ललितपुर, अलोक चतुर्वेदी (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में बेसिक शिक्षा विभाग में अधिकारियों की मनमानी और शासनादेशों का खुला उल्लंघन सामने आया है। सम्बद्धीकरण के नाम पर ग्रामीण क्षेत्रों के अध्यापकों को बिना किसी ठोस कारण के नगर क्षेत्र के विद्यालयों में सम्बद्ध किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था चरमरा रही है। हाल ही में ब्लॉक बिरधा के प्राथमिक विद्यालय रमपुरा की एक सहायक अध्यापिका के सम्बद्धीकरण का मामला चर्चा में है, जहां आदेश रद्द होने के बावजूद वह मूल विद्यालय में वापस नहीं लौटीं।
सम्बद्धीकरण की अनियमितता: ग्रामीण विद्यालयों पर प्रभाव
ललितपुर के बेसिक शिक्षा विभाग में सम्बद्धीकरण की प्रक्रिया लंबे समय से विवादों में रही है। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (अध्यापक) (तैनाती) नियमावली, 2008 के अनुसार, अध्यापकों की तैनाती और समायोजन में पारदर्शिता और आवश्यकता का ध्यान रखा जाना चाहिए। लेकिन, ललितपुर में यह नियम नजरअंदाज किए जा रहे हैं। प्राथमिक विद्यालय रमपुरा, ब्लॉक बिरधा में कार्यरत एक सहायक अध्यापिका को अस्थाई ड्यूटी के तौर पर नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मीपुरा में सम्बद्ध किया गया था। उसी विद्यालय के एक अन्य सहायक अध्यापक का चयन अकादमिक रिसोर्स पर्सन (ARP) के पद पर हो गया, जिससे रमपुरा विद्यालय शिक्षकविहीन हो गया।
ब्लॉक बिरधा के खंड शिक्षा अधिकारी ने इस स्थिति की जानकारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) रणवीर सिंह को दी। बीएसए ने उक्त अध्यापिका का सम्बद्धीकरण रद्द कर उन्हें मूल विद्यालय में योगदान देने का आदेश जारी किया, और नगर शिक्षा अधिकारी नीतू वर्मा को चार्ज हस्तांतरण के निर्देश दिए। लेकिन, सूत्रों के अनुसार, अध्यापिका ने आज तक अपने मूल विद्यालय में योगदान नहीं दिया और घर के निकटतम नगर विद्यालय में ही सेवाएं दे रही हैं।
बीएसए के आदेश: दिखावा या दबाव?
विभागीय सूत्रों का दावा है कि बीएसए रणवीर सिंह स्वयं इस सम्बद्धीकरण को बरकरार रखने के पक्ष में हैं, और रद्द करने का आदेश केवल औपचारिकता है। इससे पहले भी ब्लॉक बिरधा की एक अन्य अध्यापिका का लक्ष्मीपुरा में सम्बद्धीकरण किया गया था, जिसे शिकायत के बाद रद्द कर दिया गया था। सवाल यह है कि बीएसए अपने ही आदेशों का पालन क्यों नहीं करा पा रहे? क्या यह किसी दबाव या व्यक्तिगत हित का परिणाम है?
2016 में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा निदेशालय ने सभी बीएसए को अनियमित सम्बद्धीकरण पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद, ललितपुर में यह प्रथा बदस्तूर जारी है। हाल ही में 9000 से अधिक प्रधानाध्यापकों के समायोजन रद्द करने के आदेश भी शासन ने जारी किए हैं, जो विभाग में सुधार की दिशा में एक कदम है।
शासनादेश का उल्लंघन: वेतन और उपस्थिति पर सवाल
शासनादेश के विरुद्ध सम्बद्ध रहकर सेवाएं देने वाली अध्यापिका का वेतन किस ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारी की प्रमाणित उपस्थिति पर जारी हो रहा है? यह एक गंभीर सवाल है। विभागीय नियमों के अनुसार, सम्बद्धीकरण केवल अस्थाई और विशेष परिस्थितियों में ही किया जा सकता है। इस प्रथा के चलते ग्रामीण विद्यालयों में शिक्षकों की कमी हो रही है, जिसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।
ललितपुर में बीएसए रणवीर सिंह का नाम पहले भी विवादों में आ चुका है, जैसे स्कूलों में पत्रकारों के प्रवेश पर प्रतिबंध और धमकी के मामलों में। यह स्थिति विभाग में पारदर्शिता की कमी को दर्शाती है।
निष्कर्ष: ग्रामीण शिक्षा पर मंडराता खतरा
बेसिक शिक्षा विभाग में सम्बद्धीकरण के नाम पर चल रही अनियमितताएं न केवल शासनादेश का उल्लंघन हैं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था को भी कमजोर कर रही हैं। उच्च अधिकारियों को इस मामले में तत्काल संज्ञान लेने और सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है। स्थानीय अभिभावकों और समुदाय की मांग है कि ग्रामीण विद्यालयों को मजबूत किया जाए और अध्यापकों को उनके मूल स्थान पर कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाए। यदि यह अनियमितता जारी रही, तो ललितपुर सहित पूरे उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठेंगे।