-वेब वार्ता डेस्क-
हाउडी मोदी, नमस्ते ट्रंप, अबकी बार ट्रंप सरकार, माई डियर फ्रेंड इन सबको धता बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने देश के हितों का हवाला देते हुए भारतीय आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने का ऐलान कर दिया है। 1 अगस्त की समय सीमा पहले ही तय कर दी गई थी, जिस पर ट्रंप सरकार ने अमल कर दिया। राष्ट्रपति ट्रंप ने दूसरी बार शपथ लेने के साथ ही कुछ बड़े फैसले लिए थे, जिनमें सर्वाधिक चर्चा शुल्क नीति की रही।
दुनिया भर के देश अमेरिका पर ज्यादा शुल्क थोपते हैं, जिससे देश को घाटा होता है, लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा, कुछ इस अंदाज में ट्रंप ने अपनी शुल्क नीति का ऐलान किया था। इस बारे में प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भी उन्होंने बयान दिया था, भारत का नाम लेकर कहा था कि तुम जितना शुल्क हम पर लगाओगे, हम भी उतना ही लगाएंगे। श्री मोदी अपने देश पर हो रहे इस शाब्दिक हमले को चुपचाप सुनते रहे, यह सबने देखा। रुस, चीन, जापान, फ्रांस ऐसे कई देशों ने ट्रंप की नीति की आलोचना की थी। लेकिन भारत में मोदी सरकार की तरफ से इस बारे में खुलकर कभी कुछ नहीं कहा गया। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल इस बीच अमेरिका दौरा कर चुके हैं, लेकिन इससे भी भारत अपने पक्ष में सौदा नहीं करवा सका।
ट्रंप ने न केवल शुल्क बढ़ाया है, बल्कि रूस से तेल और रक्षा सौदे करने पर भारत पर जुर्माना भी थोपा है। संदेश साफ है कि ट्रंप केवल अपने देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में अपने मनमाफिक व्यापार नियम बनवाना चाहते हैं। अमेरिका को दुनिया का चौधरी क्यों कहा जाता है, ट्रंप उसकी जीती-जागती मिसाल दिखा रहे हैं। ट्रंप से पहले भी अन्य अमेरिकी राष्ट्रपतियों का रवैया ऐसा ही था, लेकिन कम से कम उनमें कूटनीतिक सज्जनता, शिष्टता दिखाने का लिहाज था। ट्रंप ने तो सारे आवरण उठा फेंके हैं। भारत पर जुर्माना लगाने जैसा अपमान ही काफी नहीं है, जो अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्रूथ पर ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ हुए समझौते का ऐलान करते हुए लिखा कि हमने पाकिस्तान के साथ एक नया समझौता किया है। इसके तहत अमेरिका और पाकिस्तान मिलकर वहां के विशाल तेल भंडार का विकास करेंगे। हम उस तेल कंपनी को चुनने की प्रक्रिया में हैं जो इस पार्टनरशिप का नेतृत्व करेगी। कौन जानता है, शायद एक दिन पाकिस्तान भारत को तेल बेचे। इस पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने भी ट्रंप को धन्यवाद देते हुए लिखा है कि यह ऐतिहासिक समझौता हमारे बढ़ते सहयोग को और मज़बूती देगा, ताकि आने वाले दिनों में हमारी स्थायी साझेदारी के दायरे को और विस्तार दिया जा सके। अमेरिका और पाकिस्तान की यह नजदीकी पहलगाम हमले के बाद और ज्यादा देखने मिल रही है, क्या मोदी सरकार को यह भी नजर नहीं आ रहा है।
