-सईद अहमद-
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के मुखिया हैं और उन्होंने रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” के माध्यम से लोगों से सीधे संवाद स्थापित किया है। यह कार्यक्रम आज घर-घर में लोकप्रिय है। हर महीने के अंतिम रविवार को लोग उत्सुकता से इसका इंतजार करते हैं। शुरूआत में इसे विपक्ष ने हल्के में लिया, लेकिन धीरे-धीरे यह कार्यक्रम एक जन-आंदोलन का रूप ले चुका है।
अमेरिका-भारत टैरिफ विवाद और स्वदेशी पर बल
मोदी ने मन की बात के 126वें एपिसोड में आत्मनिर्भर भारत, “वोकल फॉर लोकल” और त्यौहारों के मौसम में स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने पर जोर दिया। अमेरिकी टैरिफ नीतियों से भारत के निर्यात पर दबाव पड़ा है, फिर भी प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा कि देशवासी भारत में बने सामान खरीदें। यह केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रश्न भी है।
संस्कृति और आस्था को वैश्विक पहचान
कार्यक्रम में मोदी ने भारत की संस्कृति और परंपराओं को भी स्थान दिया। उन्होंने छठ पर्व को न केवल राष्ट्रीय धरोहर बताया, बल्कि इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने का प्रयास करने की बात कही। इस पर्व में हजारों महिलाएँ परिवार की खुशहाली और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं, जो आस्था और विश्वास का अनूठा उदाहरण है।
लता मंगेशकर और शहीदों को श्रद्धांजलि
मन की बात में प्रधानमंत्री ने भारत की महान गायिका लता मंगेशकर को उनकी जयंती पर याद किया और उनके गीतों को मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाला बताया। साथ ही उन्होंने शहीद भगत सिंह को नमन करते हुए उनके अदम्य साहस का स्मरण किया। भगत सिंह ने कहा था कि “फाँसी नहीं, मुझे गोली मारो”-उनका यह साहस आज भी युवाओं को प्रेरणा देता है।
गांधी, खादी और राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता
गांधी जयंती पर प्रधानमंत्री ने लोगों से खादी और स्वदेशी उत्पाद खरीदने का आग्रह किया। यह केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत का सपना है। विजयादशमी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना का दिन भी उन्होंने याद किया, जिसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जोड़कर देखा जाता है।
आम नागरिक और असाधारण योगदान
मन की बात केवल बड़े मुद्दों तक सीमित नहीं रहती। मोदी ने इसमें असम के गायक जुबिन गर्ग, तमिलनाडु के अशोक जगदीशन प्रेम सेल्वाराज (जिन्होंने घास और केला फाइबर से योगा मैट बनाकर युवाओं को रोजगार दिया), और भारतीय नौसेना की बहादुर महिला अफसरों का उल्लेख किया। इस तरह यह कार्यक्रम प्रतिभावान और साहसी व्यक्तियों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का माध्यम भी बन गया है।
निष्कर्ष
मन की बात अब केवल एक रेडियो शो नहीं रहा, बल्कि लोकतांत्रिक संवाद का सशक्त मंच बन चुका है। यह कार्यक्रम सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुँचाने के साथ-साथ आम नागरिकों को प्रेरित करने का कार्य करता है। यही कारण है कि आज न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में यह चर्चा का विषय है।
(लेखक वेब वार्ता समाचार एजेंसी के संपादक है)