इंदौर (वेब वार्ता)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर चिड़ियाघर के सबसे पुराने सदस्य, 35 वर्षीय एशियाई हाथी ‘मोती’ को गुजरात के वंतारा सेंचुरी भेजने के फैसले को रद्द कर दिया है। यह निर्णय इंदौर के नागरिकों और पशु प्रेमियों की गुहार पर आया, जिन्होंने मोती की इच्छा और स्वास्थ्य का हवाला देकर विरोध जताया था। CM ने कहा, “मोती इंदौर का प्रतीक है। हम उसके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
मोती का मामला: इंदौर चिड़ियाघर से गुजरात ट्रांसफर का विवाद
मोती को 1990 में इंदौर चिड़ियाघर लाया गया था, और वह यहां का सबसे पुराना निवासी है। वन्यजीव बोर्ड के पैनल ने 13 अक्टूबर 2025 को मोती को गुजरात के वंतारा (अंबानी का संचालित सेंचुरी) भेजने का आदेश दिया था, ताकि उसे बेहतर सुविधाएं मिलें। लेकिन इंदौर के अधिकारियों ने स्वास्थ्य और सुरक्षा चिंताओं का हवाला देकर विरोध किया।
मोती को उनकी साथी चंपा की 2020 में मृत्यु के बाद अकेलेपन का सामना करना पड़ा। पैनल का आदेश उनके कल्याण के लिए था, लेकिन इंदौर अधिकारियों ने कहा, “मोती इंदौर का हिस्सा है। हम उज्जैन से एक मादा हाथी लाकर साथ देंगे।” CM यादव ने इंदौरियों की भावनाओं को सम्मान देते हुए फैसला पलट दिया।
CM का हस्तक्षेप: इंदौरियों की भावनाओं का सम्मान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर चिड़ियाघर का दौरा किया और मोती से मिले। उन्होंने कहा, “मोती इंदौर का प्रतीक है। नागरिकों की गुहार पर फैसला बदला। हम उसके स्वास्थ्य के लिए बेहतर व्यवस्था करेंगे।” यह निर्णय पशु कल्याण और स्थानीय भावनाओं का सम्मान दर्शाता है।
इंदौर चिड़ियाघर के अधिकारियों ने कहा, “मोती को इंदौर में ही रखेंगे। उज्जैन से साथी लाएंगे।”
मोती का इतिहास: 35 वर्ष का साथी, साथी चंपा की मृत्यु के बाद अकेलापन
मोती को 1990 में इंदौर लाया गया। चंपा की 2020 में मृत्यु के बाद अकेलेपन का सामना कर रहे मोती को 13 वर्ष जंजीरों में रखा गया था। MP हाईकोर्ट ने 2014 में जंजीरें हटाने का आदेश दिया था। पैनल ने वंतारा (जामनगर) सेंचुरी सुझाया, लेकिन इंदौर ने विरोध किया।
इंदौर चिड़ियाघर का भविष्य: बेहतर सुविधाएं
चिड़ियाघर अधिकारियों ने कहा, “मोती को इंदौर में ही रखेंगे। नए एनक्लोजर और साथी के लिए प्रयास करेंगे।”
यह फैसला पशु अधिकारों और स्थानीय भावनाओं का संतुलन दर्शाता है।