Saturday, July 26, 2025
Homeलेखभारत में "नॉन-वेज मिल्क" बेचने की कोशिश में अमेरिका, सरकार ने किया...

भारत में “नॉन-वेज मिल्क” बेचने की कोशिश में अमेरिका, सरकार ने किया इंकार

-वेबवार्ता डेस्क-

भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता में एक नया मोड़ आ गया है। अमेरिका ने भारत से अपने डेयरी उत्पादों के लिए बाज़ार खोलने की मांग की है, लेकिन भारत सरकार ने “नॉन-वेज मिल्क” को लेकर संस्कृति और धार्मिक भावनाओं का हवाला देते हुए इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया है।

क्या है नॉन-वेज मिल्क?

ywAAAAAAQABAAACAUwAOw==

‘नॉन-वेज मिल्क’ उस दूध को कहा जाता है जो ऐसी गायों से प्राप्त होता है, जिन्हें ऐसे चारे (फीड) पर पाला गया हो जिसमें जानवरों के मांस, खून या हड्डियों से बने उत्पाद शामिल हों। अमेरिका में डेयरी फार्मों में गायों को वज़न और दूध बढ़ाने के लिए ब्लड मील नामक पशु-आधारित प्रोटीनयुक्त चारा दिया जाता है, जिसमें सुअर, घोड़े, मछली, मुर्गी और यहां तक कि पालतू जानवरों का मांस और खून तक शामिल होता है।

भारत में बड़ी संख्या में लोग शाकाहारी हैं और धार्मिक दृष्टिकोण से ऐसा दूध पूरी तरह अस्वीकार्य है। यही कारण है कि भारत ने अमेरिकी डेयरी उत्पादों को लेकर सख्त रुख अपनाया है।

भारत का रुख

भारत सरकार ने स्पष्ट कहा है कि गायों को मांस-आधारित चारा दिए जाने वाले दूध को स्वीकार नहीं किया जा सकता। भारत चाहता है कि किसी भी आयात से पहले यह सुनिश्चित किया जाए कि गायों को मांस या खून मिला चारा न दिया गया हो।

कृषि और डेयरी क्षेत्र में छोटे किसानों की आजीविका को देखते हुए भारत इस क्षेत्र को संरक्षित रखना चाहता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में वर्ष 2023-24 में 23.92 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ और भारत दुनिया में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है।

क्या है ब्लड मील?

ywAAAAAAQABAAACAUwAOw==

‘ब्लड मील’ मांस प्रसंस्करण उद्योग का एक बायप्रोडक्ट है, जो जानवरों के खून को सुखाकर तैयार किया जाता है। यह लाइसीन नामक अमीनो एसिड का समृद्ध स्रोत है, जिसे जानवरों को जल्दी बढ़ाने और अधिक दूध उत्पादन के लिए खिलाया जाता है। अमेरिका सहित कई देशों में यह आम है, जबकि भारत में इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अस्वीकार्य माना जाता है।

क्या होगा डेयरी बाज़ार खोलने से?

ywAAAAAAQABAAACAUwAOw==

भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत अमेरिकी डेयरी उत्पादों को बाजार में आने की अनुमति देता है, तो इससे देश में दूध के दामों में 15% तक की गिरावट आ सकती है, और इससे किसानों को सालाना 1.03 लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है।

इसके अलावा, भारत दुग्ध उत्पादक देश से दुग्ध आयातक देश बन सकता है, जो आत्मनिर्भरता के प्रयासों के विरुद्ध होगा।

अमेरिका का पक्ष

अमेरिका का कहना है कि भारत का यह रुख अनावश्यक व्यापारिक बाधा (Trade Barrier) है और वह अपने 45 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को कम करने के लिए कृषि और डेयरी निर्यात को बढ़ाना चाहता है। अमेरिकी प्रशासन ने टैरिफ़ लगाने की डेडलाइन को बढ़ाकर अब 1 अगस्त कर दिया है, लेकिन यदि वार्ता असफल होती है, तो वह टैरिफ़ बढ़ाने का विकल्प फिर से अपना सकता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

वेब वार्ता समाचार एजेंसी

संपादक: सईद अहमद

पता: 111, First Floor, Pratap Bhawan, BSZ Marg, ITO, New Delhi-110096

फोन नंबर: 8587018587

ईमेल: webvarta@gmail.com

सबसे लोकप्रिय

Recent Comments