Saturday, July 26, 2025
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करोड़ों का सवाल : कौन बनेगा उप-राष्ट्रपति…. नीतीश या कोई ओर…?

-ओमप्रकाश मेहता-

श्री जगदीप धनखड़ ने उप-राष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा क्यों व किसके निर्देश पर दिया? यह सवाल तो अब पुराना हो गया है, बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में अब अहम् सवाल यह है कि अगला उप- राष्ट्रपति कौन? क्या बिहार के विधानसभा चुनावों की राजनीतिक प्रतिष्ठा के दौर में वहां के मौजूदा मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को यह पद सौंपा जा सकता है? इस प्रयोग से केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा को दोहरी राजनीतिक उपलब्धि हो सकती है, एक ओर जहां बिहार के सशक्त नेता का भाजपा प्रवेश दूसरा बिहार में भाजपा की बढ़ती संभावनाएं, वैसे भी पिछले कुछ समय से मोरी और नीतीश के बीच राजनीतिक सौहार्द में अभिवृद्धि जगजाहिर हो रही है, इसलिए दिल्ली से पटना तक चल रहे मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम को पूर्णतः प्रायोजित समझना कतई गलत नही होगा और जहां तक जगदीप धनखड़ का सवाल उन्हें तो चंद घण्टों में ही सड़क पर अकेले खड़ा कर दिया गया है, यह मोदी की राजनीतिक कूटनीति का ताजा ज्वलंत उदाहरण है।

वैसे भी इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम को सूक्ष्म नजरों से देखा जाए तो यह परिलक्षित होता है कि भाजपा एक कमजोर पार्टी नही कहलाना चाहती थी, पिछले एक साल से प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी केन्द्र में स्थिरता का आभास कराने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे है और उनके इस प्रयास में जो भी बाधा बनता है, उसे वे अलग-थलग कर देते है, दो न्यायाधीशों के महाभियोग के प्रकरण में चूंकि धनखड़ भी दिलचस्पी दिखा रहे थे, जो मोदी को बिल्कुल पसंद नही था, इसलिए यह घटनाक्रम घटित हुआ साथ ही धनखड़ ने राज्यसभा में विधायी कार्यों को नियंत्रित करने का प्रयास भी किया था, जो मोदी जी को पसंद नही था और इस कारण से यह पूरा राजनीतिक घटनाक्रम घटित हुआ और धनखड़ को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा, नेतृत्व की नाराजी रातों-रात किसी राजनेता का क्या हश्र कर देती है, यह इसका सबसे बड़ा और ताजा उदाहरण है।

हाँ, तो आज का मुख्य बिन्दू कौन बनेगा उप-राष्ट्रपति था, संविधान के नियमानुसार उप- राष्ट्रपति पति के इस्तीफें के बाद साठ दिवस की अवधि में नए उप- राष्ट्रपति का चुनाव होना चाहिए, इसलिए सितम्बर अंत तक नया उप- राष्ट्रपति चुनना मौजूदा नरेन्द्र मोदी सरकार की पहली प्राथमिकता होगी, जिसके लिए प्रयास शुरू हो गए है और अब इस पद के लिए नीतीश कुमार जी का नाम ही सुर्खियों में है, जिनको मूर्तरूप देने के बाद बिहार में भाजपा का दमखम बढ़ सकता है और तीन-चार चुनाव में भाजपा की संभावनाएं बलवती हो सकती है।

….और मोदी के इस प्रयोग से भाजपा और उनकी केन्द्र सरकार दोनों को ही राजनीतिक लाभ हासिल हो सकता है। इस राजनीतिक घटना के तारतम्य में यदि यह कहा जाए कि मोदी जी ने तीन साल बाद होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अपनी जड़े अभी से मजबूत करना शुरू कर दिया है तो कतई गलत नही होगा, क्योंकि मोदी के राजनीतिक भविष्य को लेकर अभी से विभिन्न क्षेत्रों में कयासों का दौर शुरू हो गया है, कहा तो यहां तक भी गया कि यदि 75 का बंधन सामने आया तो स्वयं मोदी जी प्रधानमंत्री पद अपने विश्वस्त सहयोगी को सौंप कर स्वयं उप- राष्ट्रपति बन सकते है, लेकिन मौजूदा राजनीतिक दौर में यह कयास राजनीतिक पंड़ितों के गले नही उतर रहा है।

….लेकिन यही सही भी है कि मौजूदा राजनीतिक माहौल और उसमें घट रहे राजनीतिक घटनाक्रम मोदी जी के राजनीतिक भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकते है, इसलिए उन्हें काफी सूक्ष्म दृष्टि से देखा परखा जा रहा है। अब यह तो भविष्य ही बताऐगा कि मोदी जी का 2029 के बाद राजनीति भविष्य क्यों व कैसा होगा?

(यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है)

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