मुरैना, मुकेश शर्मा (वेब वार्ता)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार में शिक्षा व्यवस्था की हकीकत उजागर हो रही है। मुरैना जिले की पोरसा तहसील के औरेठी गांव में स्थित शासकीय हाईस्कूल में छात्र-छात्राओं से न केवल श्रमदान के नाम पर मजदूरी कराई जा रही है, बल्कि शिक्षक खुद भी स्कूल समय में निर्माण कार्यों में जुटे हुए हैं। यह गांव प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का गृह गांव है, जहां शिक्षा के मंदिर में बाल मजदूरी जैसी घटनाएं हो रही हैं।
घटना का खुलासा तब हुआ जब कुछ पत्रकारों ने स्कूल का दौरा किया। छात्र-छात्राएं स्कूल समय में चूना, मिट्टी, रेत और सीमेंट के काम में लगे हुए थे। जब शिक्षकों से इस संबंध में जानकारी मांगी गई, तो वे भड़क उठे। कुछ स्थानीय दबंगों के साथ मिलकर उन्होंने पत्रकारों से अभद्र व्यवहार किया और धमकियां दीं। शिक्षकों ने खुद को ‘बॉस के खास’ और उनके ‘भतीजे’ बताते हुए ‘देख लेंगे’ जैसी धमकियां दीं। उन्होंने दावा किया कि यह कार्य चंदे से हो रहा है, लेकिन छात्रों से मजदूरी कराना स्पष्ट रूप से बाल श्रम कानून का उल्लंघन है।
पत्रकारों को न तो छात्रों से बात करने दी गई और न ही प्रधानाध्यापक से मिलने दिया गया। दो दबंग शिक्षकों ने सवाल पूछने पर झगड़े की धमकी दी। सवाल उठता है कि विधानसभा अध्यक्ष के गांव में ऐसा क्यों हो रहा है? क्या ये दबंग शिक्षक नरेंद्र सिंह तोमर की छवि को खराब करने का प्रयास कर रहे हैं? शिक्षा विभाग को इस पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए ताकि बाल मजदूरी जैसी प्रथाओं पर रोक लग सके।
इनका कहना है
औरेठी गांव के हाई स्कूल में हुई घटना तथा शिक्षकों द्वारा पत्रकारों से किए गए अभद्र व्यवहार की जानकारी प्राप्त हुई है। हम नोटिस जारी कर जवाब मांगेंगे। संतोषजनक जवाब न होने पर उचित कार्यवाही की जाएगी।
– शैलेंद्र सिंह तोमर
बी.आर.सी.
तहसील पोरसा, जिला मुरैना
यह घटना मध्य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है। बाल मजदूरी रोकने के लिए बने कानूनों का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी प्रशासन पर है। उम्मीद है कि जांच के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।