पेरिस, (वेब वार्ता)। फ्रांस में राजनीतिक उथल-पुथल तेज हो गई है। प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू की सरकार के गिरने के एक दिन बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। लेकोर्नू, 39 वर्षीय युवा नेता, फ्रांस के इतिहास में सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बन गए हैं। लेकिन उनकी नियुक्ति के ठीक बीच देशभर में ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ नामक विरोध प्रदर्शन भड़क उठे, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने सड़कें अवरुद्ध कीं, आगजनी की और पुलिस से झड़पें हुईं। गृह मंत्री ब्रूनो रिटेलेउ ने 200 से अधिक गिरफ्तारियों की घोषणा की।
बायरू सरकार का पतन: बजट विवाद का नतीजा
मंगलवार को संसद में विश्वास मत हारने के बाद फ्रांस्वा बायरू ने इस्तीफा दे दिया। 74 वर्षीय बायरू का कार्यकाल महज नौ महीने का था। उन्होंने 2026 के बजट पर विश्वास मत मांगा था, जिसमें सार्वजनिक खर्च में 43.8 अरब यूरो की कटौती का प्रस्ताव था। लेकिन विपक्ष ने इसे ‘सामाजिक विनाश’ करार दिया और 364 वोटों से सरकार गिरा दी।
बायरू ने कहा था, “सरकार गिराना आसान है, लेकिन वास्तविकता को मिटाना संभव नहीं। खर्च बढ़ते रहेंगे और कर्ज का बोझ और भारी होगा।” लेकिन विपक्षी दलों ने इसे खारिज कर दिया। फ्रांस का कर्ज 3.3 ट्रिलियन यूरो (जीडीपी का 114%) पहुंच चुका है, जो आर्थिक संकट को गहरा रहा है।
लेकोर्नू की नियुक्ति: युवा चेहरा, कठिन चुनौतियां
राष्ट्रपति मैक्रों ने मंगलवार देर रात लेकोर्नू को प्रधानमंत्री बनाया। लेकोर्नू मैक्रों के करीबी सहयोगी हैं और 2017 से ही सरकार में हैं। उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ने मुझे स्पष्ट दिशा वाली सरकार बनाने का दायित्व सौंपा है, जो हमारी स्वतंत्रता की रक्षा करेगी और राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करेगी।”
मैक्रों ने उन्हें निर्देश दिया कि मंत्रिमंडल गठन से पहले सभी दलों से बातचीत करें और बजट पर सहमति बनाएं। विशेषज्ञों का मानना है कि लेकोर्नू की युवा छवि संसद की विभाजित राजनीति में समर्थन जुटाने में मदद कर सकती है, लेकिन वित्तीय संकट और विपक्ष का कड़ा रुख चुनौती है। पिछले एक साल में यह चौथा प्रधानमंत्री बदलाव है।
‘ब्लॉक एवरीथिंग’ प्रदर्शन: सड़कों पर अराजकता
नई सरकार के पहले ही दिन प्रदर्शनकारियों ने देशभर में हंगामा मचा दिया। ऑनलाइन शुरू हुए ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ अभियान में प्रदर्शनकारियों ने सड़कें, रेलवे ट्रैक और स्कूलों के बाहर कचरा जलाया। पेरिस के गार डु नॉर्ड स्टेशन पर 1,000 प्रदर्शनकारी घुसने की कोशिश कर रहे थे।
पश्चिमी शहर रेन्नेस में एक बस जला दी गई, जबकि दक्षिण-पश्चिम में बिजली लाइन को नुकसान पहुंचाने से ट्रेनें रुक गईं। 80,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया, जिन्होंने आंसू गैस और हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया। गृह मंत्री रिटेलेउ ने कहा, “प्रदर्शनकारी विद्रोह का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।”
प्रदर्शनकारी बजट कटौती के खिलाफ थे, जो गरीबों को प्रभावित कर रही है। ग्रीन पार्टी की नेता मरीन टोंडेलियर ने लेकोर्नू की नियुक्ति को ‘उकसावा’ बताया।
भविष्य की चुनौतियां: बजट और स्थिरता
लेकोर्नू को 7 अक्टूबर तक 2026 का बजट संसद में पेश करना है। वामपंथी दलों ने तुरंत अविश्वास प्रस्ताव लाने की धमकी दी है, जबकि दक्षिणपंथी नेशनल रैली ने शर्तों पर समर्थन का संकेत दिया। फ्रांस की राजनीतिक अस्थिरता यूक्रेन युद्ध और गाजा संकट के बीच आर्थिक दबाव बढ़ा रही है।
यह संकट फ्रांस की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहा है। क्या लेकोर्नू सहमति बना पाएंगे, या राजनीतिक संकट और गहरा जाएगा?