-प्रभुनाथ शुक्ल- 
Book Review: “आर्थिक सफ़रनामा-इतिहास-चुनौतियाँ एवं अवसर”, के लेखक डॉ. पी. एस. वोहरा आर्थिक मामलों के मर्मज्ञ हैं। वे क्लिष्ट और गूढ़ आर्थिक मसलों को सरल एवं सहज शब्दों में समझाते हैं। आजादी के बाद के आर्थिक इतिहास, चुनौतियों और अवसरों की समीचीन विवेचना करने के लिये लेखक ने पुस्तक को पांच उपभागों में विभाजित किया है।
ऐतिहासिक आर्थिक घटनाओं के तहत खाद्य आत्मनिर्भरता, भारतीय जीवन बीमा निगम, 1991 के आर्थिक सुधार और क्रिकेट के आर्थिक पक्ष को रेखांकित किया गया है, लेकिन पंचवर्षीय योजनाओं की चर्चा नहीं की गई है। क्रिकेट का देश के आर्थिक सफ़र को ख़ुशनुमा बनाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान नहीं रहा है। बैंकों के इतिहास को भी पुस्तक में जगह नहीं दी गई है, जबकि बैंकों को अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी महत्वपूर्ण चुनौतियों को पुस्तक में समाहित किया गया है और सरल शब्दों में उनका विश्लेषण किया गया है, ताकि आम आदमी भी आर्थिक चुनौतियों को अपने आईने में देख सके।
आर्थिक कदमताल खंड में बाघ अर्थव्यवस्था, कर संरचना और राजस्व संग्रह की राह में मौजूद बाधाओं पर भी लेखक को रोशनी डालनी चाहिए थी। साथ ही, निर्यात बढ़ाने और मेक इन इंडिया को अमलीजामा पहनाने के उपायों पर भी विमर्श करनी चाहिए थी। जी 20 एक अवसर जरूर है, लेकिन इससे ज्यादा जरूरी है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के उपायों और सरकारी योजनाओं को मूर्त रूप देने की।
आज सभी देश एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, इसलिए, वैश्विक आर्थिक संकट से भारतीय अर्थव्यवस्था का अछूता रहना नामुमकिन है। इसलिए, लेखक ने भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले लगभग सभी महत्वपूर्ण कारकों का विस्तृत वर्णन किया है।
लेखक ने सामान्य जीवन जीने वाले इंसान के आर्थिक जीवन पर विहंगम प्रकाश डाला है। अमूमन, अर्थ की विवेचना में आम आदमी हाशिए पर चला जाता है। समग्रता में लेखक विगत 75 सालों के आर्थिक सफर में आने वाले तमाम तरह के उतार-चढ़ाव को पुस्तक में समावेशित करने में सफल रहा है।
समीक्षक : सतीश सिंह
पुस्तक : आर्थिक सफ़रनामा-इतिहास-चुनौतियाँ एवं अवसर
प्रकाशन वर्ष : 2023
लेखक : डॉ. पी.एस.वोहरा
प्रकाशक : “भारती प्रकाशन, नई दिल्ली
मूल्य-290/-