शिमला, (वेब वार्ता)। हिमाचल प्रदेश में मॉनसून ने एक बार फिर विकराल रूप धारण कर लिया है। गुरुवार मध्य रात्रि किन्नौर जिले के तरंडा पंचायत के थाच गांव के ऊपर कंडे में बादल फटने से चार नालों में अचानक बाढ़ आ गई, जिसने पूरे इलाके में तबाही मचा दी। खेत-बगीचे बह गए, दो गाड़ियां चपेट में आ गईं, और ग्रामीण जान बचाने के लिए जंगलों की ओर भागे। शिमला शहर में भी भूस्खलन से हालात बिगड़ गए, जहां सेंट एडवर्ड स्कूल के पास बड़ा लैंडस्लाइड हुआ। मौसम विभाग ने किन्नौर को छोड़कर शेष 11 जिलों में येलो अलर्ट जारी किया है। राज्य में 552 सड़कें बंद हैं, जबकि इस सीजन में 424 मौतें हो चुकी हैं। कुल नुकसान 4,749 करोड़ रुपये से अधिक अनुमानित है।
यह प्रलंघन हिमाचल की भौगोलिक संरचना को देखते हुए चिंताजनक है, जहां पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं आम हैं। प्रशासन राहत कार्यों में जुटा है, लेकिन यातायात और बुनियादी सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित हैं।
किन्नौर में बादल फटने की घटना: थाच गांव में भयंकर तबाही
किन्नौर जिले के प्रवेश द्वार तरंडा पंचायत के थाच गांव में गुरुवार मध्य रात्रि को कंडे में बादल फट गया। इससे चार नालों में अचानक आई बाढ़ ने गांव को अपनी चपेट में ले लिया। ग्रामीणों के अनुसार, खेत और बगीचे पूरी तरह बह गए, जबकि दो गाड़ियां बाढ़ में बह गईं। थाच गांव के मस्तान की कंडे में दोगरी (कच्चा मकान) और कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए। दर्जनों परिवारों के बगीचे बर्बाद हो गए, और तीन घर ढहने के कगार पर हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि रात के अंधेरे में लोग घर छोड़कर जंगलों की ओर भागे। बादल फटने से निकला मलबा एनएच-5 पर आ गया, जिससे निगुलसरी के पास नेशनल हाईवे पूरी तरह अवरुद्ध हो गया। किन्नौर कैलाश यात्रा भी प्रभावित हुई है, और स्थानीय प्रशासन ने राहत दलों को तैनात कर दिया है। यह घटना हिमाचल के ऊंचाई वाले इलाकों में बादल फटने की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाती है, जहां जलवायु परिवर्तन की भूमिका संदिग्ध है।
शिमला में भूस्खलन: सेंट एडवर्ड स्कूल बंद, बहुमंजिला भवन खतरे में
शिमला शहर में भी भारी बारिश और भूस्खलन ने यातायात व्यवस्था को चरमरा दिया। कार्ट रोड क्षेत्र में हिमलैंड के पास सेंट एडवर्ड स्कूल के सामने बड़ा लैंडस्लाइड हो गया। प्रशासन ने छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा को देखते हुए स्कूल को 19 और 20 सितंबर के लिए बंद कर दिया। आसपास का बहुमंजिला भवन भी खतरे की जद में है, और मुख्य सड़क पूरी तरह बंद हो गई। वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से डायवर्ट किया जा रहा है।
तीन दिन पहले भी इसी क्षेत्र में भूस्खलन हुआ था, जो राज्य में बारिश से जुड़ी आपदाओं की लगातार श्रृंखला को इंगित करता है। शिमला जल प्रबंधन निगम ने भी पानी की आपूर्ति में बाधा की चेतावनी जारी की है।
मौसम अलर्ट और बारिश का आंकड़ा: येलो अलर्ट जारी
मौसम विभाग ने किन्नौर को छोड़कर शेष सभी 11 जिलों में गुरुवार को येलो अलर्ट जारी किया। 20 और 21 सितंबर को भी भारी बारिश की संभावना है, जबकि 22-23 सितंबर को मौसम साफ होने के आसार हैं। बीती रात से शुक्रवार सुबह तक बिलासपुर के नैना देवी में सर्वाधिक 158 मिमी बारिश दर्ज हुई। सिरमौर के नाहन में 38 मिमी और चंबा के चुआड़ी में 37 मिमी वर्षा हुई।
हिमाचल में मॉनसून की यह तीव्रता राज्य की आपदा प्रबंधन क्षमता पर सवाल खड़े कर रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, डोपलर रडार और अग्रिम चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत है।
यातायात और बुनियादी सुविधाओं पर असर: 552 सड़कें बंद
भारी बारिश और भूस्खलन से राज्य की यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) के अनुसार, शुक्रवार सुबह तक 3 नेशनल हाईवे और 552 सड़कें बंद रहीं। इनमें किन्नौर, कुल्लू और ऊना के NH शामिल हैं। जिला-वार बंद सड़कें:
जिला | बंद सड़कें |
---|---|
कुल्लू | 202 |
मंडी | 158 |
शिमला | 50 |
कांगड़ा | 40 |
अन्य | शेष |
बिजली और पेयजल आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई। प्रदेशभर में 162 ट्रांसफार्मर और 197 पेयजल योजनाएं बंद हैं। मंडी जिले में ही 68 ट्रांसफार्मर और 126 पेयजल योजनाएं ठप हैं।
मॉनसून सीजन का कुल नुकसान: 424 मौतें, 4,749 करोड़ का खर्च
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस मानसून सीजन (जून से अब तक) में 424 लोगों की मौत हो चुकी है, 481 घायल हुए हैं, और 45 लापता हैं। जिला-वार मौतें:
जिला | मौतें |
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मंडी | 66 |
कांगड़ा | 57 |
चंबा | 50 |
शिमला | 47 |
अन्य | शेष |
1,604 मकान पूरी तरह ढह चुके हैं, 7,025 आंशिक क्षतिग्रस्त। पशुधन को भी भारी नुकसान: 2,458 मवेशी और 26,000+ पोल्ट्री पक्षी मारे गए। राज्य सरकार के प्रारंभिक आकलन में कुल नुकसान 4,749 करोड़ रुपये से अधिक है। लोक निर्माण विभाग की सड़कें और पुल सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। मानसून में अब तक 146 भूस्खलन, 98 फ्लैश फ्लड और 46 बादल फटने की घटनाएं दर्ज।
प्रशासन की अपील: सतर्क रहें, राहत कार्य तेज
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्रीय टीम के दौरे का स्वागत किया और राहत कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीमें प्रभावित इलाकों में तैनात हैं। प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि नदियों और पहाड़ी रास्तों से दूर रहें, और हेल्पलाइन 1077 पर संपर्क करें।
यह मॉनसून हिमाचल की आपदा प्रबंधन प्रणाली पर परीक्षा ले रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं, और दीर्घकालिक उपाय जैसे मजबूत तटबंध और पूर्व चेतावनी आवश्यक हैं।