बेंगलुरु, अजय कुमार (वेब वार्ता)। बेंगलुरु, कर्नाटक में आयोजित 11वां राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र सम्मेलन का समापन आज, 13 सितंबर 2025 को दोपहर 2:30 बजे कर्नाटक के माननीय राज्यपाल श्री थावरचंद गहलोत के समापन भाषण और लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला के संबोधन के साथ हुआ। यह तीन दिवसीय सम्मेलन, जो 11 से 13 सितंबर 2025 तक चला, कर्नाटक में पहली बार आयोजित किया गया और इसे कर्नाटक विधान सभा ने सीपीए कर्नाटक शाखा के तत्वावधान में होस्ट किया।
सम्मेलन की थीम और महत्व
सम्मेलन का विषय था: “विधायी संस्थाओं में संवाद और चर्चा – जन विश्वास का आधार, जन आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम”। इस थीम के तहत, देश भर के विधायी नेताओं ने संसदीय प्रक्रियाओं को मजबूत करने, जनता का विश्वास बढ़ाने, और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए विचार-विमर्श किया। सम्मेलन में 26 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों से कुल 45 पीठासीन अधिकारी शामिल हुए, जिनमें 4 सभापति, 22 विधानसभा अध्यक्ष, 3 उपसभापति, और 16 उपाध्यक्ष थे।
उद्घाटन और प्रमुख प्रतिभागी
सम्मेलन का उद्घाटन 11 सितंबर 2025 को लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने किया, जो सीपीए भारत क्षेत्र की कार्यकारी समिति के पदेन अध्यक्ष भी हैं। उद्घाटन समारोह में कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री सिद्धारमैया, राज्य सभा के उप सभापति श्री हरिवंश, कर्नाटक विधान सभा के अध्यक्ष श्री यू.टी. खादर फरीद, और कर्नाटक विधान परिषद के सभापति श्री बसवराज होरट्टी ने भी संबोधित किया।
इसके अतिरिक्त, लोक सभा के महासचिव श्री उत्पल कुमार सिंह, विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के पीठासीन अधिकारी, और सीपीए के महासचिव श्री स्टीफन ट्विग भी उपस्थित थे। सिक्किम विधान सभा के अध्यक्ष मिंगमा नोर्बू शेरपा को पूर्ण सत्र की अध्यक्षता के लिए पैनल में नामित किया गया।
प्रमुख चर्चाएं और प्रस्ताव
सम्मेलन के दौरान, प्रतिनिधियों ने निम्नलिखित प्रमुख विषयों पर विचार-विमर्श किया:
संसदीय कार्यवाही में संवाद और चर्चा: कर्नाटक के राज्यपाल श्री थावरचंद गहलोत और ओम बिरला ने विधायी संस्थाओं में रुकावटों पर चिंता व्यक्त की और स्वस्थ चर्चा को लोकतंत्र की आत्मा बताया।
राष्ट्रीय विधायी सूचकांक: ओम बिरला ने राज्य विधानसभाओं के प्रदर्शन को रैंक करने के लिए एक राष्ट्रीय विधायी सूचकांक का प्रस्ताव रखा, जिस पर जनवरी 2026 में लखनऊ में होने वाली अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों की बैठक में चर्चा होगी। दिल्ली विधान सभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता को इस प्रस्ताव को तैयार करने का कार्य सौंपा गया।
आधुनिक तकनीक का उपयोग: संसदीय कार्यवाही में डिजिटल तकनीक के उपयोग और शासन में विधायी भूमिका को मजबूत करने पर विचार-विमर्श हुआ।
जम्मू-कश्मीर विधान सभा के अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने स्वस्थ चर्चा की भूमिका पर जोर देते हुए कहा, “विधायिका केवल ईंट-पत्थर की इमारत नहीं, बल्कि लोकतंत्र का मंदिर है, जहां जनता की आवाज गूंजती है।”
सांस्कृतिक और शैक्षिक आयाम
सम्मेलन के अंतिम दिन, 14 सितंबर को, प्रतिनिधि नृत्यग्राम और मैसूरु का दौरा करेंगे, जो सांस्कृतिक और शैक्षिक अनुभव को बढ़ाएगा। उद्घाटन समारोह में ओम बिरला ने एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और एक स्मारिका भी जारी की। सिक्किम, उत्तर प्रदेश, और उत्तराखंड के अध्यक्षों को उनके पारंपरिक परिधानों के लिए सम्मानित किया गया।
समापन समारोह: गहलोत और बिरला का संबोधन
समापन समारोह में थावरचंद गहलोत ने विधायी संस्थाओं में रचनात्मक चर्चा की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि “लोकतंत्र की ताकत संवाद में निहित है।” ओम बिरला ने संसदीय प्रक्रियाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और “नियोजित गतिरोध” को समाप्त करने की अपील की। उन्होंने कहा, “सभी दलों को मिलकर जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए काम करना चाहिए।”
निष्कर्ष
कर्नाटक में पहली बार आयोजित यह सम्मेलन राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के भारत क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ। विधायी प्रक्रियाओं को मजबूत करने, जन विश्वास बढ़ाने, और आधुनिक तकनीक के उपयोग पर केंद्रित यह आयोजन लोकतंत्र के लिए एक मील का पत्थर है। बेंगलुरु ने इस ऐतिहासिक सम्मेलन के आयोजन से अपनी सांस्कृतिक और संसदीय विरासत को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया।