गई है। दूसरी ओर, हल्दी, काली मिर्च, इलायची जैसी भारतीय खाद्य वस्तुएं; आम का गूदा, अचार और दालें जैसी प्रसंस्कृत वस्तुएं; और झींगा और टूना जैसे समुद्री उत्पाद ब्रिटेन के बाजार में शुल्क-मुक्त पहुंच का लाभ लेंगे। फेनी, ताड़ी ब्रिटेन में जगह बना सकेंगी एफटीए स्कॉच व्हिस्की और अन्य पेयों के साथ पारंपरिक भारतीय पेय पदार्थों को ब्रिटेन में जगह दिलाने में मदद करेगा। गोवा की फेनी, नासिक की वाइन और केरल की टोडी (ताड़ी) सहित भारत के अनूठे पारंपरिक पेय पदार्थों को ब्रिटेन में मान्यता मिल सकेगी। इसके साथ ही विशिष्ट प्रकार के अल्कोहल-आधारित भारतीय पेय पदार्थों को न केवल अपने पारंपरिक भौगोलिक संकेतक (जीआई) संरक्षण का लाभ मिलेगा, बल्कि ब्रिटेन जैसे विकसित बाजारों में भी उनकी पहुंच होगी, जहां प्राकृतिक और जैविक उत्पादों की मांग बढ़ रही है। इस समझौते के फायदे ऐसे समझें भारतीय अर्थव्यवस्था – इस समझौते से 2030 तक भारत और यूके के बीच व्यापार 120 अरब डॉलर पहुंच जाएगा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को और रफ्तार मिलेगी। – यूके की कंपनियों को भारत के £38 अरब पाउंड के सरकारी खरीद मार्केट में पहुंच मिलेगी, जिससे भारत में विदेशी निवेश बढ़ेगा। – वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति मजबूत होगी और 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिलेगी।
आम लोगों के लिए – यूके के उत्पाद जैसे मेडिकल उपकरण, कॉस्मेटिक्स, चॉकलेट, बिस्किट, सॉफ्ट ड्रिंक्स, सैल्मन मछली और व्हिस्की भारत में सस्ते होंगे। – भारतीय पेशेवरों के लिए यूके में काम करने के मौके बढ़ेंगे, जिससे नौकरी और आय बढ़ेगी। – यूके की बीमा और वित्तीय सेवाएं उपलब्ध होंगी, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं को बेहतर विकल्प मिलेंगे।
निर्यातकों के लिए – यूके के बड़े बाजारों में भारतीय निर्यातकों को आसान पहुंच मिलेगी, जिससे उनकी आय बढ़ेगी। – भारत को कपड़ा, ज्वैलरी, समुद्री उत्पाद, चमड़ा और जूते में निर्यात के बड़े अवसर मिलेंगे। – छोटे और मध्यम उद्यमों को नए बाजार मिलेंगे। उनके लिए सीमा शुल्क प्रक्रियाएं सरल होंगी।
ब्रिटेन को क्या मिलेगा – यह समझौता यूके के लिए ब्रेक्सिट (2020) के बाद सबसे बड़ा और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण व्यापार समझौता है। – इस समझौते से भारत में निर्यात के लिए नए अवसर खुलेंगे। ब्रिटिश खरीदारों को भारतीय कपड़े, जूते और खाद्य उत्पादों जैसी वस्तुएं सस्ते दाम में मिलेंगी। – ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में 4.8 अरब पाउंड की वृद्धि होने की उम्मीद है। – ब्रिटेन के निर्यातकों को हर साल 40 करोड़ पाउंड तक का शुल्क बचेगा। – अगले दशक में यह बचत बढ़कर प्रति वर्ष लगभग 90 करोड़ पाउंड हो सकती है। उत्पाद जिन पर अब शून्य शुल्क लगेगा प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ – आम का गूदा, अचार और दालें, फल, अनाज, मसाला मिश्रण सब्जी/खाद्य तेल परिवहन/ऑटो वस्त्र रत्न और आभूषण समुद्री उत्पाद – झींगा और टूना, मछली का भोजन और चारा