रोहतक, रजनीकांत चौधरी (वेब वार्ता)। हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद के बाल सलाह, परामर्श एवं कल्याण केंद्र संख्या-98 के तहत एमडीएन विधालय में आयोजित सेमिनार में किशोरावस्था की भावनाओं को समझने और प्रबंधित करने पर विशेष जोर दिया गया। मुख्य वक्ता मंडलीय बाल कल्याण अधिकारी रोहतक एवं राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक ने कहा कि किशोरों के लिए “भावनाओं की समझ: ना कहना सीखना, स्वस्थ सीमाएं निर्धारित करना” विषय पर जागरूकता आवश्यक है। इस सेमिनार का उद्देश्य किशोरों को भावनात्मक संतुलन सिखाना और सुरक्षित जीवन जीने की कला सिखाना था।
सेमिनार में किशोरों के शारीरिक और भावनात्मक बदलावों पर चर्चा की गई, जो हरियाणा में बाल कल्याण परिषद की निरंतर पहल का हिस्सा है। यह आयोजन किशोरों को सशक्त बनाने और उनके मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
सेमिनार का मुख्य विषय: भावनाओं की सार्वभौमिकता और किशोरावस्था के चुनौतियां
मुख्य वक्ता अनिल मलिक ने बताया कि व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो छह सार्वभौमिक भावनाएं—खुशी, उदासी, डर, गुस्सा, घृणा और आश्चर्य—विभिन्न संस्कृतियों में चेहरे के भावों से जुड़ी होती हैं। किशोरावस्था में हार्मोनल बदलावों के कारण इन भावनाओं का प्रभाव बहुत अधिक होता है। उन्होंने कहा, “बढ़ती उम्र के साथ भावनाओं को सही से समझकर प्रबंधित करने की कला विकसित करना जरूरी है। किशोरों के साथ शारीरिक संघर्ष के साथ-साथ भावनात्मक रस्साकशी भी चल रही होती है। विपरीत लिंग का यौन आकर्षण बढ़ता है, सामाजिक और भावनात्मक संकेतों को समझने की क्षमता विकसित होती है। ऐसे में सख्ती से ‘ना’ कहना सीखना अनिवार्य है।”
मलिक ने जोर देकर कहा कि जीवन की खुशहाली के लिए भावनात्मक संतुलन बनाए रखना और कोई भी फैसला लेते समय स्वस्थ सीमाएं निर्धारित करना आवश्यक है। “भावनाओं में बहकर उनके नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए सिर्फ ‘ना’ कहना पर्याप्त नहीं। भावनाओं को स्वीकार करना, खुद को बेहतर महसूस कराने के तरीके खोजना और स्वस्थ सीमाएं तय करना भी जरूरी है।”
किशोरों के लिए महत्वपूर्ण सलाह: सहमति, सम्मान और सुरक्षा
सेमिनार में किशोरों को निम्नलिखित बिंदुओं पर जागरूक किया गया:
- सहमति और सम्मान का महत्व: आपके शरीर और भावनाओं पर पूरा अधिकार आपका है। सहमति के बिना कोई कार्य स्वीकार्य नहीं।
- ऑफलाइन और ऑनलाइन व्यवहार के नियम: सीधे संपर्क और डिजिटल दुनिया दोनों में स्वस्थ सीमाएं तय करें। ऑनलाइन व्यवहार में भी सतर्क रहें।
- सकारात्मक माहौल निर्माण: सहायक, प्रेरणादायी अभिव्यक्ति की आजादी वाला वातावरण तैयार करें। अपनी भूमिका निभाएं।
- समस्या समाधान: खुले संवाद और सवालों के निदान से ही समस्याओं का हल संभव है।
परामर्शदाता नीरज कुमार ने कहा, “खुले संवाद के बाद सवालों के निदान से ही समस्या समाधान मुमकिन है। यदि अच्छे से समझें तो यह बहुत कुछ सिखाता है।”
सेमिनार की संयुक्त अध्यक्षता: व्यावहारिक समझ और मनोवैज्ञानिक सशक्तिकरण पर जोर
कार्यक्रम की संयुक्त अध्यक्षता जिला बाल कल्याण अधिकारी सोमदत खुंडिया ने की। उन्होंने कहा, “व्यावहारिक समझ और मनोवैज्ञानिक सशक्तिकरण के लिए जरूरी संवाद बहुत आवश्यक है। किशोरों को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाना समाज की जिम्मेदारी है।”
सेमिनार में विशेष रूप से प्राचार्या मीनू तहलयानी, कार्यक्रम अधिकारी अनीता हुड्डा, राज्य बाल कल्याण परिषद के आजीवन सदस्य नीरज कुमार के साथ-साथ शिक्षकगण मंजू शर्मा, रोहित दहिया, गुरुषा, प्रियंका और सुदेश दहिया उपस्थित रहे। एमडीएन विधालय के छात्रों ने सक्रिय भागीदारी निभाई, और सवाल-जवाब सत्र में कई उपयोगी चर्चाएं हुईं।
हरियाणा बाल कल्याण परिषद की पहल: किशोरों का सशक्तिकरण
यह सेमिनार हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की निरंतर प्रयासों का हिस्सा है, जो बाल सलाह केंद्रों के माध्यम से किशोरों को मानसिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और भावनात्मक प्रबंधन की शिक्षा दे रही है। परिषद का लक्ष्य 2025 तक राज्य को बाल श्रम और भिक्षावृत्ति मुक्त बनाना है, और ऐसे कार्यक्रम इसके लिए महत्वपूर्ण हैं। रोहतक जैसे जिलों में ऐसे सेमिनार किशोरों को यौन शोषण, साइबर सुरक्षा और भावनात्मक स्वास्थ्य से जोड़ते हैं।