पुणे, (वेब वार्ता)। पुणे में हाइड्रोजन प्लांट (Hydrogen Plant) दी ग्रीन बिलियन्स लिमिटेड (TGBL) कंपनी पुणे में हाइड्रोजन प्रोडक्शन (Hydrogen Production) से जुड़ा प्रोजेक्ट बनाने जा रही है. इस संबंध में कंपनी ने पुणे (Pune) नगर निगम के साथ 30 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया है। टीजीबीएल (TGBL) के अध्यक्ष प्रतीक कनकिया ने योजना के बारे में अधिक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट अगले साल 350 टन कचरा (Garbage) एकत्र करेगी। उन्होंने कहा कि 350 टन कचरे से 10 टन हाइड्रोजन का प्रोडक्शन (Hydrogen Production) होता है। हम 350 टन कचरे से प्रति दिन 10 टन हाइड्रोजन का प्रोडक्शन करने की योजना बना रहे हैं।
पहला 10 टन रिएक्टर नवंबर तक बनकर होगा तैयार
हम हडपसर इंडस्ट्रियल एस्टेट में एक प्रोजेक्ट बना रहे हैं। कचरे से हाइड्रोजन प्राप्त करने का देश में यह पहला प्रयास है। इस प्रोजेक्ट को बनाने के लिए कंपनी 350 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है। इसके अलावा 82 करोड़ रुपये स्टोरेज और अन्य जरूरतों पर खर्च किए जाएंगे। कचरे से हाइड्रोजन बनाने की यह पहला प्रोजेक्ट (First Hydrogen Project) है। इनमें से पहला 10 टन रिएक्टर नवंबर 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगा। और पूरा प्रोजेक्ट नवंबर 2024 तक शुरू हो जायेगा। कचरे से बना फ्यूल (Fuel) का उपयोग प्लाज्मा गैस प्रोडक्शन टेक्निक (Plasma Gas Technique) के माध्यम से हाइड्रोजन का प्रोडक्शन करने के लिए किया जाएगा।
गीले कचरे का उपयोग बायो फ़र्टिलाइज़र के लिए किया जाएगा
इसके लिए कंपनी को भाभा एटॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट (Bhabha Atomic Research Center) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (Indian Institute Of Science) बैंगलोर से सहायता मिली है। कचरे में बायोडिग्रेडेबल, नॉन-बायोडिग्रेडेबल और खतरनाक कचरा शामिल होगा और ऑप्टिकल सेंसर (Optical Sensor) का उपयोग करके पुणे में ग्रीनबिलियंस प्लांट में अलग किया जाएगा। संयंत्र से निकलने वाले गीले कचरे का उपयोग ह्यूमिक-एसिड के साथ बायो फ़र्टिलाइज़र के प्रोडक्शन के लिए किया जाएगा, जो ट्रेडिशनल बायो फ़र्टिलाइज़र से बेहतर हैं और कार्बन को कम करते हैं।