देवरिया, ममता तिवारी | वेब वार्ता
उत्तर प्रदेश के देवरिया से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक पिता, जिसने अपनी छह साल की बेटी की इज्जत बचाने के लिए समाज और कानून दोनों से लड़ाई लड़ी, आखिरकार टूट गया। उसने अपने हाथों से आरोपी को सजा दी और फिर खुद फांसी लगाकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। यह कहानी केवल एक गांव की नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की है जहां इंसाफ की देरी और समाज की बेरुखी ने एक पिता को अपराधी बना दिया।
बेटी के साथ दरिंदगी, पिता की टूटी दुनिया
21 अक्टूबर की रात जब पूरा गांव सो रहा था, तब एक पिता की दुनिया उजड़ गई। उसकी छह साल की बेटी के साथ उसी के सहकर्मी ने दरिंदगी की। बच्ची को अस्पताल ले जाया गया और पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया।
लेकिन जेल में जाकर आरोपी ने झूठ फैलाया कि बच्ची का पिता उसका “गे पार्टनर” है। यह झूठ पूरे गांव में आग की तरह फैल गया। लोग ताने मारने लगे, बातें करने लगे। वह पिता, जिसने बेटी की इज्जत के लिए लड़ाई शुरू की थी, अब खुद शर्म और अपमान से घिर गया।
आरोपी की जमानत और पिता का बदला
चार दिन पहले आरोपी जमानत पर रिहा हुआ। गुरुवार की रात वह फिर पीड़िता के घर पहुंच गया, पिता से झगड़ा किया और उसे पूरे मोहल्ले के सामने अपमानित किया। यही वह पल था जब पिता के सब्र का बांध टूट गया।
गुस्से में उसने धारदार हथियार से आरोपी के प्राइवेट पार्ट पर वार कर दिया। आरोपी गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचा और पिता घर लौट आया। लेकिन उस रात उसने जो शब्द कहे, वे आज भी गूंज रहे हैं —
“मैंने अपनी बेटी की इज्जत बचाई, पर अब सब मुझे ही अपराधी कह रहे हैं।”
सुबह की शांति और मौत की खामोशी
अगली सुबह वह जल्दी उठा, नहाया, पूजा की, माथे पर चंदन लगाया और बोला कि अब मन शांत है… भगवान के न्याय पर भरोसा है।
इसके कुछ देर बाद वह कमरे में गया और दरवाजा बंद कर लिया। जब बहुत देर तक बाहर नहीं निकला, तो परिवार ने दरवाजा तोड़ा — देखा कि पिता फंदे से झूल चुका था।
पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल
इस घटना के बाद उसकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी ने कहा,
“उन्होंने बेटी के लिए सब कुछ सहा, लेकिन सबने उन्हें गलत कहा… अब वो हमें अकेला छोड़ गए।”
गांव में सैकड़ों लोग जुट गए। लोग पुलिस और समाज पर सवाल उठा रहे हैं। एक बुजुर्ग ने कहा,
“जिसने अपनी बेटी की इज्जत बचाई, वही दोषी बन गया — यही उसकी मौत की असली वजह है।”
पुलिस की जांच और एक पिता की अधूरी लड़ाई
खुखुंदू थानाध्यक्ष दिनेश मिश्र ने बताया कि प्रथम दृष्टया मामला आत्महत्या का है और मृतक कुछ दिनों से मानसिक तनाव में था।
फॉरेंसिक और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन गांव के लोग एक ही बात दोहरा रहे हैं —
“जिस पिता ने बेटी के सम्मान के लिए खून बहाया, उसे समाज ने न्याय नहीं, ताना दिया।”
निष्कर्ष
देवरिया की यह घटना सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि उस समाज का आईना है जहाँ न्याय की प्रतीक्षा में लोग टूट जाते हैं। जब कानून और समाज दोनों से उम्मीद खत्म हो जाए, तो इंसान के पास केवल निराशा बचती है। इस पिता की आत्महत्या एक चेतावनी है — कि जब तक समाज संवेदनशील नहीं होगा, ऐसे हादसे रुकेंगे नहीं।



