लखनऊ, अजय कुमार (वेब वार्ता)। सोशल मीडिया के इस दौर में जहां एक पोस्ट वायरल होकर लाखों लोगों तक पहुंच सकती है, वहीं उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक ऐसी तत्परता दिखाई है जो न केवल एक जीवन बचा चुकी है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को भी नई ऊंचाई दे दी है। गौतमबुद्धनगर जिले के थाना सूरजपुर क्षेत्र में रहने वाले एक 50 वर्षीय चिकित्सक ने 12 सितंबर 2025 की रात करीब 8:18 बजे फेसबुक पर अपनी और अपने दो बच्चों की तस्वीर साझा करते हुए एक दिल दहला देने वाला पोस्ट किया। पोस्ट में उन्होंने लिखा, “मैं अपने बच्चों के साथ आत्महत्या कर रहा हूँ… सभी को आख़िरी प्रणाम।”
यह पोस्ट न केवल परिवार और दोस्तों के लिए सदमा था, बल्कि सोशल मीडिया पर सक्रिय उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए एक तत्काल अलर्ट साबित हुई। उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय स्थित सोशल मीडिया सेंटर ने इस पोस्ट का संज्ञान लेते ही कमांड एंड कंट्रोल रूम को सूचित किया। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण ने तुरंत कार्रवाई के सख्त निर्देश जारी कर दिए। इस त्वरित प्रतिक्रिया ने साबित कर दिया कि सोशल मीडिया अब केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन रक्षक का हथियार भी बन चुका है।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई: 10 मिनट का चमत्कार
सोशल मीडिया सेंटर की टीम ने चिकित्सक के फेसबुक अकाउंट की गहन जांच शुरू की। उन्होंने पोस्ट पर आए कमेंट्स, लाइक्स और प्रोफाइल डिटेल्स का विश्लेषण किया, जिससे चिकित्सक के नोएडा स्थित निवास का सटीक पता प्राप्त हो गया। यह जानकारी फटाफट गौतमबुद्धनगर जिले की पुलिस को भेजी गई।
सूचना मिलते ही थाना सूरजपुर के उपनिरीक्षक (एसआई) और उनकी टीम ने बिना वक्त गंवाए अमल में कदम उठाया। मात्र 10 मिनट के अंदर – जी हां, सिर्फ 10 मिनट में – पुलिस टीम चिकित्सक के घर पर पहुंच गई। मौके पर पहुंचकर पुलिसकर्मियों ने देखा कि चिकित्सक अवसाद की चपेट में थे और रस्सी तैयार करके फांसी लगाने की कोशिश कर रहे थे। टीम ने तुरंत उन्हें रोक लिया, शांत किया और प्रारंभिक काउंसलिंग की। चिकित्सक को समझाया गया कि जीवन की चुनौतियां अस्थायी होती हैं और समस्याओं का समाधान संवाद से ही संभव है।
इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि पुलिस की त्वरित कार्रवाई न केवल अपराध रोक सकती है, बल्कि मानसिक संकट में फंसे लोगों को भी नई जिंदगी दे सकती है। चिकित्सक ने बाद में पुलिस को बताया कि वह पारिवारिक तनाव के कारण अवसादग्रस्त हो गए थे। उनकी पत्नी कुछ दिनों पहले मायके चली गई थीं, जबकि दो बच्चे उनके साथ ही थे। इसी दबाव में उन्होंने ऐसा कदम उठाने का फैसला लिया। सौभाग्य से, फेसबुक पोस्ट पर अलर्ट ने समय रहते सब कुछ बदल दिया।
परिवार की सराहना: आभार और आश्वासन
पूछताछ के दौरान चिकित्सक ने पुलिस को आश्वासन दिया कि भविष्य में वह कभी ऐसा कदम नहीं उठाएंगे। उनके परिजनों ने भी स्थानीय पुलिस की तत्परता की खुलकर सराहना की। चिकित्सक के एक रिश्तेदार ने कहा, “पुलिस भाईयों ने जो किया, वह किसी चमत्कार से कम नहीं। अगर 10 मिनट और लग जाते, तो सब कुछ बदल जाता। हम सदा आभारी रहेंगे।”
इसके अलावा, पुलिस ने चिकित्सक को स्थानीय मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करने की सलाह दी और परिवार को एकजुट करने में भी सहयोग का वादा किया। यह घटना नोएडा और गौतमबुद्धनगर क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है, जहां लोग सोशल मीडिया के सकारात्मक उपयोग पर चर्चा कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस का सोशल मीडिया अभियान: 1365 जीवन बचाए
उत्तर प्रदेश पुलिस का सोशल मीडिया सेंटर 24×7 सक्रिय रहकर न केवल जन शिकायतों का त्वरित निपटारा कर रहा है, बल्कि अवसादग्रस्त और संकट में फंसे व्यक्तियों की भी मदद कर रहा है। मेटा कंपनी (फेसबुक की मूल कंपनी) से प्राप्त अलर्ट्स पर आधारित यह सिस्टम अत्यंत प्रभावी साबित हो रहा है।
डेटा के अनुसार, 1 जनवरी 2023 से 10 सितंबर 2025 तक उत्तर प्रदेश पुलिस ने सोशल मीडिया अलर्ट्स के जरिए 1,365 लोगों के जीवन की रक्षा की है। इनमें से अधिकांश मामले आत्महत्या की धमकी या संकटपूर्ण पोस्ट्स से जुड़े थे। डीजीपी राजीव कृष्ण ने हाल ही में एक बयान में कहा, “सोशल मीडिया अब हमारा चौथा खंभा है – सूचना, जागरूकता और जीवन रक्षा का। हम प्रतिबद्ध हैं कि कोई भी संकट अकेले न झेले।”
यह आंकड़ा न केवल पुलिस की दक्षता को दर्शाता है, बल्कि आत्महत्या रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे प्रयासों से समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा और लोग बिना हिचकिचाहट अपनी समस्याएं साझा करेंगे।
निष्कर्ष: जागरूकता का संदेश
यह घटना हमें सिखाती है कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग न हो, बल्कि इसका सही उपयोग जीवन बचाने में हो। यदि आप या आपके किसी जानने वाले को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है, तो तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1098 (चाइल्ड हेल्पलाइन) या 104 (मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन) पर संपर्क करें। उत्तर प्रदेश पुलिस की यह तत्परता न केवल एक चिकित्सक की जान बचा चुकी है, बल्कि हजारों परिवारों के लिए आशा की किरण बन गई है।