नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। अभी हाल ही में अमेरिकी रिसर्च कंपनी फर्म हिंडनबर्ग (Hindenberg Research) की रिपोर्ट से अडानी ग्रुप (Adani Group) में हड़कंप मच गया है। अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट जारी है। गौतम अडानी की संपत्ति गिरकर 22 अरब डॉलर हो गई है। उनकी संपत्ति 100 अरब डॉलर से भी नीचे चली गई है। अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। वहीं, कंपनी को कर्ज देने वाले बैंकों की भी इस पर नजर है। अडानी ग्रुप पर 80 हजार करोड़ का बैंक कर्ज है। देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank Of India) ने कहा है कि उसे अडानी समूह को दिए गए कर्ज (Loan) को लेकर फिलहाल कोई चिंता नहीं है।
हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में स्टॉक हेरफेर और खाता धोखाधड़ी में शामिल हैं अडानी ग्रुप
स्टेट बैंक कॉरपोरेट बैंकिंग के एमडी स्वामीनाथन ने कहा कि फिलहाल ऐसी कोई स्थिति नहीं है जहां हमें अडानी ग्रुप को दिए गए कर्ज को लेकर चिंता करनी पड़े। उन्हें दिया गया कर्ज रिजर्व बैंक की सीमा के भीतर है। उस ऋण को सुरक्षित करने के लिए सभी आवश्यक नियमों का पालन किया गया है। अडानी समूह पर भारतीय बैंकों का करीब 80,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, जो समूह के कुल कर्ज का 38 फीसदी है। SBI के चेयरमैन दिनेश कुमार ने कहा कि अडानी ग्रुप ने हाल के दिनों में SBI से कोई फंड नहीं लिया है। एसबीआई से किसी भी तरह की फंडिंग के लिए अडानी ग्रुप के अनुरोध पर विचार के बाद विचार किया जाएगा। हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडानी ग्रुप में कई समस्याएं हैं। समूह दशकों से स्टॉक हेरफेर और खाता धोखाधड़ी में शामिल रहा है।
छोटे भाई राजेश अडानी को समूह का एमडी क्यों बनाया
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप से 88 सवाल पूछे हैं। रिपोर्ट में अडानी समूह से पूछा गया है कि गौतम अडानी के छोटे भाई राजेश अडानी (Rajesh Adani) को समूह का एमडी क्यों बनाया गया है, जब उन पर सीमा शुल्क कर चोरी, जाली आयात दस्तावेजों और अवैध कोयला आयात का आरोप लगाया गया है। हिंडनबर्ग रिसर्च एजेंसी ने अडानी समूह से कई सवाल पूछे हैं कि हीरा व्यापार घोटाले में नाम आने के बावजूद गौतम अडानी के बहनोई समीरो वोरा को अडानी ऑस्ट्रेलिया डिवीजन का कार्यकारी निदेशक क्यों बनाया गया।