Sunday, October 19, 2025
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विट्ठलभाई पटेल शताब्दी समारोह: अमित शाह ने जारी किया विशेष डाक टिकट, दिल्ली विधानसभा में लोकतंत्र की गौरव गाथा

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय को याद करते हुए दिल्ली विधानसभा में विट्ठलभाई पटेल शताब्दी समारोह का भव्य आयोजन किया गया। यह समारोह विट्ठलभाई पटेल के केंद्रीय विधानसभा के पहले निर्वाचित भारतीय स्पीकर बनने के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित हुआ। इस अवसर पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने विशेष डाक टिकट जारी कर इस ऐतिहासिक दिन को और यादगार बना दिया।

कौन थे विट्ठलभाई पटेल?

विट्ठलभाई पटेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण नेता और दूरदर्शी व्यक्तित्व थे। उन्हें 1925 में केंद्रीय विधानसभा (जो आज की संसद का पूर्व रूप था) का पहला निर्वाचित भारतीय स्पीकर चुना गया। उस समय भारत अंग्रेजी शासन के अधीन था, लेकिन लोकतांत्रिक मूल्यों और संसदीय परंपराओं को स्थापित करने के उनके प्रयासों ने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी।

पटेल न केवल एक कुशल वकील थे, बल्कि एक उत्कृष्ट संसदीय वक्ता और प्रखर बुद्धिजीवी भी थे। उन्होंने विधानसभा में सदस्यों की भागीदारी बढ़ाने, नियमों में पारदर्शिता लाने और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए।

दो दिवसीय शताब्दी समारोह और ऑल इंडिया स्पीकर्स कॉन्फ्रेंस

दिल्ली विधानसभा में आयोजित यह शताब्दी समारोह केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं था, बल्कि इसमें लोकतंत्र की जड़ों को और सशक्त बनाने का संदेश भी निहित था। इस दो दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत ऑल इंडिया स्पीकर्स कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर की विधानसभाओं और विधान परिषदों के अध्यक्षों एवं उपाध्यक्षों ने भाग लिया।

सम्मेलन का उद्देश्य संसदीय परंपराओं को मजबूत करना, विभिन्न राज्यों के अनुभव साझा करना और नए लोकतांत्रिक आयामों पर चर्चा करना था। इस आयोजन के माध्यम से भारतीय लोकतंत्र की मजबूती में विधानसभाओं की भूमिका पर गहन विचार-विमर्श हुआ।

विशेष डाक टिकट का विमोचन: लोकतंत्र के प्रति सम्मान

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस अवसर पर विट्ठलभाई पटेल की स्मृति में विशेष डाक टिकट जारी किया। यह केवल एक प्रतीकात्मक कदम नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र के निर्माण में उनके योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने का प्रयास है। डाक टिकट का विमोचन भारत की सांस्कृतिक परंपरा में ऐतिहासिक घटनाओं और महान व्यक्तियों को अमर बनाने का एक सशक्त माध्यम माना जाता है।

अमित शाह का संबोधन: लोकतांत्रिक मूल्यों पर जोर

अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि विट्ठलभाई पटेल जैसे नेताओं ने कठिन परिस्थितियों में भी लोकतंत्र की नींव को मजबूत किया। उन्होंने कहा:

“अद्वितीय विद्वान और कानून विशेषज्ञ विट्ठलभाई पटेल के केंद्रीय विधानसभा के पहले निर्वाचित भारतीय स्पीकर बनने के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आज दिल्ली विधानसभा में आयोजित की जा रही दो दिवसीय ‘ऑल इंडिया स्पीकर्स कॉन्फ्रेंस’ के उद्घाटन सत्र में देशभर की विधानसभा व विधान परिषद के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों से संवाद करूंगा। विट्ठलभाई पटेल ने गुलामी के कठिन दिनों में भी सदन में लोकतंत्र को स्थापित और सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।”

अमित शाह ने यह भी कहा कि आज जब भारत विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति है, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस नींव को मजबूत करने में विट्ठलभाई पटेल और उनके जैसे नेताओं का कितना बड़ा योगदान है।

प्रदर्शनी और ऐतिहासिक दस्तावेजों का प्रदर्शन

समारोह के दौरान दिल्ली विधानसभा में एक विशेष प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें विट्ठलभाई पटेल के जीवन से जुड़े दुर्लभ चित्र, ऐतिहासिक दस्तावेज और संसदीय कार्यकाल के महत्वपूर्ण क्षणों को दर्शाया गया। यह प्रदर्शनी न केवल आम लोगों बल्कि विधायकों के लिए भी एक प्रेरणा बनी।

प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति

कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना, और दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता मौजूद रहे। सभी अतिथियों ने विट्ठलभाई पटेल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके योगदान को नमन किया।

दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा:

“भारत के प्रथम निर्वाचित अध्यक्ष वीर विट्ठलभाई पटेल के शताब्दी वर्ष पर आयोजित ‘ऑल इंडिया स्पीकर्स कॉन्फ्रेंस’ के अवसर पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने डाक टिकट जारी किया।”

विट्ठलभाई पटेल की विरासत और आज का भारत

आज भारत जिस लोकतांत्रिक ढांचे पर खड़ा है, उसकी नींव में विट्ठलभाई पटेल जैसे नेताओं का योगदान अमूल्य है। उन्होंने ऐसे समय में लोकतंत्र के आदर्शों को जीवित रखा, जब स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था और ब्रिटिश शासन भारत को लोकतांत्रिक अधिकार देने से हिचकिचा रहा था।

उनका यह योगदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखना ही राष्ट्र निर्माण का आधार है।

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