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व्हाइट हाउस सलाहकार पीटर नवारो का बड़ा आरोप – “यूक्रेन संघर्ष मोदी का युद्ध है, शांति का रास्ता नई दिल्ली से होकर गुजरता है”

न्यूयॉर्क/वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शीर्ष व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने एक ऐसा विवादास्पद बयान दिया है जिसने भारत-अमेरिका संबंधों में नई कड़वाहट पैदा कर दी है। नवारो ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि यूक्रेन संघर्ष “मोदी का युद्ध” है और इस संघर्ष में शांति का मार्ग आंशिक रूप से “नई दिल्ली से होकर गुजरता है”। यह बयान उस समय आया है जब ट्रंप प्रशासन ने भारत पर रूसी तेल की खरीद के लिए 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव और बढ़ गया है।

बुधवार को ‘ब्लूमबर्ग’ को दिए एक विस्फोटक साक्षात्कार में, राष्ट्रपति ट्रंप के व्यापार और विनिर्माण मामलों के वरिष्ठ सलाहकार नवारो ने भारत पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “भारत, रूसी युद्ध मशीन को मदद पहुंचा रहा है। भारत जो कर रहा है, उसका खमियाजा अमेरिका में हर कोई उठा रहा है। उपभोक्ता, व्यवसाय और हर चीज को नुकसान हो रहा है… क्योंकि हमें मोदी के युद्ध का वित्तपोषण करना है।”

जब पत्रकार ने पूछा कि क्या उनका मतलब “पुतिन का युद्ध” है, तो नवारो ने अपने बयान पर जोर देते हुए स्पष्ट रूप से कहा, “मेरा मतलब मोदी का युद्ध है, क्योंकि शांति का रास्ता आंशिक रूप से नयी दिल्ली से होकर जाता है।” इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक हलकों में तूफान ला दिया है।

रूसी तेल खरीद पर टकराव

नवारो के इस बयान के पीछे ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए अतिरिक्त व्यापार शुल्क को माना जा रहा है। ट्रंप ने रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जो बुधवार से प्रभावी हो गया है। इसके साथ ही अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया गया कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है। यह कदम भारत द्वारा रूस से तेल आयात जारी रखने के अमेरिकी विरोध की परिणति है।

नवारो ने दावा किया कि इस अतिरिक्त शुल्क को हटाना “बहुत आसान” है। उन्होंने कहा, “अगर भारत रूसी तेल खरीदना और उनकी युद्ध मशीनरी की मदद करना बंद कर दे, तो उसे कल ही 25 प्रतिशत की छूट मिल सकती है।” उन्होंने आरोप लगाया कि भारत रूसी तेल को किफायती दरों पर खरीदता है और फिर भारतीय रिफाइनरियां, रूसी रिफाइनरियों के साथ साझेदारी कर इसे बाकी विश्व को प्रीमियम दरों पर बेचती हैं।

“भारत के शुल्क बहुत ज्यादा हैं”

रोचक बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “एक महान नेता” बताने के बावजूद, नवारो ने भारत की व्यापार नीतियों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि वह इस बात से हैरान हैं कि भारत, एक परिपक्व लोकतंत्र होने के बावजूद, यह दावा करता है कि उसके शुल्क दुनिया में सबसे ज्यादे नहीं हैं। नवारो के मुताबिक, “वास्तव में उनके शुल्क बहुत ज्यादा हैं। इसमें कोई विवाद नहीं है। अगर आप आंकड़ों पर गौर करें और फिर वे कहते हैं… ‘हम रूसी तेल खरीदना बंद नहीं करेंगे।’ अब, इसका क्या मतलब है?”

भारत का रुख और अमेरिका में आलोचना

भारत ने अमेरिका द्वारा लगाए गए इन शुल्कों को “अनुचित और विवेकहीन” करार दिया है। नई दिल्ली ने स्पष्ट किया है कि किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, वह अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा। भारत का मानना है कि उसने हमेशा शांति और कूटनीतिक समाधान का रास्ता अपनाया है और वह यूक्रेन संकट का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है।

दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका में ही ट्रंप प्रशासन के इस कदम की आलोचना हो रही है। अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि चीन जैसे देशों के बजाय भारत को निशाना बनाना गलत है। उन्होंने कहा कि इससे अमेरिकियों को नुकसान पहुंच रहा है और अमेरिका-भारत संबंध खराब हो रहे हैं। समिति ने टिप्पणी की, “ऐसा लग रहा है जैसे यह यूक्रेन का मामला ही नहीं है।”

नवारो ने अपने बयान में भारत से अपील की कि उसे “एक लोकतंत्र की तरह काम करना चाहिए” और “सत्तावादियों का पक्ष नहीं लेना चाहिए।” उन्होंने चीन पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियों से “बहुत ऊब चुके हैं” और दावा किया कि अगर भारत और चीन रूसी तेल खरीदना बंद कर दें, तो युद्ध “कल” ही खत्म हो जाएगा।

यह विवाद दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच बढ़ते तनाव की ओर इशारा करता है, जिसका वैश्विक भू-राजनीति पर दूरगामी प्रभाव हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर अब इस बात पर टिकी है कि क्या भारत और अमेरिका इस व्यापारिक तनाव से उबर पाएंगे या यह विवाद और गहराएगा।

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वेब वार्ता समाचार एजेंसी

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