इस्लामाबाद/पेरिस | वेब वार्ता
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को साफ चेतावनी दी है कि अक्टूबर 2022 में ग्रे लिस्ट से बाहर होने का मतलब आतंकवादियों को फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की खुली छूट नहीं है। FATF ने कहा कि पाकिस्तान जैसे देशों पर सतत निगरानी जारी रहेगी, और ई-वॉलेट जैसे नए माध्यमों से आतंक फंडिंग पर कड़ी नजर रखी जाएगी। यह बयान उस समय आया है जब जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे संगठन डिजिटल वॉलेट्स से फंड इकट्ठा कर रहे हैं। FATF प्रेसिडेंट एलिसा दी ऐंडा मैडराजो ने कहा, “ग्रे लिस्ट से बाहर होना एक मील का पत्थर है, लेकिन इसका मतलब ‘फ्री पास’ नहीं। आतंक फंडिंग पर वैश्विक निगरानी बनी रहेगी।”
पाकिस्तान को 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था, और 2022 में बाहर निकाला गया। लेकिन FATF का यह संदेश दर्शाता है कि पाकिस्तान की प्रगति पर सवाल बाकी हैं। आइए, इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं—FATF का बयान, ई-वॉलेट फंडिंग का नया तरीका, धार्मिक संस्थाओं का दिखावा, और भारत के ऑपरेशन सिंदूर का संदर्भ।
FATF का सख्त संदेश: ग्रे लिस्ट से बाहर का मतलब ‘आतंक फंडिंग की छूट नहीं’
FATF, जो 39 देशों का अंतरराष्ट्रीय संगठन है, आतंक फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने का काम करता है। पाकिस्तान को 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था क्योंकि वह आतंक फंडिंग रोकने में नाकाम था। 2022 में 34 एक्शन प्लान पूरा करने पर पाकिस्तान बाहर आया, लेकिन FATF ने स्पष्ट किया कि यह ‘निगरानी की समाप्ति’ नहीं है।
प्रेसिडेंट मैडराजो का बयान
मैडराजो ने पेरिस में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “पाकिस्तान एशिया-पैसिफिक ग्रुप का सदस्य है, इसलिए फॉलो-अप जारी रहेगा। ई-वॉलेट्स जैसे नए माध्यमों से फंडिंग पर नजर है।” उन्होंने जोड़ा, “ग्रे लिस्ट से बाहर होना उपलब्धि है, लेकिन इसका मतलब अपराधों की अनदेखी नहीं।”
FATF की 2025 रिपोर्ट में कहा गया कि दक्षिण एशिया में आतंक फंडिंग 15% बढ़ी है। पाकिस्तान का नाम अभी भी ‘मॉनिटरिंग लिस्ट’ में है।
ई-वॉलेट से फंडिंग: मसूद अजहर का नया तरीका
पाकिस्तान के आतंकी संगठन JeM ने ई-वॉलेट्स से फंडिंग का नया रास्ता अपनाया है। EasyPaisa और SadaPay जैसे ऐप्स से मसूद अजहर और उनके परिवार के खातों में पैसा जमा हो रहा है।
- तरीका: छोटे-छोटे ट्रांजेक्शन (₹500-2,000) से बड़ी रकम इकट्ठी। महिलाओं के नाम से अकाउंट बनाकर निगरानी से बचना।
- उद्देश्य: नए कैंप बनाने के लिए फंड। JeM ने भारत के खिलाफ हमलों के लिए ₹50 करोड़ जुटाए।
- FATF चेतावनी: “आतंकी परिवार के नाम से अकाउंट बनाते हैं। सतत निगरानी जरूरी।”
रिपोर्ट्स के अनुसार, JeM ने 2025 में 20% फंडिंग डिजिटल माध्यम से की।
धार्मिक और शैक्षिक संस्थाओं का दिखावा: फंडिंग का नया जाल
आतंकी संगठन खुद को ‘मदरसे’ या ‘धार्मिक संस्थाएं’ बताकर फंड इकट्ठा कर रहे हैं। FATF ने कहा, “ये संस्थाएं निगरानी से बचकर गतिविधियां चला रही हैं।”
- पाकिस्तान में उदाहरण: लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ने 50+ मदरसे से फंडिंग की।
- JeM का तरीका: मसूद अजहर के भाई-भतीजों के नाम से ‘शैक्षिक ट्रस्ट’।
- वैश्विक खतरा: 2025 में 40% आतंक फंडिंग धार्मिक दिखावे से।
FATF ने सदस्य देशों को सलाह दी कि ऐसे संगठनों की जांच करें।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत का जवाब
भारत ने मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर में JeM के 7 कैंप ध्वस्त किए। हमले में 100+ आतंकी मारे गए। JeM ने जवाब में ई-वॉलेट फंडिंग तेज की। MEA ने कहा, “पाकिस्तान आतंक को फंड कर रहा है। FATF की निगरानी जरूरी।”
ऑपरेशन सिंदूर का विवरण
- तिथि: 12 मई 2025।
- लक्ष्य: JeM कैंप (पाक अधिकृत कश्मीर)।
- प्रभाव: 100+ आतंकी मारे, फंडिंग नेटवर्क प्रभावित।
पाकिस्तान का संदर्भ: ग्रे लिस्ट से बाहर, लेकिन निगरानी बरकरार
पाकिस्तान को 2022 में ग्रे लिस्ट से बाहर किया गया, लेकिन FATF ने कहा, “यह फ्री पास नहीं।” पाकिस्तान एशिया-पैसिफिक ग्रुप का सदस्य है। 2025 में FATF ने कहा, “पाकिस्तान पर फॉलो-अप जारी।”
FATF ग्रे लिस्ट इतिहास
| वर्ष | स्थिति | कारण |
|---|---|---|
| 2018 | ग्रे लिस्ट में | आतंक फंडिंग कमी |
| 2022 | बाहर | 34 एक्शन प्लान पूरा |
| 2025 | निगरानी | ई-वॉलेट फंडिंग |
निष्कर्ष: FATF की चेतावनी पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी
FATF का संदेश पाकिस्तान को आगाह करता है कि आतंक फंडिंग पर नजर बनी रहेगी। ई-वॉलेट और धार्मिक संस्थाओं का दुरुपयोग रोकना जरूरी। भारत ने कहा, “आतंक फंडिंग पर वैश्विक कार्रवाई हो।”




