Saturday, July 26, 2025
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ऐतिहासिक भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता-नए भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि

-पीयूष गोयल-

भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता (सीईटीए) भारतीय किसानों, मछुआरों, कारीगरों और व्यवसायों को वैश्विक स्तर पर पहचान देने के साथ-साथ रोज़गार के असंख्य अवसरों का सृजन करेगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप लोगों को प्रतिस्पर्धी दरों पर उच्च-गुणवत्ता वाली वस्तुएं प्राप्त करने में सहायता प्रदान करेगा।

भारत और ब्रिटेन व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता (सीईटीए), ऑस्ट्रेलिया, यूरोप के मुक्त व्यापार समझौते और संयुक्त अरब अमीरात सहित अन्य विकसित देशों के साथ इसी तरह के समझौतों के अनुरूप है। यह मोदी सरकार के विकसित भारत 2047 के स्वपप्न को साकार करने के क्रम में आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन को अधिकतम करने की रणनीति का एक हिस्सा है।

प्रधानमंत्री की रणनीति-वर्ष 2014 में, मोदी सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था में वैश्विक विश्वास को पुन: स्थापित करने तथा इसे भारतीय और विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक गंतव्यस बनाने के लिए एक दृढ़ रणनीति अपनाई। विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर हस्ताक्षर करना, इस व्यापक रणनीति का एक हिस्सा है। एफटीए, व्यापार नीतियों के बारे में अनिश्चितताओं को दूर करते हुए निवेशकों का विश्वास भी बढ़ाते हैं।

विकसित देशों के साथ एफटीए, जिनके भारत के साथ प्रतिस्पर्धी व्यापारिक हित नहीं हैं, दोनों पक्षों के लिए लाभप्रद है, जबकि पिछली सरकार ने भारत के दरवाजे प्रतिद्वंद्वी देशों के लिए खोलकर भारतीय व्यवसायों को खतरे में डालने का रवैया अपनाया था।

यूपीए शासनकाल में, विकसित देशों ने भारत के साथ व्यापार वार्ता लगभग रोक दी थी और उस समय भारत को दुनिया की पाँच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में से एक माना जाता था। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत का सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 2014 से लगभग तीन गुना बढ़कर लगभग 331 लाख करोड़ रुपये हो गया है। क्रांतिकारी सुधारों, व्यापार में आसानी और प्रधानमंत्री के वैश्विक व्यक्तित्व ने भारत को एक आकर्षक गंतव्यि के रूप में उभरने में सहायता की है। आज, दुनिया भारत की अद्भुत गाथा में भागीदारी के साथ-साथ एफटीए पर हस्ताक्षर करना चाहती है।

बाजार पहुंच, प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त-यह एफटीए ब्रिटेन के बाजार के सभी क्षेत्रों में भारतीय वस्तुओं के लिए व्यापक बाजार पहुंच सुनिश्चित करेगा। यह लगभग 99 प्रतिशत टैरिफ लाइनों के टैरिफ को समाप्त करते हुए व्यापार मूल्य के लगभग 100 प्रतिशत को कवर करता है। इस समझौते के अंतर्गत 56 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार से सृजित होने वाले व्यालपक अवसरों के वर्ष 2030 तक दोगुना होने का अनुमान है।

छोटे व्यवसाय समृद्ध होंगे, क्योंकि भारतीय उत्पादों को प्रतिद्वंद्वियों पर स्पष्ट प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल होगी। फुटबॉल, क्रिकेट उपकरण, रग्बी गेंदें और खिलौने बनाने वाली कंपनियों का ब्रिटेन में अपने कारोबार में उल्लेखनीय विस्तार होगा।

असंख्य रोज़गार-आकर्षक बाज़ार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त से निर्यात स्थाकयित्वि के साथ-साथ निवेश और रोजगार सृजन में वृद्धि होगी। भारत वस्त्रा, चमड़ा और जूते से जुड़े क्षेत्रों में ब्रिटेन को आपूर्ति करने वाले तीन प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक बनने की शानदार स्थिति में है और इससे भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में प्रमुख क्षमता के रूप में उभरने में सहायता मिलने के साथ ही यह छोटे व्यायवसायियों, कारीगरों और महिलाओं को भी सहायता प्रदान करेगा।

रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान, रसायन और फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्यात में भी वृद्धि होने की आशा है।

किसान प्रथम-95 प्रतिशत से अधिक कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य टैरिफ लाइनों पर शून्य शुल्क लगेगा, जिससे कृषि-निर्यात और ग्रामीण समृद्धि में तीव्र वृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा।

शुल्क-मुक्त बाज़ार पहुंच से अगले तीन वर्षों में कृषि निर्यात में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने का अनुमान है, जो वर्ष 2030 तक भारत के 100 अरब डॉलर के कृषि-निर्यात के लक्ष्य को पूरा करने में योगदान देगा। यह मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) भारतीय किसानों के लिए प्रीमियम ब्रिटिश बाज़ार को खोल देगा, जो जर्मनी, नीदरलैंड और अन्य यूरोपीय संघ के देशों को मिलने वाले लाभों के बराबर या उससे भी अधिक होगा।

