-क्रांतिदीप अलूने-
किसानों की समस्याओं को बखूबी जानने वाले और उनका स्थाई हल खोज निकालने की सोच रखने वाले प्रदेश के किसान कल्याण तथा कृषि मंत्री कमल पटेल का गुरुवार (06 अक्टूबर) को 60वां जन्मदिन है। दिन-रात किसानों की चिंता करने वाले कमल पटेल ने अपनी सूझबूझ के साथ कृषि क्षेत्र में जो नवाचार करवाये हैं, उनका लाभ सीधे किसानों को मिला है। यहाँ तक कि उनकी बनाई गई कई रणनीतियों को केन्द्र और राज्य सरकार ने योजनाओं का रूप देकर प्रभावी तरीके से किसानों के हित में लागू भी किया है। उन्हीं योजनाओं में से एक योजना स्वामित्व योजना किसानों के लिए वरदान बन गई है।
जनतंत्र का अर्थ जन-सेवा, जन-आकांक्षा, जनहित और जन-संप्रभुता में निहित है। जन-कल्याण के प्रति सतत जवाबदेही से ही जन-विश्वास बढ़ता है, जो अंततः लोकप्रियता का मजबूत आधार होता है। मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री पटेल उन चुनिंदा जनप्रिय राजनेताओं में शुमार हैं, जो आमजन से सरलता से मिलते हैं, सहजता से उपलब्ध होते हैं और सहृदयता से जन-कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। जनहित उनका ध्येय होता है और जनता की खुशहाली के लिए वे प्रतिबद्धता से हर समय प्रयासरत रहते हैं।
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ राजनेताओं में शामिल कमल पटेल के जनहित के कार्य उनकी शख्सियत का प्रतिबिम्ब है। किसानों को उनकी जमीन का मालिकाना हक दिलाने के लिए प्रयासरत रहे पटेल प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के लागू होने के दिन 24 अप्रैल 2020 को भारत की ग्रामीण क्षेत्रों की आजादी का दिन कहते हैं। मंत्री पटेल ने इस योजना के क्रियान्वयन को नये आयाम देते हुए सबसे पहले एक साल की अवधि में पूर्ण कर इतिहास रच दिया। देश में मध्यप्रदेश का हरदा जिला सबसे पहले स्वामित्व योजना के सम्पूर्ण दस्तावेज तैयार कर 402 राजस्व ग्रामों की आबादी को स्वामित्व दस्तावेज वितरण करने वाला जिला बना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 6 अक्टूबर 2021 को इसके साक्षी बने और उन्होंने कमल पटेल को योजना के क्रियान्वयन एवं जन्मदिन की बधाई दी।
मंत्री पटेल ग्रामीणों और किसानों की समस्याओं के निदान के लिए सदैव संवेदनशील रहे हैं। उन्होंने हरदा में वर्ष 2020 में आपकी समस्या का हल-आपके घर अभियान शुरू किया था। प्रारंभिक दिनों में जब कृषि मंत्री स्वयं जनता के बीच उपस्थित हुए और उन्होंने साफ कहा कि अब जनता को अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए सरकारी कार्यालय के चक्कर लगाने की कोई जरूरत नहीं है। तब कुछ लोगों, अधिकारी एवं जन प्रतिनिधियों के मन में संशय था। पटेल स्वयं दृढ़ संकल्पित होकर कार्य को अमलीजामा पहनाने में जुट गए। वे स्वयं उपस्थित होते, गांव में चौपाल लगाते और अधिकारियों को प्रोत्साहित कर जनता से संवाद करते रहे, इसका परिणाम यह हुआ कि हरदा जिले में लोगों को योजनाओं का लाभ मिलने लगा।
लगभग डेढ़ दशक पहले शिवराज सरकार में उन्होंने राजस्व राज्यमंत्री के रूप में किसानों के जीवन में बदलाव लाने के लिए भू-अधिकार पुस्तिका की अनूठी पहल की थी। मुख्यमंत्री आवास मिशन में मकान निर्माण के लिए राशि उपलब्ध कराने का प्रावधान भी किया गया था। मंत्री पटेल ने वर्तमान सरकार में कृषि मंत्री बनने के बाद किसानों के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए किए गए प्रयासों से ही नर्मदापुरम संभाग के किसानों को ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल के लिए ताप्ती नदी पर बने बांध से सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हुआ। इतना ही नहीं ग्रीष्मकालीन मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीदी भी संभव हो सकी।
कमल पटेल एक ऐसे राजनेता हैं, जो कृतसंकल्पित होकर लोककल्याण को अपना अंतिम ध्येय समझते हैं। खरगोन में दंगा पीड़ित परिवार की बेटी की शादी के लिए मामेरा लेकर पहुंच जाते हैं। हरदा के लोगों का इंदौर के निजी अस्पतालों में उपचार करवाते हैं। गरीब बच्चों की फीस भरते हैं। बहनों को नर्सिंग कॉलेजों से डिप्लोमा कोर्स करवाते हैं। जनता के बीच वे एक ऐसा चेहरा हैं, जिसमें सादगी और सेवा के अटूट भाव हैं। असल में क्षेत्र में उनकी पहचान एक भाई और बेटे जैसी है, जो विश्वासनीय और अडिग है।
(लेखक, मप्र शासन, जनसम्पर्क विभाग में उप संचालक हैं)