Monday, October 20, 2025
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तुवालु देश : अस्तित्व की लड़ाई से जूझता एक देश, कुछ वर्षो में विलुप्त होने की कगार पर

तुवालु देश की पूरी जनता ऑस्ट्रेलिया में होगी पुनर्वासित, जलवायु संकट बना बड़ा कारण

तुवालु, (वेब वार्ता)। प्रशांत महासागर का छोटा सा द्वीपीय देश तुवालु, जो केवल 9 कोरल द्वीपों पर बसा है, अब अपने अस्तित्व के लिए एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व कदम उठाने जा रहा है। समुद्र के बढ़ते जलस्तर, लगातार आती बाढ़ और जलवायु परिवर्तन के खतरों के कारण तुवालु की पूरी आबादी को ऑस्ट्रेलिया में बसाने की योजना बनाई गई है। यह आधुनिक इतिहास का पहला अवसर होगा जब एक संप्रभु राष्ट्र की पूरी जनता किसी अन्य देश में स्थायी रूप से स्थानांतरित होगी।

रिपोर्ट्स के अनुसार, तुवालु की कुल जनसंख्या लगभग 11,000 है और इसकी औसत ऊंचाई समुद्र तल से मात्र दो मीटर है। इस कारण यहां की जनता बाढ़, ऊंची लहरों और समुद्री जलस्तर में वृद्धि से लगातार खतरे में है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि आने वाले 80 वर्षों में तुवालु की पूरी जमीन समुद्र में समा जाएगी। फिलहाल इसके दो द्वीप पहले ही समुद्र में डूब चुके हैं।

जलवायु संकट से जूझते तुवालु के लिए राहत की किरण तब आई जब वर्ष 2023 में ऑस्ट्रेलिया और तुवालु ने “फलेपिली संधि” (Falepili Union Treaty) पर हस्ताक्षर किए। इस संधि के तहत हर वर्ष 280 तुवालु नागरिक ऑस्ट्रेलिया में स्थायी निवास के लिए जाएंगे। उन्हें ऑस्ट्रेलियाई सरकार स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, नौकरी के अवसर और आवास जैसी सभी सुविधाएं प्रदान करेगी।

तुवालु सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एकजुट होकर काम करने की अपील की है। उनका कहना है कि यह केवल तुवालु का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चेतावनी है कि अगर कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में और भी देश ऐसे ही संकट का सामना कर सकते हैं।

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