हल्दी, काली मिर्च, इलायची और प्रसंस्कृत उत्पाद जैसे आम का गूदा, अचार और दालों को भी शुल्क-मुक्त पहुंच प्राप्त होगी। निर्यात बढ़ने से कृषि आय में वृद्धि होगी तथा गुणवत्ता, पैकेजिंग और प्रमाणन को अधिक प्रोत्साहन मिलेगा। इससे कृषि मूल्य श्रृंखला में रोज़गार के असंख्य अवसर सृजित होंगे।

कमज़ोर वर्गों की सुरक्षा-घरेलू किसानों की सुरक्षा के लिए एफटीए में भारत के सबसे संवेदनशील कृषि क्षेत्रों को बाहर रखा गया है। भारत ने डेयरी उत्पादों, सेब, जई और खाद्य तेलों पर कोई शुल्क रियायत नहीं दी है।

ये रियायतें, मोदी सरकार की खाद्य सुरक्षा, घरेलू मूल्य स्थिरता और कमज़ोर कृषक समुदायों को प्राथमिकता देने की रणनीति को रेखांकित करती हैं। मछुआरों का विकास–भारतीय मछुआरे, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल और तमिलनाडु के मछुआरे, ब्रिटेन के समुद्री आयात बाजार तक पहुंच के माध्यम से उल्लेखनीय विस्तार का अनुभव करेंगे। झींगा और अन्य समुद्री उत्पादों पर ब्रिटेन का आयात शुल्क वर्तमान 20 प्रतिशत से घटकर शून्य हो जाएगा। यह संभावना अभूतपूर्व है क्योंकि ब्रिटेन के 5.4 अरब डॉलर के समुद्री आयात में भारत की हिस्सेदारी केवल 2.25 प्रतिशत है।

सेवाएं और पेशेवर-यह समझौता आईटी/आईटीईएस, वित्तीय सेवा और शिक्षा सहित विभिन्नि सेवाओं को गति प्रदान करेगा और भारतीयों के लिए नवीन अवसरों का सजृन करेगा। इस समझौते में संविदा सेवा प्रदाता, व्यावसायिक यात्री, निवेशक, योग प्रशिक्षक, संगीतकार और रसोइये सहित कुशल पेशेवरों के लिए भारत ने अनुकूल गतिशीलता प्रावधान सुनिश्चित किए हैं।

अभिनव एफटीए-प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत के एफटीए में वस्तुओं और सेवाओं के अलावा अन्यव महत्व्पूर्ण बातें शामिल हैं। इस एफटीए ने नए मानक स्थापित किए हैं। इस ईएफटीए के साथ, भारत ने 100 अरब डॉलर के निवेश की बाध्यकारी प्रतिबद्धता हासिल की है, जिससे भारत में 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। ऑस्ट्रेलिया के एफटीए के साथ, भारत ने दोहरे कराधान के मुद्दे का समाधान किया, जो आईटी कंपनियों के लिए एक बाधा बना हुआ था।

इस एफटीए का एक सबसे महत्वपूर्ण पहलू दोहरा अंशदान समझौता है। यह ब्रिटेन में नियोक्ताओं और अस्थायी भारतीय कर्मचारियों को तीन वर्षों के लिए सामाजिक सुरक्षा अंशदान से छूट देता है। इससे भारतीय सेवा प्रदाताओं की प्रतिस्पर्धा में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

उपभोक्ताओं के लिए गुणवत्तापूर्ण वस्तुएं-व्यापार समझौते प्रतिस्पर्धा बढ़ाते हैं, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उच्च-गुणवत्ता युक्त् वस्तुएं प्राप्त करने में सहायता मिलती है। मोदी सरकार ने गुणवत्ता को प्रोत्सापहन और बढ़ावा देने के लिए नीतिगत समर्थन प्रदान किया है, गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी किए हैं और मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर वार्तालाप किया है।

सरकार ने किसी भी मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले उद्योग जगत और अन्य हितधारकों के साथ व्यापक हितधारक परामर्श किया है। यह जानकर प्रसन्नीता का अनुभव होता है कि उद्योग निकायों ने मोदी सरकार द्वारा हस्ताक्षरित प्रत्येक मुक्त व्यापार समझौते का भारी समर्थन और स्वागत किया गया है।

सीईटीए बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच न्यायसंगत और महत्वाकांक्षी व्यापार समझौतों के लिए एक मानक है। यह हमारे मूल हितों से समझौता किए बिना, वंचित समुदायों के लिए आकर्षक वैश्विक अवसरों के द्वार खोलता है। यह इस बात का एक ज्वलंत उदाहरण है कि नया भारत व्यापार किस प्रकार करता है।

(लेखक भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री हैं)

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