-प्रभुनाथ शुक्ल-
पापा मैं जाऊंगी एक शाम
झोले भर मैं लाऊंगी आम,
उसको मैं फिर खूब खाऊंगी
बिल्ली रानी को ललचाऊंगी,
गुड़िया को मैं नहीं खिलाऊंगी
तोते पर मैं भी रौब जमाऊंगी,
मम्मी से मैंगो शेक बनवाऊंगी
दादीजी को मैं उसे पिलाऊंगी,
भईया से छुप-छुप कर खाऊंगी
दीदी को भी मैं नहीं खिलाऊंगी,
दादा संग मैं तो बागों में जाऊंगी
पेड़ों से ताजे-ताजे मैंगो लाऊंगी।।