पाकिस्तान ने ट्रंप का आभार मानने की ऐसी ही तत्परता तब भी दिखाई थी जब ट्रंप की तरफ से युद्धविराम का ऐलान हुआ था। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तब भी चुप थे और अब भी वे चुप हैं। कम से कम इन पंक्तियों के लिखे जाने तक तो नरेन्द्र मोदी की तरफ से ऐसा कोई वक्तव्य नहीं आया है, जिसमें उन्होंने शुल्क थोपे जाने या पाकिस्तान के साथ हुए समझौते को लेकर कुछ कहा हो। श्री मोदी की चुप्पी के पीछे दो ही कारण हो सकते हैं, या तो उन्हें विदेश नीति, अर्थनीति और कूटनीति की अपनी कोई समझ ही नहीं है, अथवा श्री मोदी के लिए ट्रंप से निज संबंध देशहित से ऊपर हैं, इसलिए देश का अपमान और घाटा होने के बावजूद वो कुछ बोल नहीं रहे हैं। इन दो के अलावा एक कारण यह भी हो सकता है कि सब जानने-समझने के बावजूद नरेन्द्र मोदी देश के चुनिंदा उद्योगपतियों के फायदे को देखते हुए चुप हैं। अमेरिका की अदालत में गौतम अडानी समेत उनके समूह के कुछ लोगों पर धोखाधड़ी और रिश्वत के आरोप में मामला दर्ज है। अडानी समूह इन आरोपों से इंकार करता रहा है। ऐसे में सवाल उठने लाजिमी हैं कि देश नहीं झुकने दूंगा, देश नहीं बिकने दूंगा जैसे नारे लगाते-लगाते नरेन्द्र मोदी ने क्या देश के साथ कोई बड़ा खिलवाड़ कर दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रूथ सोशल मीडिया पर भारत और रूस की अर्थव्यवस्था को मृत बताते हुए यह भी कहा है कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है कि रूस के साथ भारत क्या करता है। ट्रंप के इस बयान से अब मोदी के लिए धर्मसंकट और बढ़ गया है। अगर नरेन्द्र मोदी भारत की अर्थव्यवस्था पर ऐसी टिप्पणी के बावजूद ट्रंप के खिलाफ कोई बयान नहीं देते हैं तो इसका मतलब यही है कि वे भी ट्रंप की बातों से सहमत हैं। और अगर वे ट्रंप को कोई जवाब देते हैं, तब उनकी मित्रता निभाने पर संकट आ सकता है। दोनों ही सूरतों में ट्रंप ने नरेन्द्र मोदी को फंसा दिया है। यह बात इतनी बढ़ती ही नहीं अगर नरेन्द्र मोदी शुरु से उसी विदेश नीति का पालन करते, जो नेहरूकाल में बनी है और जिसकी वजह से विकासशील होने के बावजूद वैश्विक शक्तियों के बीच भारत की अपनी साख बनी रही। भारत कई क्षेत्रों में अमेरिका, रूस, जापान, चीन आदि से पिछड़ा रहा है, लेकिन बावजूद इसके कभी किसी देश ने इस तरह भारत का अपमान करने की कोशिश नहीं की, जैसी अभी हो रही है। नरेन्द्र मोदी से पहले सभी भारतीय प्रधानमंत्रियों ने विदेश नीति, रक्षा नीति, व्यापार नीति को पार्टी या व्यक्ति हित से ऊपर रखकर एक समान अपनाया। लेकिन नरेन्द्र मोदी के काल में बार-बार यह अहसास होता रहा है, मानो कहीं और से ये सारी नीतियां संचालित हो रही हैं।
यहां फिर राहुल गांधी की बात ही सच साबित हो रही है। मंगलवार को अपने भाषण के आखिरी में राहुल गांधी ने कहा था कि मोदीजी देश आपकी छवि और प्रचार से बढ़कर है। वहीं बुधवार को संसद परिसर में उन्होंने कहा था कि देखिए ट्रंप किस तरह की डील करते हैं और शाम होते-होते श्री गांधी की बात सच साबित हो गई। अमेरिका के आगे झुकने का खामियाजा पूरा देश भुगते इससे पहले सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए।